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पटना में करोड़ों खर्च कर बने स्टॉप केवल नाम के, इशारा देते साथ कहीं भी रुक जाती है बस

बनने के वर्षों बाद भी इन बस क्यू शेल्टर का इस्तेमाल शुरू नहीं हो सका है और आज भी जहां यात्री इशारा करे, चालक बस रोककर उन्हें चढ़ा लेते हैं या उतार देते हैं.

पटना. पटना में सिटी बसों के रूकने की व्यवस्था के लिए छह-सात वर्ष पहले 10 करोड़ से अधिक खर्च करके 93 बस क्यू शेल्टर का निर्माण किया गया. इसका उद्देश्य था कि बसें यहां रूकेंगी और यही बने यात्री शेड में खड़े होकर यात्री उनका इंतजार करेंगे. लेकिन बनने के वर्षों बाद भी इन बस क्यू शेल्टर का इस्तेमाल शुरू नहीं हो सका है और आज भी जहां यात्री इशारा करे, चालक बस रोककर उन्हें चढ़ा लेते हैं या उतार देते हैं.

पीली प्राइवेट सिटीराइड बसें ही नहीं बल्कि बीएसआरटीसी की सिटी बसें भी बीच सड़क से यात्री उठाने में परहेज नहीं करती. चूंकि यात्रियों को हर जगह सहजता से बसें उपलब्ध हो जाती हैं, इसलिए वे भी बसों को पकड़ने बस स्टॉप तक जाने की जरूरत नहीं समझते हैं.

बीच सड़क पर बस रोकने से लग रहा जाम

बीच सड़क पर बस रोक कर यात्री चढ़ाने उतारने से उनके पीछे चलने वाले वाहनों को परेशानी होती है और कई बार तो इनके रुक जाने से जाम भी लग जाती है. सड़क सुरक्षा की दृष्टि से भी यह खतरनाक है और अचानक बस को को सड़क किनारे करने के क्रम में पीछे से आ रहे वाहनों से इनके टकराने की आशंका बनी रहती है.

क्यू शेल्टर कहीं उखाड़ दिये गये तो कहीं अतिक्रमण के शिकार

नवनिर्मित 93 में से लगभग एक दर्जन बस क्यू शेल्टर सड़क चौड़ीकरण के क्रम में उखाड़ दिये गये या अन्य परियोजना के कारण उन्हें हटाना पड़ा. बचे बस क्यू शेल्टर में भी लगभग आधे अतिक्रमण के शिकार है. या तो उनमें बेघरों ने डेरा जमा लिया है या उनके आसपास फेरी वाले और ठेले वालों ने अपना दुकान लगा लिया है. इससे क्यू शेल्टर के रूप में उनका इस्तेमाल मुश्किल हो गया है.

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