आदित्य सचदेवा रोडरेज केस में रॉकी यादव समेत 3 आरोपियों को पटना HC ने किया बरी, पुलिस नहीं पेश कर पाई ठोस सबूत
गया के चर्चित आदित्य सचदेवा रोडरेज केस में पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला देते हुए तीनों आरोपी को बड़ी कर दिया है. मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पुलिस इस मामले में साक्ष्य पेश कर आरोप का साबित करने में सफल नहीं हुई.
गया में सात साल पहले एक व्यवसायी के पुत्र आदित्य सचदेवा की बीच सड़क पर गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में जदयू एमएलसी मनोरमा देवी के बेटे राॅकी यादव उर्फ राकेश रंजन, राॅकी के चचेरे भाई टेनी यादव व अंगरक्षक राजेश कुमार को मुख्य आरोपित बनाया गया था. वहीं जांच के दौरान घटना से जुड़े साक्ष्यों को छिपाने के आरोप में राॅकी के पिता बिंदेश्वरी प्रसाद यादव उर्फ बिंदी यादव को भी आरोपित बनाया गया था. वहीं अब इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को हत्या से मुक्त कर दिया है.
निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट ने किया रद्द
पटना हाईकोर्ट में जस्टिस ए.एम. बदर और जस्टिस हरीश कुमार की बेंच ने फैसला सुनाते हुए अभियुक्तों को बड़ी करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इन अभियुक्तों के विरुद्ध किसी भी प्रकार का साक्ष्य उपलब्ध नहीं हो पाया है, बावजूद इसके निचली अदालत ने उन्हें उम्र कैद की सजा सुनायी है. कोर्ट ने इन अभियुक्तों को दी गयी उम्र कैद की सजा को निरस्त करते हुए निचली अदालत को कहा कि अगर ये किसी अन्य मामले में जेल में नहीं हैं, तो इन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा किया जाये. साथ ही कोर्ट ने कहा कि इनके द्वारा अगर इस मामले में किसी भी तरह का अर्थदंड वसूल किया गया है, तो उसे भी तत्काल लौटा दिया जाये.
कोर्ट ने 108 पन्नों का दिया जजमेंट
इस मामले में गया के रामपुर थाना में कांड संख्या 130 /2016 दर्ज कराया गया. प्राथमिकी की जांच करने के बाद पुलिस ने रॉकी यादव समेत अन्य को भी अभियुक्त बनाते हुए आरोप पत्र दायर किया. गया के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने वर्ष 2017 में रॉकी यादव समेत उसके अन्य दो दोस्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. सजा के खिलाफ इन अभियुक्तों ने पटना हाईकोर्ट में निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर किया जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 108 पन्नों के जजमेंट में इन अभियुक्तों को रिहा करने का निर्देश निचली अदालत को दिया.
क्या था पूरा मामला
बता दें कि यह घटना सात मई 2016 की है जब आदित्य सचदेवा अपने चार दोस्तों अंकित, आयुष, कैफी व नासिर के साथ कार से बोधगया गया था. देर शाम लौटने के क्रम में एक लैंडरोवर गाड़ी उनकी गाड़ी के पीछे थी. लैंडरोवर का चालक लगातार साइड मांग रहा था. इसी क्रम में आदित्य की कार पुलिस लाइन रोड की ओर मुड़ी और पीछा से आ रहा लैंडरोवर कार का चालक भी उसी तरफ प्रवेश कर गया. लैंडरोवर में सवार लोगों ने आदित्य की कार को रूकवा दिया व उसके दोस्तों के साथ मारपीट शुरू दी. आदित्य समेत उसके दोस्त डर गये और गाड़ी भगाने का प्रयास किया. इस क्रम में पीछे से गोली चली, जो कार के पिछले शीशे को छेदते हुए आदित्य के सिर में आ लगी.
इलाज के दौरान हुई थी आदित्य की मौत
इसके बाद उसके दोस्तों ने मगध मेडिकल काॅलेज व अस्पताल में उसए भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. जिसके बाद इस मामले में मृत आदित्य के भाई आकाश सचदेवा ने कार में सवार भाई के दोस्तों के बयान पर राॅकी यादव, टेनी यादव व राजेश यादव के खिलाफ रामपुर थाने में एफआइआर दर्ज करायी थी. इसमें उसने बताया कि राॅकी यादव ने साइड नहीं मिलने पर आदित्य व उसके दोस्तों के साथ मारपीट की और गोली चलायी.
कोर्ट ने तीनों आरोपियों को सुनाई थी उम्र कैद की सजा
मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गया की निचली अदालत ने इस मामले में तेजी से सुनवाई करते हुए 6 सितंबर 2017 को फैसला दे दिया था. मामले में गया के एडीजे वन सच्चिदानंद सिंह ने रॉकी यादव को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. वहीं, हत्या के आरोपी टेनी यादव और एमएलसी मनोरमा देवी के बॉडीगार्ड राजेश को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. रॉकी के पिता बिंदी यादव को सबूत मिटाने और आरोपी को मदद पहुंचाने के आरोप में 5 साल की सजा दी गयी थी. कोरोना के दौरान बिंदी यादव की मौत हो गयी थी.