पटना हाईकोर्ट ने लगायी असिस्टेंट प्रोफेसर को नियुक्ति पत्र देने पर रोक, जानें कहां फंसा पेंच

बिहार में चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर को नियुक्ति पत्र जारी करने पर पटना हाईकोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है. चल रही नियुक्ति प्रक्रिया के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने यह निर्देश दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2022 7:09 PM

पटना. बिहार में चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर को नियुक्ति पत्र जारी करने पर पटना हाईकोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है. चल रही नियुक्ति प्रक्रिया के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने यह निर्देश दिया है. बिहार के 12 विश्वविद्यालयों में 4 हज़ार से अधिक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण नियमों की अनदेखी करने का आरोप है.

नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक नहीं 

न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने डॉ. अमोद प्रबोधी सहित अनेक अभ्यर्थियों की ओर से दायर तीन अलग-अलग रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बिहार राज्य यूनिवर्सिटी सर्विसेज कमीशन को नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने का कोई आदेश नहीं दिया, केवल नियुक्तियों की सूची या नियुक्ति पत्र को जारी करने पर रोक लगाया गया है.

करीब तीन चौथाई से अधिक रिक्तियों को आरक्षित किया गया

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता पीके शाही ने बहस करते हुए कोर्ट को बताया कि आरक्षण नियम के अनुसार किसी भी परिस्थिति में 50 फ़ीसदी से अधिक रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता, जबकि इस विज्ञापन में आरक्षित श्रेणी के लिए करीब तीन चौथाई से अधिक रिक्तियों को आरक्षित कर लिया गया है.

रिजर्वेशन नियम 50 फ़ीसदी से अधिक नहीं हो सकते

राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट में बताया गया कि उक्त विज्ञापन में प्रकाशित रिक्तियों की संख्या में वर्तमान वैकेंसी के साथ-साथ बैकलॉग यानि पिछली रिक्तियों पर नियुक्तियां नहीं हो सकी थीं, उन्हें भी जोड़ कर विज्ञापित किया गया है. इसपर पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि बैकलॉग रिक्तियों को वर्तमान रिक्तियों से जोड़ करने पर भी रिजर्वेशन नियम 50 फ़ीसदी से अधिक नहीं हो सकते.

अगली सुनवाई 10 जनवरी 2023 को होगी

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के 2 आला अधिकारियों को तलब किया था. जब उनसे एकलपीठ ने बैकलॉग वैकेंसी के में आरक्षण रोस्टर के तौर तरीकों पर सवाल किया तो सरकार की तरफ से कोई भी स्पष्ट उत्तर नहीं मिला. हाई कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि अगर आप नियम नहीं बता सकते तो ऐसी परिस्थिति में कोई भी नियुक्ति पत्र जारी करना न्यायोचित नहीं होगा. कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को पिछली तीन नियुक्ति प्रक्रियाओं की पूरी फाइल को पेश करने का आदेश दिया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 10 जनवरी 2023 को होगी.

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