पटना नगर निगम: जातीय समीकरण से मेयर की कुर्सी साधने की कोशिश, ऐसे समझिए जीत में जाति की भूमिका

राजधानी में मेयर पद के लिए 33 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं. नाम वापस लेने के बाद उम्मीदवारों की संख्या में कमोबेश एक दो का अंतर हो सकता है. अगले चार-पांच दिनों में चुनाव का माहौल और परवान चढ़ेगा.

By Prabhat Khabar News Desk | September 29, 2022 11:44 AM

अनिकेत त्रिवेदी, पटना. राजधानी में मेयर पद के लिए 33 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं. नाम वापस लेने के बाद उम्मीदवारों की संख्या में कमोबेश एक दो का अंतर हो सकता है. अगले चार-पांच दिनों में चुनाव का माहौल और परवान चढ़ेगा.

मेयर का चुनाव सीधे मतदाताओं के वोट से होना है

इस बार मेयर का चुनाव सीधे मतदाताओं के वोट से होना है, ऐसे में लोकसभा व विधानसभा चुनाव की तासिर को देखते हुए मेयर चुनाव में भी जाति का समीकरण निर्णायक साबित हो सकता है. इसी संभावना को सामने रख मेयर उम्मीदवार अभी से जाति को साधने की कोशिश कर रहे हैं. खास कर वैश्य, यादव, कायस्थ और मुसलमान वोटरों पर सबसे अधिक नजर है.

ऐसे समझिए जीत में जाति की भूमिका

पटना नगर निगम में लगभग 17.29 लाख वोट हैं़, जिनमें करीब 9.12 लाख पुरुष व करीब 8.16 लाख महिलाएं हैं. अनुमान व वार्ड स्तर पर होने वाले दावों के अनुसार कायस्थ वोट 2 से 2.5 लाख, वैश्य तीन से 3.5 लाख, यादव लगभग दो लाख, मुसलमान करीब 1.75 लाख, महतो एक लाख और चंद्रवंशी एक लाख वोटर हैं़ बाकि संख्या अन्य जातियों के वोटरों की है.

स्वजातीय उम्मीदवारों से चुनौती

मेयर पद के उम्मीदवारों को पहली चुनौती स्वजाति के उम्मीदवारों से ही मिलेगी. पूर्व मेयर सीता साहू की बात करें, तो वह वैश्य जाति से हैं. उनके अलावा रीता रस्तोगी व सरिता नोपानी भी इसी जाति से हैं. वहीं, रजनी देवी यादव हैं. इनके सामने पिंकी यादव व सुचित्रा सिंह जैसी स्वजातीय उम्मीदवार हैं.

कायस्थ समाज से दो उम्मीदवार

पूर्व मेयर अफजल इमाम की पत्नी महजबीं के सामने मोसर्रत परवीन हैं. माला सिन्हा व विनीता कुमारी श्रीवास्तव कायस्थ समाज से हैं. विनीता सिंह उर्फ विनीता बिट्टू सिंह राजपूत, जबकि पुष्पलता सिन्हा कुर्मी जाति से हैं.

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