पटना में 24 दिन के दौरान कोरोना से 84 की मौत, हर केस में दूसरी बीमारियों से कम होती गयी मरीजों इम्युनिटी
सबसे अधिक 50 साल से 92 साल उम्र के लोगों की संख्या ज्यादा है. हालांकि इस लहर में उन बुजुर्गों को वायरस नुकसान पहुंचाया है, जिन्हें शुगर ब्लड प्रेशर व अन्य पुरानी बीमारी भी थी.
आनंद तिवारी, पटना. शहर में कोरोना संक्रमण की रफ्तार में भले ही कमी आयी है, लेकिन अब भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों के प्रतिदिन मौत के मामले सामने आ रहे हैं. तीसरी लहर में बीते पांच जनवरी से 28 जनवरी यानी 24 दिन के रिकार्ड में 84 संक्रमितों की मृत्यु दर्ज हुई है. इसमें 3 साल की बच्ची से लेकर 90 साल के बुजुर्ग संक्रमितों की मौत दर्ज की गयी हैं. इनमें सबसे अधिक 50 साल से 92 साल उम्र के लोगों की संख्या ज्यादा है. हालांकि इस लहर में उन बुजुर्गों को वायरस नुकसान पहुंचाया है, जिन्हें शुगर ब्लड प्रेशर व अन्य पुरानी बीमारी भी थी.
गंभीर बीमारियों व बिना टीका वाले 85 फीसदी मरीजों की हुई मौत
शहर में सबसे अधिक मौत पटना एम्स अस्पताल में हुई है. इसके बाद पीएमसीएच, एनएमसीएच व आइजीआइएमएस अस्पताल शामिल हैं. चारों मेडिकल कॉलेज अस्पताल की ओर से मौत के बाद केस हिस्ट्री का पता किया गया़ जिसमें पता चला कि अभी वायरस का जो ट्रेंड चल रहा है उससे जाहिर है भले ही उसकी अटैकिंग क्षमता कम हो लेकिन इसमें कोमॉर्बिड लोगों का खास ध्यान रखना आवश्यक बताया गया है. वह इसलिए की पहले से ही दूसरी बीमारियां होने तथा साथ में कोरोना होने के चलते इम्युनिटी कम हो रही है. 84 मौतों में 85 प्रतिशत से अधिक ऐसे मरीज हैं जो पहले से गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे तो कुछ ऐसे भी मरीज थे, जिन्होंने कोरोना की टीका नहीं लगाया था़
इस बीमारी से पीड़ित होकर पहुंचे थे मरीज
मरने वाले 63 ऐसे लोग थे जो किडनी, डायबिटीज, हाइ ब्लड प्रेशर, अस्थमा, हार्ट, थेलेसीमिया आदि बीमारियों से ग्रस्त थे. कोरोना होने के साथ उनका ऑक्सीजन लेवल कम हुआ और अन्य परेशानियां बढी और मौत हो गयी लेकिन कारण कोरोना ही माना गया और रिकॉर्ड पर लिया गया. वहीं बाकी 15 प्रतिशत मरीजों में कुछ दूसरे जिले में गलत ऑपरेशन के बाद पटना रेफर किये गये थे तो कई ऐसे भी मरीज थे जो रोड एक्सीडेंट में गंभीर होकर अस्पताल पहुंचे थे तो कुछ की कोरोना की वजह से मौत हुई है़ बाकी अभी भी ऐसे कुछ मरीज संबंधित अस्पतालों में एडमिट हैं. इनमें से कुछ ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं तो कुछ आइसीयू में हैं.
इस तरह से हुई मौतें
केस 1: 70 प्रतिशत इन्फेक्शन के साथ किडनी की बीमारी
शहर के कंकड़बाग की रहने वाली 45 वर्षीय किरन देवी की गुरुवार को मौत पटना एम्स में हो गयी. किरन के लंग्स में 70 प्रतिशत इन्फेक्शन के साथ किडनी की बीमारी थी. उनकी हालत काफी गंभीर थी और डायलिसिस पर थी. मृतका भी कोरोना संक्रमित थी. उनकी मौत को दो दिन बाद रिकॉर्ड पर लिया गया.
केस 2: लिवर की बीमारी के साथ इम्युनिटी कम हो गयी थी
रोहतास जिले के रहने वाली 25 वर्षीय खुशबू में पटना एम्स में कोरोना से गुरुवार की रात मौत हो गयी. खुशबू को लिवर की बीमारी थी. मौत से पांच दिन पहले उसे कोरोना हो गया था. कोविड वार्ड में एडमिट होने के बाद तबीयत बिगड़ने पर आइसीयू में भर्ती करना पडा. कोविड के बाद इम्युनिटी कम होना भी खास कारण रहा.
केस 3: ब्रेन स्ट्रोक के साथ बीपी की बीमारी
पटना के रहने वाले 56 वर्षीय नरेश कुमार गुप्ता की मौत शुक्रवार को एम्स में हुई. नरेश को पहले से हाइ ब्लड प्रेशर की बीमारी थी. साथ ही उन्हें ब्रेन स्ट्रोक भी था. हालत खराब होने के बाद परिजन एम्स लेकर आये जहां कोरोना पॉजिटिव पाये गये थे. इलाज के दौरान नरेश ने दम तोड़ दिया़ कमोबेश यही स्थिति पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, पटना एम्स व एनएमसीएच में कोरोना से मरने वाले मरीजों में देखी गयी़
पटना में अब तक 84 मौत
5 जनवरी : 1
6 जनवरी : 0
7 जनवरी: 0
8 जनवरी : 2
9 जनवरी : 3
10 जनवरी : 5
11 जनवरी : 7
12 जनवरी : 6
13 जनवरी : 2
14 जनवरी : 3
15 जनवरी : 0
16 जनवरी : 3
17 जनवरी : 4
18 जनवरी : 6
19 जनवरी : 3
20 जनवरी : 8
21 जनवरी: 5
22 जनवरी: 0
23 जनवरी: 4
24 जनवरी: 4
25 जनवरी: 3
26 जनवरी: 6
27 जनवरी: 5
28 जनवरी: 4
क्या कहते हैं नोडल पदाधिकारी
पटना एम्स के कोविड वार्ड के नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार ने कहा कि तीसरी लहर में जो वायरस का जो ट्रेंड चल रहा है उसकी अटैकिंग क्षमता कम है, लेकिन इसमें कोमॉर्बिड लोगों का खास ध्यान रखना होगा़ एम्स में जितनी मौतें हुई हैं उनमें अधिकांश मरीज पुरानी बीमारी से ग्रसित थे़ अस्पताल आने के बाद जांच में पाया गया कि अधिकांश मरीजों का मल्टी आर्गन फेल था़ रिपोर्ट में कोविड पॉजिटिव आया और इलाज के दौरान मौत हो गयी़