पीने लायक है पटना का भूजल, आर्सेनिक नहीं, टीडीएस भी है सही
पटना के लोगों के लिए एक सकून देनेवाली खबर है. गंगा नदी के तट पर बसने के बावजूद पटना के पानी में आर्सेनिक नहीं है. सैंपल लिये और उनकी जांच की. इनमें से किसी में अर्सेनिक की मात्रा वांछित सीमा से अधिक नहीं निकली.
अनुपम कुमार पटना. पटना के लोगों के लिए एक सकून देनेवाली खबर है. गंगा नदी के तट पर बसने के बावजूद पटना के पानी में आर्सेनिक नहीं है. बीते चार और पांच अप्रैल को राजधानी के पांच क्षेत्रों-हाइकोर्ट के पास जल पर्षद कार्यालय, आइजीआइएमएस कैंपस, भूतनाथ रोड, पीएमसीएच कैंपस और मालसलामी के बोरवेल के जल का बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने सैंपल लिये और उनकी जांच की. इनमें से किसी में अर्सेनिक की मात्रा वांछित सीमा से अधिक नहीं निकली.
पीने की दृष्टि से पूरी तरह सही
पानी की टीडीएस (टोटल डिसॉल्वड सॉलिड) भी पांच में से चार जगह जल पर्षद कार्यालय के पास, आइजीआइएमएस कैंपस, भूतनाथ रोड और पीएमसीएच कैंपस में 300 से 400 के बीच की मिली, जो पीने की दृष्टि से पूरी तरह सही है. पटना का पानी आराम से पीया जा सकता है. हाल के दिनों में पटना के पानी को लेकर काफी आशंकाएं जतायी गयी थी, लेकिन इस रिपोर्ट के आने के बाद पटना के लोगों को राहत मिली है.
टीडीएस 400 से अधिक
पटना सिटी के मालसलामी मुहल्ले से लिये गये सैंपल में टीडीएस 400 से अधिक होने के बावजूद 500 की अधिकतम सीमा के नीचे ही था. पानी का पीएच वैल्यू भी अलग-अलग जगहों से एकत्र कियेगयेसैंपल में 7 से 7.5 के बीच पाया गया, जो पूरी तरह बेहतर है. पीएचइडी द्वारा भी बीते तीन महीने में पटना शहर के अलग-अलग मुहल्लों से आये 19 प्राइवेट सैंपलों की जांच की गयी. लेकिन, उनमें आयरन को छोड़कर अन्य सभी तत्व वांछित सीमा के अंदर ही पाये गये.
पानी में लोहे की मात्रा अधिक
केवल आयरन की मात्रा एक होने के बजाय कहीं-कहीं 1.2 या 1.5 तक पायी गयी. हालांकि, उसका भी स्वास्थ्य पर कोई खास बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है. इ-कोलाई बैक्टीरिया कहीं नहीं मिला, जो पेट से संबंधित बीमारियों को पैदा करता है. टर्बिडिटी (पानी में मौजूद मिट्टी का अंश) भी दो से पांच के बीच पाया गया.