पटना हाइकोर्ट ने एमयू के कुलपति राजेंद्र प्रसाद की गिरफ्तारी पर लगायी रोक, निगरानी से मांगा जबाव

जस्टिस आशुतोष कुमार की एकलपीठ ने डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए निगरानी विभाग से 25 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है. इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाइकोर्ट को कहा था कि वह याचिकाकर्ता के मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के भीतर पूरा कर ले.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 18, 2022 7:30 PM

पटना. हाइकोर्ट ने मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति राजेंद्र प्रसाद उर्फ डॉ राजेंद्र प्रसाद को तत्काल राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर 25 अप्रैल तक रोक लगा दी है. जस्टिस आशुतोष कुमार की एकलपीठ ने डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए निगरानी विभाग से 25 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है. इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाइकोर्ट को कहा था कि वह याचिकाकर्ता के मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के भीतर पूरा कर ले.

सुप्रीम कोर्ट ने भी इनकी गिरफ्तारी पर लगायी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने भी इनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दिया था. मालूम हो कि निगरानी ब्यूरो ने याचिकाकर्ता के विरुद्ध आइपीसी की धारा 120 बी (अपराध करने के लिए रची गयी आपराधिक साजिश), 420 (जालसाजी) व भ्रष्टाचार निवारण एक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया गया था. याचिकाकर्ता ने पटना हाइकोर्ट में अग्रिम जमानत के साथ ही अपने ऊपर चल रहे आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के लिए अलग अलग दो याचिका दायर किया है.

पुल निर्माण में हो रहे विलंब को लेकर सख्त

हाइकोर्ट ने गंडक नदी पर बन रहे पुल के निर्माण में हो रहे विलंब को गंभीरता से लेते हुए पुल निर्माण करने वाली कंपनी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक को 20 अप्रैल को अदालत में तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राजीव रंजन सिंह द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण से संबंधित दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जाहिर की कि हाजीपुर में आरओबी का निर्माण एक दशक बाद भी पूरा नहीं हो पाया है.

अगली सुनवाई 20 अप्रैल को

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने गंडक नदी पर पुल निर्माण कार्य पूरा करने के लिए पुल निर्माण कंपनी को छह से सात माह का समय देते हुए कहा था कि निर्माण कार्य दोनों ओर हाजीपुर और छपरा से शुरू होना चाहिए. निर्माण कंपनी द्वारा इस पुल के निर्माण के लिए दस महीने की मोहलत मांगी गयी थी, लेकिन कोर्ट ने उसे स्वीकार नहीं किया था. सोमवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो अगली सुनवाई में एनएचएआइ के अध्यक्ष को तलब किया जा सकता है. इस मामले पर अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी.

Next Article

Exit mobile version