दवा कंपनी, दुकानदार और डॉक्टरों की गठजोड़ से लुट रहे मरीज, महज कंपनी बदलते ही दवा हो जाती है 10 गुनी तक महंगी, जानिये पूरा मामला

विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि एक ही कंपोजिशन की अलग-अलग कंपनियों की दवाओं का असर एक ही तरह होता है. कंपनी बदलने यानी ब्रांड नेम अलग होने से दवाओं की गुणवत्ता पर कोई खास अंतर नहीं पड़ता है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 8, 2021 7:41 AM

आनंद तिवारी, पटना. दवा कंपनी, थोक दुकानदार, रिटेल दुकानदार और कुछ डॉक्टरों की गठजोड़ के चलते एक ही सिम्टम की दवा अलग-अलग कंपनियों में अलग-अलग दाम पर बिकती है. इसका सीधा असर ग्राहकों पर पड़ता है.

विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि एक ही कंपोजिशन की अलग-अलग कंपनियों की दवाओं का असर एक ही तरह होता है. कंपनी बदलने यानी ब्रांड नेम अलग होने से दवाओं की गुणवत्ता पर कोई खास अंतर नहीं पड़ता है.

प्रभात खबर ने इस संबंध में प्रदेश की सबसे बड़ी दवा मंडी गोविंद मित्रा रोड की दवा दुकानों की पड़ताल की और विशेषज्ञ डॉक्टरों से उनकी राय जानी.

मरीजों की मजबूरी का उठा रहे फायदा

जीएम रोड दवा मंडी से पटना सहित पूरे बिहार में दवाओं की सप्लाइ की जाती है. यहां थोक व रिटेलर सभी तरह की दुकानें हैं, जहां लगभग सभी कंपनियों की दवाएं मिलती हैं.

यहां बीपी, शुगर, कॉलेस्ट्रॉल से लेकर तमाम तरह की दवाएं मिलती हैं. हर कंपनी का अपना ब्रांड और अपना रेट तय है. एक ही सॉल्ट और एक ही डोज की दो अलग-अलग कंपनियों की दवाओं के दाम में दो से पांच गुना तक का अंतर हो सकता है.

यहां बड़ी कंपनियों की महंगी दवा तो आसानी से मिल जायेगी, मगर किसी अन्य कंपनी की वही दवा जो उससे काफी सस्ती होती है, उसे ढूंढ़ने में आपके पसीने छूट जायेंगे. मरीज को तो हर हाल में दवा लेनी है, इसी का फायदा दुकानदार उठाते हैं.

डायबीटिज की दवा

20 रुपये की गोली भी है और दो रुपये की भी डायबीटिज के लिए दी जाने वाली ग्लीमीप्राइड (2 एमजी) कंपोजिशन की दवा के दाम में बहुत ज्यादा फर्क है. एक कंपनी इस दवा की 10 गोलियां 40 रुपये में बेचती है, यानी एक गोली दो रुपये की.

वहीं, दूसरी कंपनी की यही दवा (10 गोलियां) 598 रुपये से अधिक में आती है. यानी एक गोली 20 रुपये की है.

ब्लड प्रेशर की

एक कंपनी टेलमी सार्टन कंपोजिशन की 40 एमजी के 30 टैबलेट्स 220.75 में बेचती है. यानी एक टैबलेट करीब सात रुपये की. पर एक अन्य कंपनी उसी दवा को (10 टैबलेट्स) 34.67 रुपये में बेचती है, यानी एक गोली मात्र 3.45 रुपये .

एंटीफंगस

एक गोली के दाम में 22 से 35 रुपये तक का अंतर है. एक कंपनी इट्राकेनोजोल-200 एमजी कंपोजिशन की दवा (10 गोलियों) के िलए 365 रुपये लेती है. यानी एक गोली 37 रुपये की पड़ी.वहीं दूसरी कंपनी की इसी कंपोजिशन की दवा 16 रुपये (प्रति टैबलेट) में मिल जाती है.

पेट में संक्रमण

पेट में संक्रमण को ठीक करने के लिए दी जाने वाली सेफ्टम 500 एमजी कंपोजिशन की दवा की कीमत में भी काफी अंतर है. एक कंपनी के चार टैबलेट 431 रुपये मिलते हैं, यानी एक गोली करीब 108 रुपये की है.

उधर, एक दूसरी कंपनी 324.80 रुपये में 10 गोलियां दे रही है, यानी एक गोली 32 रुपये में पड़ रही है. कीमत में यह अंतर तीन गुना है.

एलर्जी

एलर्जी दूर करने के लिए दी जाने वाली दवा के 10 टैबलेट एक कंपनी 56 रुपये में बेचती, तो दूसरी कंपनी इसे मात्र 18 रुपये में दे रही है.

पीएमसीएच के फिजियोलॉजी विभाग विभागाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार सिंह ने कहा कि इंग्लैंड की तरह एक कंपोजिशन की दवा का रेट भी एक हो अलग-अलग कंपनियों की एक ही कंपोजिशन की दवाओं का असर एक ही होता है.

देश में पहले कंपोजिशन से ही दवाएं बेची जाती थीं. वर्तमान में ट्रेड नेम के अनुसार दवाएं बेची जा रही हैं. यही वजह है कि कंपनियों ने अपना अलग-अलग रेट तय कर रखे हैं.

हालांकि, कई कंपनियां मॉलिकूल अलग-अलग रखती हैं. मेरा मानना है कि इंग्लैंड के तर्ज पर एक कंपोजिशन की दवाओं का रेट भी एक ही होना चाहिए.

Posted by Ashish Jha

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