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गर्भाशय घोटाले पर पटना हाईकोर्ट सख्त, केंद्रीय कानून के तहत केस दर्ज करने का दिया निर्देश

बिहार में हुए गर्भाशय घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा कि वह इन मामलों में केंद्रीय कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज कर 27 सितंबर को इसकी जानकारी कोर्ट को दे.

पटना . बिहार में हुए गर्भाशय घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा कि वह इन मामलों में केंद्रीय कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज कर 27 सितंबर को इसकी जानकारी कोर्ट को दे.

ब्योरा हलफनामा पर दायर करे

जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने वेटरन फोरम द्वारा दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. कोर्ट ने इसके पहले राज्य के मुख्य सचिव को कहा था कि वह अब तक की गयी कार्रवाई का ब्योरा हलफनामा पर दायर करे.

गर्भाशय निकाले जाने के 702 मामले आये थे

सरकार द्वारा कोर्ट को बताया गया कि बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के सामने इस तरह के 450 मामले आये थे. राज्य सरकार द्वारा करायी गयी जांच के बाद नौ जिलों में गर्भाशय निकाले जाने के 702 मामले आये थे. इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी और कार्रवाई चल रही है .

सरकार ने 5.89 करोड़ रुपये जारी कर दिये

उन्होंने कोर्ट को बताया कि पीड़िताओं को क्षतिपूर्ति के रूप में राज्य सरकार ने 50-50 हजार रुपये पहले ही दे दिये हैं. इसके बाद बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने आदेश दिया था कि यह राशि बढ़ा कर डेढ़ व ढाई लाख दिये जाये. महाधिवक्ता का कहना था कि क्षतिपूर्ति की राशि देने के लिए राज्य सरकार ने 5.89 करोड़ रुपये जारी कर दिये गये हैं.

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