पटना. जनकपुर में राजा जनक के महल में शिवधनुष भंग हो चुका है. बड़े-बड़े राजा-महाराजा शिवधनुष उठा भी नहीं सके. अयोध्या के राजकुमार कौशल्या नंदन श्रीराम ने एक पल में यह कर दिखाया. अब राघव को जनकनंदनी किशोरी जी के गले में वरमाला डालनी है. लेकिन एक समस्या है. जानकी जी कद में उनसे छोटी हैं. वे अपने सम्मुख सीना तान खड़े दशरथनंदन के गले में वरमाला नहीं डाल पा रही हैं. जनकपुर की स्त्रियां कहती हैं- तनि झुक जइओ ए राघव जी, लली मेरी छोटी है. फिर भी राघव नहीं झुके तो मिथिलावासी कहते हैं-कौना गुमान में फुलल हो राघव जी, कौना गुमान में फुलल. आखिरकार राघव थोड़ा झुकते हैं और जानकी जी उनके गले में वरमाला डाल देती हैं.
जनकपुर के कलाकारों ने दी प्रस्तुति
हास्य-विनोद के भक्तिमय वातावरण में राम-जानकी विवाह की संगीतमय नाट्य प्रस्तुति महावीर मन्दिर में जनकपुर परंपरा के कलाकारों द्वारा की गयी. कई दशकों से महावीर मन्दिर में श्रीराम विवाह का आयोजन होते आ रहा है. रविवार को अगहन शुक्ल पंचमी को विवाह पंचमी के पावन मौके पर महावीर मंदिर के प्रथम तल पर राम विवाह की आकर्षक प्रस्तुति हुई. जनकपुर की गुरु-शिष्य परंपरा की नाट्य मंडली ने मिथिला रीति से विवाह की सभी विधियों का संगीतमय मंचन किया.
सोनू दिखे राम की भूमिका में
इस दौरान कन्या निरीक्षण, ओढंगर, नहछू, कन्यादान, सिन्दुरदान, कोहबर आदि विधियों की झांकी प्रस्तुत की गयी. इस अवसर पर महावीर मन्दिर प्रांगण में बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित थे. त्रेता युग में भगवान विष्णु स्वरूप श्रीराम और माता लक्ष्मी स्वरूपा जानकी जी के विवाह की झांकी देख भक्तों के उल्लास का ठिकाना नहीं था. राम की भूमिका मधुबनी जिले के सोनू कुमार ने निभायी, जबकि सीता की भूमिका में कृष्ण कुमार थे. नाट्य मंडली में राम पदारथ शर्मा, गणेश ठाकुर, सरोज चौधरी, विपिन ठाकुर, देवेन्द्र पांडेय, गोपालजी मिश्रा, रोहित, श्रीधर, सुभाष पांडेय, शिवचंद्र जी विभिन्न भूमिकाओं में थे.
मंदिर पहुंचने पर बरातियों का स्वागत
मिथिला के विवाह गीतों की संगीतमय प्रस्तुति ने भक्तों और श्रोताओं को जनकपुर का एहसास कराया. वहीं दूसरी ओर श्री प्रेमनिधि रूपकला स्मारक पंचमंदिर ट्रस्ट की (दारोगा प्रसाद राय पथ) ओर से श्री सीताराम विवाह महोत्सव के दूसरे दिन दोपहर तीन बजे बारात आगमन हुआ. इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया. मंदिर पहुंचने पर बरातियों का स्वागत किया गया. उसके बाद दूल्हा परीक्षण और विवाह महोत्सव पारंपरिक रीति-रिवाज से संपन्न हुआ.