स्कूलों में शिक्षकों की कमी से पटना हाई कोर्ट नाराज, रिक्त पदों को भरने के लिए 20 फरवरी तक मांगा जवाब

हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पटना के कदम कुआं स्थित नेत्रहीन विद्यालय के शिक्षकों के संबंध में भी पूरा ब्योरा अगली सुनवाई को तलब किया है. कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस स्कूल में एडहॉक आधार पर बारह शिक्षकों की बहाली की गई है .

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2023 6:11 PM

बिहार में निःशक्त बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से हाइकोर्ट ने 20 फरवरी तक जवाब तलब किया है. कोर्ट ने सरकार से जानना चाहा है की खाली पड़े पदों को भरने के लिए उसके द्वारा क्या करवाई की गयी है. इन विद्यालयों में शिक्षकों की बहाली की क्या प्रक्रिया है. कार्यकारी मुख्य नयायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले को लेकर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.

इस स्कूल से भी मांगा गया शिक्षकों का ब्योरा

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पटना के कदम कुआं स्थित नेत्रहीन विद्यालय के शिक्षकों के संबंध में भी पूरा ब्योरा अगली सुनवाई को तलब किया है. कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस स्कूल में एडहॉक आधार पर बारह शिक्षकों की बहाली की गई है .राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि इन दिव्यांग स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति करने के लिए बिहार कर्मचारी चयन आयोग को अनुशंसा और प्रस्ताव भेजा गया था .

राज्य सरकार की ओर से 2018 के बाद नहीं आया प्रस्ताव

आयोग के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इन विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति करने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई भी प्रस्ताव या अनुशंसा 2018 के बाद नहीं आया है. कोर्ट ने इस बात को बहुत गंभीरता से लिया कि पटना के कदमकुआं स्थित दिव्यांग( नेत्रहीन) स्कूल में मात्र एक शिक्षक है वह भी संगीत के जबकि इस विद्यालय में शिक्षकों के स्वीकृत पद ग्यारह है.

Also Read: विपक्षी एकता का बिहार मॉडल सभी राज्यों में करना होगा लागू, दीपांकर भट्टाचार्य बोले…पीएम के लिए हैं कई चेहरे
2014 में विज्ञापित पदों को अब तक नहीं भरा जा सका

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 2014 में विज्ञापित पदों को अब तक नहीं भरा जा सका है. यह अपने आप में राज्य का उदासीन रवैया को दर्शाता है. मालूम हो कि इस मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया था कि निःशक्त बच्चों से जुड़ी सभी परियोजनाएं तीन महीनों के भीतर कार्यरत हो जायेगी. इस पर हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को हलफनामा दायर कर अपनी कार्य परियोजना बताने के लिए कहा था.

Next Article

Exit mobile version