दीपावली रोशनी और उल्लास का पर्व है, शोर और धुएं का नहीं. त्योहार मनाइए, पर अपनी सेहत, सुरक्षा और दूसरों को अनदेखा करके नहीं. यह दीयों से जगमग करने का त्योहार है. सभी कड़वाहट को मिटाकर अपनों के गले मिलने, बड़ों से आशीष लेने का दिन है. इसे पटाखों के शोर में गुम न होने दें. क्योंकि पटाखों से निकलने वाले धुएं पर्यावरण के साथ स्वास्थ्य को भी नुकसान करता है. यह कहना है इएनटी विशेषज्ञ डॉ मनीष कुमार का. पटना में अभी एयर क्वालिटी इंडेक्स 106 है.
डॉ मनीष कुमार ने कहा कि दीपावली के मौसम में पटाखों से पर्यावरण भी बेहद प्रभावित होता है. पर्यावरण दूषित होने से लोगों में खास कर दमा व हृदय रोग से पीड़ित लोगों को बेहद परेशानी होती हैं, वहीं वातावरण में धूल व धुएं के रूप में अति सूक्ष्म पदार्थ का हिस्सा कई दिनों तक मिश्रित रहता है जिससे आम आदमी का स्वास्थ्य, विशेषकर बच्चों की सेहत बिगड़ने का खतरा रहा है. उन्होंने दीपावली के मौके पर होने वाले प्रदूषण के विषय में जानकारी साझा करते हुए बताया कि प्रदूषण का व्यास 10 माइक्रो मीटर तक होता है. यह नाक के छेद में आसानी से प्रवेश कर जाता है. जो श्वसन प्रणाली, हृदय व फेफड़ों को प्रभावित करता है. पटाखे ध्वनि प्रदूषण भी करते हैं व लोगों के अलावा पशु, पक्षियों, जलजनित जीवों को नुकसान पहुंचाते हैं.
– पटाखों से 80 डेसिबल से अधिक स्तर की आवाज निकलती है
– इस कारण बहरापन, उच्च रक्तचाप और अनिद्रा जैसी स्थिति आ जाती है
– बच्चे, गर्भवती महिलाएं और सांस की समस्याओं से पीड़ित लोग की अत्यधिक ध्वनि व प्रदूषण के कारण दिक्कतें बढ़ जाती हैं.
– हवा में धूल के कणों के साथ घुले बारूद के कण और धुएं के संपर्क में ज्यादा देर रहने वालों को खांसी, आंखों में जलन, त्वचा में चकत्ते पड़ने के साथ उल्टी की समस्या भी हो सकती है.