JLNMCH भागलपुर में मरीजों को नहीं मिल पा रहा बेड, सदर अस्पताल में बेड खाली, जानें क्या है मामला

Bhagalpur news: मारपीट या सड़क हादसे में घायल मरीज को लेकर पुलिस अस्पताल पहुंचती है. पीएचसी, रेफरल अस्पताल के चिकित्सक मरीज को देखते ही मायागंज अस्पताल रेफर कर देते है. ये सभी मरीज जेएलएनएमसीएच में ही भर्ती होना चाहते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | October 18, 2022 6:22 AM

भागलपुर: जवाहर लाल नेहरू मेडिकल काॅलेज अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड सोमवार को मरीजाें को बेड मिलना मुश्किल हो गया. सोमवार शाम को जो मरीज आये, उन्हें जमीन पर बैठा कर इलाज किया गया. यहां बेड की संख्या 40 से 70 किया गया है. दूसरी ओर, सदर अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड लगभग खाली रहती है. यहां भी मरीजों के लिए हर तरह की सुविधा उपलब्ध है. सामान्य घायल मरीजों के इलाज में यह अस्पताल पूरी तरह से सक्षम है.

अस्पताल अधीक्षक डाॅ असीम कुमार दास कहते हैं कि इमरजेंसी में सबसे ज्यादा मरीज मारपीट व सड़क दुर्घटना में घायल होकर आते हैं. गंभीर मरीज को बेड मिले, इसके लिए इमरजेंसी में पहले से भर्ती मरीज को वार्ड भेजा जाता है. परेशानी यह है वार्ड में मरीज जाते ही वापस इमरजेंसी में आ जाते है. ऐसे मरीज को किसी तरह सभी का इलाज किया जाता है.

मामूली जख्मी मरीज को किया जाता है रेफर

मारपीट या सड़क हादसे में घायल मरीज को लेकर पुलिस अस्पताल पहुंचती है. पीएचसी, रेफरल अस्पताल के चिकित्सक मरीज को देखते ही मायागंज अस्पताल रेफर कर देते है. ये सभी मरीज जेएलएनएमसीएच में ही भर्ती होना चाहते हैं.

सदर अस्पताल का इमरजेंसी रहता है लगभग खाली

सदर अस्पताल के विक्टोरिया भवन में इमरजेंसी सेवा उपलब्ध है. यहां मरीजों की संख्या कम है. यहां बेड लगभग खाली रहता है. बात सुविधा की करें, तो मायागंज अस्पताल की तरह यहां भी पैथोलाॅजी व रेडियोलाॅजी जांच की सुविधा उपलब्ध है. अस्पताल प्रशासन ने इमरजेंसी के लिए अलग से डाॅक्टर को नियुक्त किया है. इसके बाद भी यहां ज्यादा मरीज नहीं आते है. पीएचसी व रेफरल अस्पताल से भी मरीज को सदर अस्पताल नहीं बल्कि सीधे मायागंज अस्पताल रेफर किया जाता है.

मायागंज अस्पताल के स्टोर में मरीजों के लिए बेड रखा हुआ है. जिस वार्ड में बेड खराब होता है वहां तुरंत नया लगा दिया जाता है. लेकिन इमरजेंसी में जगह नहीं होने की वजह से आैर बेड लगाना संभव नहीं हो पा रहा है. सुबह से रात तक यहां मरीजों भरे रहते है. दस फिट का बरामदा भी मरीज की वजह से सिमट कर दो फिट का हो गया है.

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