दिल्ली व हरियाणा से पिछले पांच दिनों में मुजफ्फरपुर आये 70000 यात्री, बसवाले को किराये में दिये 15 करोड़
इन बसों में प्रति यात्री औसतन 2500 किराया लिया जा रहा है, इससे करीब 15 करोड़ रुपये से अधिक का टिकट बिकने की बात कही जा रही है. करीब एक बड़ी बस में करीब सवा सौ यात्री, अंदर से लेकर छतों पर सवार रहते है.
मुजफ्फरपुर. ट्रेन में टिकट नहीं मिलने के कारण करीब 70 हजार लोग इस साल बसों से छठ करने बिहार आये. बीते पांच दिनों में करीब आठ सौ से अधिक बस दिल्ली व हरियाणा से मुजफ्फरपुर पहुंची है. कई बसें सीधे सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, झंझारपुर आदि जिलों के लिए रवाना हुई. सभी बसों में तय सीमा से अधिक यात्री सफर करते दिखे. इन बसों में प्रति यात्री औसतन 2500 किराया लिया जा रहा है, इससे करीब 15 करोड़ रुपये से अधिक का टिकट बिकने की बात कही जा रही है. करीब एक बड़ी बस में करीब सवा सौ यात्री, अंदर से लेकर छतों पर सवार रहते है. लोगों को बस अपने घर पहुंचना है इसलिए बेंच, छत पर भी सवार होकर आ रहे है. दो सीट पर चार यात्री तक पहुंच रहे है. स्टैंड के बजाये रास्ते में उतारे जाने पर बहस भी होती है, लेकिन सभी को अपने घर पहुंचने की जल्दी रहती है इसलिए वह निकल पड़ते है.
टिकट के दाम भी बढ़ गए
बस में सवार निरंजन ने बताया कि वो मोतिहारी आये हैं. बस उन्होंने दिल्ली के बदरपुर बॉर्डर से लिया था. उनके मुताबिक, आम दिनों में बस से जाने में 1200-1300 रुपये ही लगते हैं, लेकिन छठ के समय किराया थोड़ा बढ़ गया है. उन्हें भी टिकट के लिए 1800 देने पड़े. सीतामढ़ी आये प्रशांत यादव और राकेश कुमार ने बताया कि उन्हें ट्रेन में सीट नहीं मिली, इसलिए बस से आये हैं. उन्होंने स्लीपिंग बर्थ का टिकट लिया था. तीन लोगों का टिकट उन्हें 6 हजार रुपये का पड़ा. इसी बस में सवार गोविंद कुमार ने बताया कि वह पिछले एक महीने से ट्रेन में टिकट बुक कराने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन सारी ट्रेनें फुल हो चुकी थीं और स्पेशल ट्रेनों का किराया बहुत ज्यादा था, इसीलिए उन्हें बस से आना पड़ा.
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बिहार जाने वाली बसों की डिमांड बढ़ी
ठसाठस भरी बस में 24 घंटे से ज्यादा का सफर आसान नहीं है, लेकिन छठ पर अपने घर जाने के लिए लोग किसी भी प्रकार की तकलीफ झेलने के लिए तैयार थे. बस में यात्रियों की सेफ्टी के भी कोई खास इंतजाम नहीं दिखाई दिए. पूछताछ में पता चला कि इस साल बिहार जाने वाली बसों की डिमांड थोड़ी बढ़ गई , क्योंकि ट्रेनों में एक तो टिकट आसानी से नहीं मिलता. दूसरा, कई छोटे कस्बों तक ट्रेन जाती ही नहीं है या छोटे स्टेशनों पर रुकती नहीं है. ऐसे में ट्रेन से उतरने के बाद बस लेकर आगे जाने के बजाय लोग परदेस से बस लेकर जाना पसंद किये. बस ऑपरेटर के स्टाफ ने बताया कि आम दिनों में उनकी दो-तीन बसें ही बिहार जाती हैं, लेकिन इस समय उन्हें हर दिन 7-8 बसें चलानी पड़ रही हैं. दिल्ली के पांडव नगर के अलावा करोल बाग, आजादपुर, मीठापुर, करावल नगर और बुराड़ी से भी बड़ी संख्या में बिहार जाने के लिए प्राइवेट बसें चल रही हैं.
सड़क पर उतार लौट जाती है बसें
मुजफ्फरपुर जिले में आने वाले यात्रियों को मोतीपुर में दो जगह, पानापुर, कांटी एनटीपीसी के आसपास, नरसंडा चौक, छपरा हाई स्कूल, सुधा डेयरी मोड़ के पास उतारकर लौट जाती है. दिल्ली से आने वाली अधिकतर गाड़ियां सुबह आठ बजे तक इन्हें उतारकर चली जाती है. दोपहर के समय मुजफ्फरपुर होकर दूसरे जिले जाने वाली गाड़ियां सुधा डेयरी मोड़ के पास रूकती है. वहीं देर रात को चोरी छिपे कुछ दिल्ली बस बैरिया भी यात्रियों को लेकर पहुंचती है. मोटर फेडरेशन के प्रवक्ता कामेश्वर महतो ने बताया कि अधिकतर गाड़ियां मोतीपुर से सुधार डेयरी मोड़ के पास यात्रियों को उतारकर चली जाती है. वहीं कई बसें डायरेक्ट मुजफ्फरपुर दरभंगा रोड होते हुए दूसरे जिले को रवाना हो जाती है. कुछ गाड़ियां देर रात में बैरिया बस स्टैंड में पहुंचती है.
बस नहीं मिला तो ट्रक से आये लोग
दिल्ली से गुरुवार को एक मालवाहक ट्रक में महिलाओं और बच्चों को जानवरों की तरह ठूस कर गोपालगंज लाया गया, जिन्हें मुजफ्फरपुर जाना था. यूपी-बिहार के बलथरी चेकपोस्ट पर पहुंचते ही इनमें से कई मजदूर ऐसे थे, जो बीमार हो चुके थे. मजदूरों का कहना था कि ट्रेनों में टिकट लेने के बाद भी जगह नहीं मिल रही है घर लौट सके. मोतिहारी के राज कुमार शर्मा ने बताया कि त्योहार पर घर लौटना भी जरूरी है. इसलिए बस में दोगुना किराया देने के बाद भी सीट नहीं मिली. ऐसे में मुजफ्फरपुर जा रही मालवाहक ट्रक में ही बैठकर सफर करना पड़ा. ट्रक से भी दिल्ली से मोतिहारी तक जाने के लिए प्रति व्यक्ति सात सौ रुपए किराया वसूला गया. दिल्ली से आनेवाली बसों में भी खचाखच भीड़ मिली. बलथरी चेकपोस्ट पर जांच के लिए रोकी गयी बसों में एक सीट पर तीन से चार यात्रियों को उपर-नीचे करके बैठाया गया था. कई यात्री खड़े होकर दिल्ली से दरभंगा जाने के लिए निकले थे. एक बस में 40 सीटें रहती है, लेकिन उसमें 80 से 100 यात्रियों को बैठाया गया था.