जातीय गणना पर रोक लगाने से जुड़ी याचिका के पटना हाइकोर्ट में खारिज होने के बाद याचिकाकर्ताओं ने उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है. याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने बताया कि हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जायेगी. वरीय अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसले का इस आदेश से उल्लंघन होता है. सरकार ने यह नहीं बताया कि वह पांच सौ करोड़ जाति गणना में किस मद से खर्च करेगी. दीनू कुमार ने कहा कि राज्य सरकार को जाति गणना कराने का अधिकार नहीं हे. इन सब मुद्दों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की जायेगी.
कब – क्या हुआ
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27 फरवरी, 2020 : जाति गणना का प्रस्ताव विधानसभा में पारित:: अगस्त, 2021 : विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जाति गणना कराये जाने को लेकर मुलाकात की
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23 अगस्त,2021 :मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और भाजपा समेत समेत 11 दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर जातिय जनगणना कराये जाने की मांग की
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01 जून, 2022 : पटना में जाति गणना कराये जाने को लेकर सर्वदलीय बैठक, सहमति बनी
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07 जनवरी, 2023 – राज्य में पहले चरण की जाति गणना का का कार्य आरंभ
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04 मई, 2023 : पटना हाइकोर्ट ने जाति गणना पर अंतरिम रोक लगायी, 03 जुलाई को विस्तार से सुनवाई का निर्देश
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05 मई ,2023 : राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट में इंटरलोकेट्री आवेदन दायर किया
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09 मई्र,2023 : पटना हाइकोर्ट में राज्य सरकार की इंटरलोकेट्री याचिका खारिज
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11 मई, 2023 : बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किया
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17 मई,2023: सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय करोल ने इस याचिका की सुनवाई से अपने को अलग किया
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18 मई, 2023 :सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाइकोर्ट के आदेश को बदलने से किया इनकार
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03 जुलाई,2023 : पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई शुरू
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07 जुलाई, 2023 : पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
राज्य सरकार को मिली जातीय गणना मामले में बड़ी राहत
बता दें कि पटना हाइकोर्ट ने राज्य में करायी जा रही जातियों की गणना और आर्थिक सर्वेक्षण के मामले में राज्य सरकार को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने जातियों की गणना और आर्थिक सर्वेक्षण कराने संबंधी सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को मंगलवार को खारिज कर दिया. मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने यूथ फॉर इक्विलिटी और अन्य द्वारा दायर कई याचिकाओं पर मंगलवार को अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने इस मामले में सात जुलाई को सभी पक्षों के बहस को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसके पहले कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा कराये जा रहे जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को करने पर रोक लगा दी थी.
कोर्ट ने 101 पन्ने का दिया फैसला
कोर्ट ने 101 पन्ने के अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार को यह सर्वे कराने का पूर्ण अधिकार है. यह काम वह कानून के दायरे में और अपने अधिकार के तहत करा रही है. इससे किसी की निजता का उल्लंघन नहीं किया जा रहा है. वह अपने राज्य की जनता के हित में यह कार्य करा रही है, ताकि अपने राज्य की जनता को उसके आर्थिक स्थिति के अनुसार सुविधा उपलब्ध करा सके .
डाटा संग्रहीत रहेगा और किसी को उजागर नहीं किया जायेगा
कोर्ट ने सरकार के इस काम पर लगाये गये रोक को हटाते हुए उसे राज्य में आर्थिक सर्वे जातीय गणना कराने की अनुमति प्रदान कर दी. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा एकत्रित किया गया डाटा उसके पास संग्रहित रहेगा और यह किसी को उजागर नहीं किया जायेगा.
सात जनवरी से शुरू हुई थी जाति गणना
बिहार सरकार ने सात जनवरी, 2023 से जातीय जनगणना की शुरुआत राज्य में करायी थी. शुरुआत होने के बाद पांच अप्रैल को याचिकाकर्ताओं द्वारा हाइकोर्ट में सरकार के आदेश को चुनौती देते हुए कई रिट याचिकाएं दायर की गयी थी. 16 अप्रैल को हाइकोर्ट में इन याचिकाओं सुनवाई मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंदन और न्यायाधीश मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ में शुरू हुई. चार मई को कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा कराए जा रहे सर्वे को रोक लगाते हुए इस मामले को विस्तृत सुनवाई के लिए तीन जुलाई को निर्धारित किया था.
जाति गणना शुरू करने के लिए डीएम को आदेश
पटना हाईकोर्ट से जाति गणना की रोक संबंधित सभी रिट याचिकाएं को खारिज होने के बाद सरकार ने मंगलवार को प्राथमिकता पर जाति गणना शुरू करवाने का आदेश सभी जिलाधिकारियों को दिया है. कोर्ट का फैसला आने के तुरंत बाद मुख्य सचिव आमीर सुबहानी की अध्यक्षता में आला अधिकारियों की बैठक हुई. इसमें सभी डीएम को पटना हाइकोर्ट के फैसले के आलोक में जाति गणना का कार्य तुरत शुरू कराने के निर्देश दिये गये. मुख्य सचिव ने कहा कि पटना हाइकोर्ट के फैसले के अनुरूप जाति गणना का काम शुरू करने का निर्देश दिया गया है. मुख्य सचिव ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिये सभी विभागों के सचिव, प्रमंडलीय आयुक्त और डीएम को जाति गणना शुरू कराने का निर्देश दिया. साथ ही इसके लिए जरूरी मानव संसाधन उपलब्ध कराने को कहा.
सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किया आदेश
सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में एक आदेश भी जारी किया. इसमें कहा गया है कि चार मई को पटना हाइकोर्ट ने जाति गणना कराने के बिहार सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी. कोर्ट के निर्देशानुसार गणना रोकने का आदेश दिया गया था. कोर्ट के मंगलवार को आये फैसले के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने चार मई को दिये अपने आदेश वापस लेते हुये जाति गणना कार्य तत्काल शुरू करने का आदेश सभी डीएम को दिया है.