Loading election data...

बिहार सरकार को जातीय गणना कराने की मिली अनुमति, पटना हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद जानें अब क्या होगा..

बिहार में जातीय गणना को लेकर बड़ी जानकारी आई है. पटना हाईकोर्ट ने विरोधियों की याचिका को खारिज करते हुए नीतीश कुमार की सरकार को जातीय गणना कराने की अनुमति दे दी है. वहीं अब विरोधी खेमा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है.

By ThakurShaktilochan Sandilya | August 1, 2023 2:35 PM

बिहार में जातीय गणना को लेकर बड़ी खबर सामने आयी है. पटना हाईकोर्ट ने विरोधियों की याचिका पर सुनवाई के बाद सुरक्षित रखे गये फैसले को सुनाया है. बिहार सरकार को बड़ी राहत दी गयी है. बिहार सरकार को पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना कराने की अनुमति दे दी है.

सुरक्षित रख लिया गया था फैसला

पटना हाईकोर्ट में जातीय गणना को लेकर हुई सुनवाई के बाद का फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. इस फैसले को आज सामने लाया गया. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने बड़ा फैसला सुनाया और प्रदेश की नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार को बड़ी राहत दी. हाईकोर्ट ने विरोधियों की याचिका को खारिज करते हुए सूबे में जातीय गणना कराने की अनुमति दे दी है. जिसके बाद अब याचिकाकर्ता इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं.

पांच दिनों तक सुनवाई के बाद फैसला रखा गया था सुरक्षित

बता दें कि पटना हाईकोर्ट में पांच दिनों तक सुनवाई चलने के बाद 7 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन व न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई की थी. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही, अपर महाधिकवक्ता अंजनी कुमार समेत अन्य ने दायर अर्जी का विरोध किया था. याचिकाकर्ता ने जाति आधारित गणना पर सवाल उठाते हुए इसे संविधान का विरोधी बताया था.

राज्य सरकार के वकील की दलील..

वहीं राज्य सरकार की ओर से पक्ष रख रहे महाधिवक्ता का कहना था कि राज्य सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर ही इस सर्वे को कराने की शुरुआत की है. बता दें कि दोनों पक्षों को सुनते हुए अदालत ने 4 मई को जाति आधारित सर्वे पर अंतरिम आदेश जारी करके रोक लगा दिया था. इसके बाद 3 जुलाई से 7 जुलाई तक इस मामले की सुनवाई चली थी.

अपनी खर्च पर नीतीश सरकार करवा रही गणना

पटना हाईकोर्ट के इस अहम फैसले के बाद अब सूबे में फिर एकबार जाति गणना का काम शुरू कराया जाएगा. गौरतलब है कि 27 फरवरी 2020 को बिहार विधानसभा से कास्ट सर्वे का प्रस्ताव पारित हुआ था. इसमें सभी दलों का समर्थन सरकार को मिला था. वहीं केंद्र सरकार की ओर से साफ कर दिया गया था कि केंद्र जाति आधारित गणना नहीं कराएगी. राज्य अपने खर्च पर गणना कराने को स्वतंत्र है.

सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में सुनवाई.. सर्वे पर लगा रोक

2 जून 2022 को नीतीश कुमार की कैबिनेट से जातीय गणना का प्रस्ताव पारित कर दिया गया. वहीं 7 जनवरी 2023 को बिहार में जातीय गणना के काम की शुरूआत कर दी गयी. पहले फेज का काम शुरू हो गया. 15 अप्रैल 2023 को जातीय गणना के दूसरे फेज की शुरुआत हो गयी. वहीं 21 अप्रैल 2023 को जाति आधारित गणना का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. 27 अप्रैल 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने को कहा. 4 मई 2023 को पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए बिहार में जाति गणना पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया. हाईकोर्ट ने 3 जुलाई 2023 को सुनवाई की तारीख रखी. जिसके खिलाफ सूबे की सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट ही भेजा और अब उस सुनवाई का फैसला आ गया है. जिसके बाद नीतीश सरकार फिर से जाति गणना करा सकेगी.

तेजस्वी यादव ने फैसले पर क्या कहा..

पटना हाईकोर्ट के फैसले पर बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया सामने आयी है. तेजस्वी यादव ने कहा कि ये आर्थिक न्याय की दिशा में बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम होगा.


जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा..

जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि बिहार एक नजीर पेश करेगा. जनता की समाजिक आकांक्षा व राजनीतिक तिकड़म करने वाले लोग जो जाति सर्वे को अपरोक्ष रूप से रोकने की साजिश कर रहे थे, अदालत ने ऐसी दूषित मंशा वाली याचिका को खारिज किया. नीतीश कुमार के लिए गए निर्णय बिहार ही नहीं बल्कि देश के दूसरे राज्यों के लिए नजीर बनेगा.

याचिकाकर्ता के वकीलों का बयान..

याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रख रहीं वकील रीतिका रानी ने कहा कि याचिका खारिज कर दी गयी है और अब जजमेंट की कॉपी पढ़ने के बाद हम आगे की रणनीति तय करेंगे. उन्होंने कहा कि जजमेंट पढ़ने के बाद हम एक सप्ताह के अंदर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. याचिकाकर्ता के एक अन्य वकील दीनू कुमार ने कहा कि बिहार सरकार को जनगणना का अधिकार नहीं है. ये हाईकोर्ट ने भी माना था और अब याचिका खारिज कर दी गयी. अब जजमेंट पढ़ने के बाद ही सबकुछ साफ होगा कि क्यों याचिका खारिज हुई. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पूर्व में कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही इसपर सुप्रीमकोर्ट आगे बढ़ सकती है.

Next Article

Exit mobile version