शहर में कई ऐसी दुर्गा पूजा समितियां हैं, जो 100 वर्षों से अधिक समय से शहर में पंडाल निर्माण कर पूजा का आयोजन करती आ रही हैं. चितकोहरा स्थितचावल बाजार, चूड़ी मार्केट (कदमकुआं), गांधी स्मारक सदन (पुनाईचक), जीएम रोड, बिहार को-ऑपरेटिव कैंपस (छज्जूबाग) आदि कई समितियों का इतिहास 100 वर्षों से अधिक का रहा है. वर्तमान में भी समितियां भव्य तरीके से पूजा आयोजित कर रही हैं. पेश है रिपोर्ट..
शहर के बंगाली अखाड़ा पूजा समिति का इतिहास काफी पुराना है. यहां पर बंगाली पद्धति से वर्षों से मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना होते रही है. सर्वप्रथम वर्ष 1893 से माता का पूजन शुरू किया गया था. यहां स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजों से बचने के लिए कुश्ती करने के बहाने आंदोलन को लेकर रणनीति बनाते थे. वहीं, अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंकने के लिए उसी वर्ष नवरात्र के मौके पर मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना आरंभ की थी. यहां पर स्थापित होने वाली मूर्ति की खास बात है कि मां की सभी प्रतिमाएं एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं. इनका निर्माण कोलकाता के मूर्तिकार अशोक पाल करते रहे हैं. यहां लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है.
शहर के जीएम रोड स्थित 16 हजार वर्ग फुट में इस वर्ष पूजा पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है. पूजा के दौरान शिव तांडव, महिषासुर वध व राधा-कृष्ण रासलीला का आयोजन होगा. समिति के महासचिव अर्जुन यादव बताते हैं कि वर्ष 1920 से श्रीश्री दुर्गा पूजा संगीत समिति के तत्वाधान में यहां पूजा का आयोजन हो रहा है. इतिहास की बात करें तो पूजा के दौरान तबला वादक गोदई महाराज, बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया, कथक नृत्यांगना माया चटर्जी, आदिविश्व प्रसिद्ध कलाकार आते थे. इसके संस्थापक चुरामन यादव हैं. तीसरी पीढ़ी इस वर्ष पूजा का आयोजन कर रही है. यहां की झांकियां भी खास रहती है. पटना हवाई जहाज दुर्घटना, गुजरात में भूकंप, आदि कई झांकियों की प्रस्तुति से दी गई ह
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चितकोहरा स्थित चावल बाजार में इस वर्ष मां की प्रतिमा के साथ अन्य देवी-देवता बांग्ला साज-सज्जा में नजर आयेंगे. यहां कोलकाता परिवेश में राम, लक्ष्मण व सीता की तस्वीर लगायी जायेगी. यहां हर वर्ष श्रीश्री दुर्गा पूजा समिति नवयुवक संघ के तत्वावधान में पूजा का आयोजन किया जाता है. खास बात यह है कि यह समिति इस वर्ष 105वीं वर्षगांठ मना रही है. इसके अध्यक्ष जवाहर केशरी हैं. समिति के नाथन रजक बताते हैं कि केरोसिन तेल की मदद से रोशनी का इंतजाम कर बसंत साव व बिहारी लाल के नेतृत्व में पूजा की शुरुआत हुई थी.
बेली रोड पुनाईचक के गांधी स्मारक सदन में वर्ष भव्य पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है. यहां से 1500 मीटर तक लाइटें भी लगायी जा रही हैं. यहां बन रहे देवी-देवताओं के प्रतिमा बनाने की जिम्मेदारी कोलकाता के कारीगर संजय व टुनटुन कुमार को दी गयी है. खास बात यह है कि इस समिति में 100 से भी ज्यादा सदस्य हैं और पिछले 110 वर्षों से पूजा का आयोजन किया जा रहा है. इसके अध्यक्ष बसंत सिंह हैं. उन्होंने बताया कि प्रतिमा का निर्माण पाल कालीन कला के आधार पर किया जा रहा है.
शहर के कदमकुआं स्थित शिवालय मंदिर के पास श्रीश्री दुर्गा पूजा कल्याण समिति के द्वारा वर्ष 1918 से ही पूजा का आयोजन किया जा रहा है. इस वर्ष समिति 106 वां वर्षगांठ पर बन रहे पंडाल को इको फ्रेंडली रखने की कोशिश कर रही है. समिति के सदस्य सोहन व नरेश बताते हैं कि पंडाल में बांस, कपड़ा व अन्य प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है. भव्य सजावट के लिए बन रही कलाकृतियों में भी प्राकृतिक चीजों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है. मां दुर्गाशिवालय मंदिर की तरह बन रहे पंडाल में विराजेंगी.