पटना की हवा दिल्ली से ज्यादा प्रदूषित, इन छह जगहों पर वायु की गुणवत्ता सबसे खराब
मंगलवार को दिल्ली का एक्यूआइ- 286 दर्ज किया गया व पटना की वायु गुणवत्ता-312 दर्ज की गयी. वहीं समनपुरा इलाके की वायु गुणवत्ता मुरादपुर से ज्यादा खराब दर्ज की गयी. पिछले एक महीने से मुरादपुर की वायु गुणवत्ता समनपुरा से अधिक खराब दर्ज की जा रही थी.
पटना. पटना के छह एक्यूआइ स्टेशनों पर शहर के लगभग सभी इलाकों की वायु गुणवत्ता सबसे खराब स्थिति में दर्ज की गयी. मंगलवार को दिल्ली का एक्यूआइ- 286 दर्ज किया गया व पटना की वायु गुणवत्ता-312 दर्ज की गयी. वहीं समनपुरा इलाके की वायु गुणवत्ता मुरादपुर से ज्यादा खराब दर्ज की गयी. पिछले एक महीने से मुरादपुर की वायु गुणवत्ता समनपुरा से अधिक खराब दर्ज की जा रही थी. समनपुरा का एक्यूआइ 397 और मुरादपुर का एक्यूआइ 374 दर्ज किया गया.
शहरवासियों को काफी नुकसान
तारामंडल के पास एक्यूआइ 225 यानि खराब दर्ज किया गया. इसके अलावा शिकारपुर का एक्यूआइ 224 व राजवंशीनगर में 318 दर्ज किया गया है. प्रदूषण जानकारों को कहना है कि शहर में लगातार वायु प्रदूषण की स्थिति खराब होने से शहरवासियों को काफी नुकसान हो रहा है. इसमें कई तरह के रोग होने का खतरा भी बढ़ रहा है. परेशानी की बात यह है कि शहर भर के इलाकों में सर्दियों के दिनों में लगातार वायु प्रदूषण की स्थिति बनी रहेगी. पिछले कुछ दिनों से राजधानी में प्रदूषण की स्थिति में लगातार खराब होने के कारण बच्चों व बूढ़ों को ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है.
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देश में बिहार के शहरों की वायु गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब
देश भर में लगे 245 एक्यूआइ स्टेशन पर बिहार के शहरों का एक्यूआइ सबसे खराब दर्ज किया गया. इसमें बिहार के कई शहरों की वायु गुणवत्ता येलो व रेड जोन में दर्ज की जा रही है. मंगलवार को बिहार के सात शहरों का एक्यूआइ देश भर के के शहरों में सबसे खराब दर्ज किया गया. उत्तर बिहार के कई शहरों का एक्यूआइ 300 के पार दर्ज किया गया है.
सात सबसे प्रदूषित शहर-
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कटिहार- 378
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अररिया- 353
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सहरसा- 351
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भागलपुर- 338
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आरा- 324
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छपरा- 322
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पटना- 312
बढ़ रहा बीमारियों का खतरा
फिजिशियन डॉ एनपी वर्मा ने कहा कि ऐसे वातावरण से फेफड़े से संबंधित समस्या के ज्यादा मरीज आ रहे है. वायु गुणवत्ता बहुत खराब होने से निमोनिया और आजीवन अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है. ऐसे इलाके जहां लगातार वायु गुणवत्ता 300 के पार रहती है. वहां के लोगों की औसतन आयु 3 से 5 साल घट सकती है. ध्वनि व वायु प्रदूषण से बच्चे व बूढे व्यक्ति को ज्यादा नुकसान पहुंचता है. इससे बचने के लिए सरकार से लेकर हर व्यक्ति को योगदान करना चाहिए जिसमें वाहनों का प्रयोग कम करना चाहिए, हर मकान में ग्रीन एरिया का कॉन्सेप्ट लाना होगा.