पटना शहर देर रात तक आग की भट्ठी की तरह तप रहा है. यह तपिश सूरज ढलने के बाद भी नहीं थम रही. रात 12 से एक बजे तक शहर में गर्म हवा के थपेड़े महसूस किये जा रहे हैं. शहरी क्षेत्र में कंक्रीट की अट्टालिकाएं, उनके एयर कंडीशनर, चप्पे-चप्पे पर मौजूद तारकोल की सड़कें और सीमेंटीकरण इसकी सबसे बड़ी वजह है.
दरअसल धरती की सतह से टकरा रहा ताप स्वाभाविक दर से रिलीज न होकर काफी विलंब से वातावरण में वापस होता है. यही वजह है कि शहर में तपिश लंबे समय तक मौजूद रहती है. उदाहरण के लिए पटना में दिन का उच्चतम तापमान 42.9 दर्ज होने के बाद रात नौ बजे तक तापमान 41.4 डिग्री बना रहता है. इस तरह पारा करीब केवल डेढ़ डिग्री ही कम हुआ. यह तापमान भी सामान्य से अधिक ही रहा.
कुल मिला कर तारकोल की काली सड़कों और इमारतों के घने समूहों से फंसी गर्मी या ऊष्मा बाहर नहीं निकल पाती है. मौसम विज्ञानी आशीष कुमार ने बताया कि तारकोल की काली सड़कें अधिक गर्मी (ताप) सोखती है. यह ताप ही ऊष्मा (हीट) के रूप में वातावरण में स्वाभाविक तरीके से मुक्त नहीं हो पाता है. इस तरह पटना शहर का ‘नेचर ऑफ लैंड’ बदल गया है. शहर में अधिकतर जमीन पूरी तरह पक्की है. कहीं भी जमीन खाली नहीं है. इससे गर्मी या तपिश लंबे समय तक बनी रहती है. जानकारों के मुताबिक तापमान को संतुलित करने के लिए जरूरी हरियाली और जल-पोखर का अभाव इस संकट को और बढ़ा रहे हैं.
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पटना शहर के तीन क्षेत्रों में अलग-अलग तापमान दर्ज होता है. इनमें सबसे अधिक पारा पटना सिटी में दर्ज किया जाता है, क्योंकि इस क्षेत्र में हरियाली न के बराबर है. 10 जून को पूर्वी पटना (पटना सिटी) में उच्चतम तापमान 44.4 डिग्री दर्ज हुआ. वहीं यहां रात का तापमान 30 डिग्री था. इसके उलट पश्चिमी पटना में उच्चतम तापमान 43.9 और न्यूनतम तापमान 29.7 डिग्री दर्ज हुआ. तुलनात्मक रूप में राजधानी पटना परिक्षेत्र का तापमान इससे कुछ कम रहता है. उदाहरण के लिए इसी समयावधि में उच्चतम तापमान 43.1 और न्यूनतम तापमान 28.6 डिग्री रहा.