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पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को दिया निर्देश, अगुवानी पुल मामले में शपथ पत्र के साथ दें कार्रवाई का ब्योरा

अगुवानी घाट पुल गिरने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने दो अलग-अलग लोकहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह इसको लेकर हो रही कार्रवाई का ब्योरा शपथ पत्र पर दें.

By Prabhat Khabar News Desk | June 22, 2023 12:22 AM

भागलपुर के पास गंगा नदी पर बन रहे अगुवानी घाट पुल के ध्वस्त होने के मामले पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह इसको लेकर हो रही कार्रवाई का ब्योरा शपथ पत्र पर दें. बुधवार को मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन व न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने अधिवक्ता मणिभूषण सेंगर व ललन कुमार द्वारा इस मामले को लेकर दायर की गयी दो अलग-अलग लोकहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 12 अगस्त को निर्धारित की है.

दो सप्ताह के अंदर जवाबी हलफनामा दायर करेगी सरकार

कोर्ट ने दोनों पक्षों को कहा कि सरकार द्वारा दो सप्ताह के अंदर जो भी जवाबी हलफनामा दायर किया जायेगा, इसका अगर याचिकाकर्ता चाहे तो जवाब अगले दो सप्ताह के अंदर दे सकता है ताकि इस मामले पर 12 अगस्त को हर कीमत पर सुनवाई की जा सके.

एमडी को कोर्ट में उपस्थित होने का दिया गया था निर्देश

इससे पूर्व ग्रीष्मावकाश के दौरान जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह की एकल पीठ ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान इस मामले में गंभीर रुख अख्तियार करते हुए निर्माण करने वाली कंपनी के एमडी को 21 जून को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश देते हुए जवाब मांगा था. कोर्ट ने पुल निर्माता कंपनी को विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश देते हुए कहा था कि वह पूरी जानकारी कोर्ट को दे, जिसमें पुल की लम्बाई, डीपीआर, मिट्टी की गुणवत्ता आदि का पूरा विवरण उपलब्ध हो. कोर्ट ने सरकार से भी इस मामले में कार्रवाई रिपोर्ट तलब की थी.

सेवानिवृत्त जज से जांच कराने का अनुरोध

कोर्ट ने याचिकाकर्ता ललन कुमार को निर्देश दिया कि वह भी अपनी याचिका में निर्माण कार्य कर रही कंपनी एसपी सिंगला को भी प्रतिवादी बनाए, ताकि उनसे जवाब तलब किया जा सके. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि निर्माण कंपनी के घटिया कार्य और घटिया सामग्री लगाने से यह पुल दोबारा टूट गया है. पुल का निर्माण कार्य 1700 करोड़ रुपए की लागत से हो रहा है. याचिकाकर्ता ने इस मामले की जांच किसी भी स्वतंत्र एजेंसी या किसी भी सेवानिवृत्त जज से कराने का अनुरोध हाइकोर्ट से किया.

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