बिहार के स्वास्थ्य क्षेत्र में कर्मचारियों की मांगों को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा कई कदम उठाये जा रहे हैं. राज्य में अभी तक कई संस्थाएं हैं, जिनके अभाव में स्वास्थ्य कर्मियों का सही डाटा ही उपलब्ध नहीं है. साथ ही वैसे कर्मियों का निबंधन भी नहीं हो रहा है. इसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में पहली बार पारा मेडिकल काउंसिल के गठन का फैसला लिया है. इस काउंसिल में अध्यक्ष सहित 10 सदस्य होंगे. साथ ही विभाग द्वारा पारा मेडिकल नियमावली भी तैयार की जा रही है.
स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अभी तक राज्य में एक्सरे तकनीशियन, रेडियोलॉजी असिस्टेंट, डेंटल असिस्टेंट, मेडिकल लैबोरेट्री असिस्टेंट, ऑफ्थैल्मिक असिस्टेंट, ऑपरेशन थियेटर असिस्टेंट, सीटी स्कैन तकनीशियन, इसीजी असिस्टेंट, इसीजी तकनीशियन, डायलिसिस टेक्निशियन, एमआरआइ टेक्निशियन, मेडिकल लैबोरेट्री टेक्नोलॉजिस्ट, ऑकुपेशनल थिरेपी, स्पीच थिरेपी, ड्रेसर, ऑडियोलॉजी असिस्टेंट जैसे तकनीकी शिक्षा प्राप्त विद्यार्थियों के निबंधन के लिए कोई वैधानिक संस्था नहीं है. ऐसे में बिना रजिस्ट्रेशन सरकार के पास यह सूचना ही नहीं है कि राज्य में किस क्षेत्र में कितने विद्यार्थियों के पास क्या डिग्री है.
निबंधन के समय ही डिग्री की भी हो जायेगी जांच
निबंधन के समय ही पारा मेडिकल करने वाले विद्यार्थियों के वैध प्रमाणपत्रों की जांच भी हो जायेगी. इससे फर्जी डिग्री लेने वाले भी पकड़ में आ जायेंगे. सूत्रों के मुताबिक नर्सिंग काउंसिल, फार्मेसी काउंसिल व मेडिकल काउंसिल के जैसे ही पारा मेडिकल काउंसिल का गठन किया जा रहा है. विभाग में इस काउंसिल के गठन की तैयारी पूरी की जा चुका है. यह माना जा रहा है कि जल्द ही इसे कैबिनेट की स्वीकृति मिल जायेगी. इसके बाद काउंसिल के गठन का रास्ता साफ हो जायेगा.
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