पटना हाईकोर्ट ने स्टेट हाइवे पर कम पेट्रोल पंप होने के मामले पर मांगी जानकारी, अब 18 को होगी अगली सुनवाई
राज्य के नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे पर पर्याप्त संख्या में पेट्रोल पंप नहीं होने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की है. इन मामलों में संबंधित जिला के डीएम की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण यह मामला अटका हुआ हैं. पटना हाईकोर्ट ने 18 अप्रैल तक करवाई की पूरी जानकारी मांगी है.
पटना . राज्य के नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे पर पर्याप्त संख्या में पेट्रोल पंप नहीं होने के मामले पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2018 से पेट्रोल पंप स्थापित करने के लिए लगभग एक हजार आवेदन लंबित पड़ा हुआ हैं. इन मामलों में संबंधित जिला के डीएम की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण यह मामला अटका हुआ हैं. इस बात की जानकारी सुनवाई के समय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को दी गई. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों के साथ साथ संबंधित तेल कंपनियों से भी पूरी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा था. कोर्ट ने जानना चाहा था कि अबतक नेशनल और स्टेट हाइवे में कितने पेट्रोल पम्प चालू अवस्था में हैं.
जनसंख्या और वाहनों की संख्या को देखते हुए कितने पेट्रोल पम्प खोलने की आवश्यकता है. इस बारे में हाल में सर्वे किये गए हैं या नहीं. सुनवाई के समय कोर्ट ने कहा कि राज्य के इन पेट्रोल पम्पों पर आम लोगों के लिए बुनियादी सुविधाओं की भी काफी कमी हैं. पेय जल, मेडिकल किट, शौचालय आदि बुनियादी सुविधाओं की ब्यवस्था नहीं हैं. कोर्ट ने इन सड़कों से गुजरने वाले लोगों को होने वाली परेशानियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि संबंधित पक्ष इस मामले में की जाने वाली करवाई की पूरी जानकारी 18 अप्रैल तक कोर्ट को उपलब्ध कराए. इस मामले पर 18 अप्रैल, 2022 को फिर सुनवाई की जाएगी.
पटना हाई कोर्ट ने की अतिक्रमण से संबंधित मामले पर सुनवाई
पटना हाई कोर्ट ने कहा कि जो सरकार अपनी ही जमीन की सुरक्षा नहीं कर सकती है. वह राज्य की आम जनता के जमीन की सुरक्षा कैसे कर सकती है . कोर्ट ने इस मामले में सरकार के रवैये पर मौखिक रूप से तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा की इससे ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार के अधिकारियों की अतिक्रमणकारियों के साथ मिलीभगत है. वे नहीं चाहते हैं कि अतिक्रमित किये जमीन से अतिक्रमणकारी हटे. यह बहुत दुख की बात है की पटना के हृदयस्थल में ऐसा हो रहा है और सरकार उसमे कुछ नहीं कर पा रही है. कोर्ट ने कहा कि यही कारण है कि राज्य सरकार अपनी संपत्ति की सुरक्षा नहीं कर पा रही है. जिसके कारण पटना हाई कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है. यह बातें मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने पटना के बुद्धा कॉलोनी में स्थित राजेन्द्र स्मारक के नाम से तालाब बनाने को लेकर अधिग्रहित की गई जमीन पर किये गए अतिक्रमण से संबंधित मामले पर सुनवाई करते हुए कही.
Also Read: Bihar News: सीएम नीतीश कुमार ने रोजेदारों के साथ की इफ्तार, जुटे सभी दल के मुखिया, मांगी अमन-चैन की दुआ
हाईकोर्ट ने की तालाब अधिग्रहित की गई मामले पर सुनवाई
इस मामले को लेकर सुभाष कुमार द्वारा एक लोकहित याचिका हाई कोर्ट में दायर की गई है, जिस शुक्रवार को वर्चुअल रूप से सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उक्त टिप्पणी की. कोर्ट ने इससे जुड़े और कोर्ट में लंबित सभी मामलों का ब्योरा भी अगली सुनवाई पर तलब किया है. हाई कोर्ट ने तालाब को लेकर अधिग्रहित की गई जमीन के मामले पर सुनवाई करते हुए उसका पूरा ब्योरा 6 मई तक तलब किया है. खंडपीठ ने इस मामले को लेकर पटना के जिलाधिकारी द्वारा दायर हलफनामा पर असंतोष जताया. राज्य सरकार के अधिवक्ता सलीम खान ने कोर्ट को कहा कि उसे एक समय दिया जाय ताकि सभी बातों को वे हलफनामा के माध्यम से कोर्ट को दे सकें.