पटना. आइजीआइएमएस का सर्वर 48 घंटे से ज्यादा समय बीतने के बाद भी सही नहीं हो पाया है. सर्वर कैसे हैक हुआ, अब तक पता नहीं चला है. आलम यह है कि संस्थान के ऑनलाइन नेटवर्क से जुड़े सारे काम ठप हैं. संस्थान के अनुसार, गुरुवार सुबह साढ़े सात बजे सर्वर कुछ देर के लिए ठीक हुआ था, लेकिन जैसे ही ओपीडी का समय शुरू हुआ, धीरे-धीरे सर्वर स्लो होने लगा और बीच-बीच में कभी शुरू, तो कभी पूरी तरह से बंद होने लगा. इससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ गया.
लंबी लाइन के बीच अफरा-तफरी, भर्ती व इलाज में काफी परेशानी
सर्वर ठप रहने से दूसरे दिन भी ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट, मरीज की भर्ती, मरीजों को ओपीडी रजिस्ट्रेशन, डिजिटल हॉस्पिटल सर्विस, स्मार्ट लैब, बिलिंग, रिपोर्ट जेनरेशन, पर असर हुआ. ओपीडी से लेकर पैसा जमा करने वाले लोगों की लंबी लाइन लग गयी. अफरा-तफरी के बीच मरीजों को गर्मी में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ गया. सबसे अधिक परेशानी इमरजेंसी वार्ड के मरीजों को हुई. इमरजेंसी एवं ट्रॉमा सेंटर के आगे एंबुलेंस की कतार लग गयी.
सैंपल देने के लिए भटकते रहे मरीज
स्मार्ट लैब में बारकोड के जरिये मरीजों के सैंपल की जांच होती है. ब्लड जांच के पहले मरीजों को पैसा जमा करना पड़ता है. लेकिन सर्वर डाउन होने से यह सिस्टम भी पूरी तरह से प्रभावित हुआ. मरीजों को अपने ब्लड व यूरिन आदि सैंपल की जांच के लिए भटकना पड़ा. हालांकि बाद में मैनुअल व्यवस्था करने के बाद मरीजों की जांच हुई. बावजूद एक मरीज को अतिरिक्त दो से तीन घंटे तक लाइन में जूझना पड़ गया. वहीं डाटा अपलोड नहीं होने की वजह से अस्पताल में भर्ती कुछ मरीजों को छुट्टी तक नहीं मिल पायी.
बच्चे के दिल में छेद, बेटी को सौंप खुद लाइन में खड़ी रही मां
मधुबनी जिले के निवासी मो हुसैन के पोते मेराज के दिल में छेद है. डॉक्टरों ने ओपीडी में इको जांच के लिए बोला. जांच के लिए मां अफसाना खातून जब बिल काउंटर पर पैसा जमा करने पहुंची, तो लंबी लाइन लगी थी. अपने छह माह के बेटे को अपनी छोटी पांच साल की बेटी के गोद में सौंप खुद लाइन में लगी रही. महिला ने बताया कि दो घंटे लाइन में लगे रहने के बाद भी बिल जमा नहीं हो पाया.
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क्या कहते हैं अधिकारी
आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि सर्वर को ठीक करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. बीच में ठीक भी हो गया, लेकिन हैकर से जब सर्वर हैक नहीं हो पाया, तो उसने जानबूझकर वायरस डाल दिया, जिससे सर्वर पूरी तरह से ठप हो गया. अस्पताल प्रशासन इस मामले की भी जांच कर रहा है कि सर्वर हैक करने के पीछे किसी का हाथ तो नहीं है.