पटना. बिहार में फुलवारीशरीफ आतंकवादी मॉड्यूल मामले की जांच में जांच एजेंसियों और पुलिस को एक अहम जानकारी मिली है. आरोपित को कतर से क्रिप्टोकरेंसी के रूप में धन मिलता था. पुलिस ने बताया कि फुलवारीशरीफ निवासी मारगुब अहमद दानिश को भारत विरोधी विचारों का प्रचार करने के लिए कथित तौर पर दो वाट्सप ग्रुप ‘गजवा-ए-हिंद’ और ‘डायरेक्ट जिहाद’ चलाने के आरोप में 15 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था.
पुलिस के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जांच के दौरान एकत्र किये गये सबूतों से पता चला है कि दानिश को कतर स्थित संगठन ‘अल्फाल्ही’ से क्रिप्टोकरेंसी के रूप में धन मिला था. फिलहाल मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआइए) कर रहा है. जांचकर्ताओं ने पाया है कि ग्रुप (गजवा-ए-हिंद) पर राष्ट्रीय ध्वज और प्रतीक का अपमान करने वाले संदेश साझा किये जा रहे थे. इधर, एनआइए व पुलिस की टीम ने पटना समेत बिहार के कई जिलों में एक साथ छापेमारी की है.
पीएफआइ से जुड़े सदस्यों की जानकारी लेने के बाद उसके रिश्तेदारों और परिवार वालों से भी पूछताछ की है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार से एनआइए पूरी तरह इस केस को अपने हाथ में ले लेगा. वहीं एक तरह एसआइटी भी इस केस से जुड़े कई महत्वपूर्ण जानकारियों इकट्ठा कर एनआइए को सौंप चुकी है. मिली जानकारी के अनुसार फुलवारी में एनआइए ने रविवार को चार घंटे तक छापेमारी की. वहीं दरभंगा, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर, झारखंड व बंगाल में एनआइए की टीम दबिश बना रही है.
दानिश को भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के आधार पर 15 जुलाई को एटीएस और पुलिस की संयुक्त टीम ने गिरफ्तार किया था. इसके पास से एक मोबाइल मिला था, जिसमें कई देश विरोधी ग्रुप बनाये थे. इसमें दो ऐसे ग्रुप का यह सदस्य था, जिसमें पाकिस्तानी एडमिन थे. सूत्रों की मानें, तो ग्रुप में डायरेक्ट जिहाद चलाने कीबातें होती थीं. दानिश जिस गजवा-ए-हिंद ग्रुप से जुड़ा था, इस ग्रुप का आइकन और मैसेज आपत्तिजनक, राष्ट्रविरोधी, चरमपंथी और असंवैधानिक थे. इसमें फेसबुक को भी जांच एजेंसी खंगाल चुकी है, जिसमें कई तरह के भड़काऊ पोस्ट और वीडियो को भी शेयर किया गया था. पाकिस्तान के फैजान से वह चैटिंग भी करता था.
सूत्रों की मानें, तो जांच एजेंसी इसके पास से बरामद मोबाइल से फेसबुक मैसेंजर और वाट्सएप ग्रुप में चैटिंग का रिकवर कर चुकी है. इसके फेसबुक अकाउंट के फ्रेंड लिस्ट में करीब दो हजार लोग जुड़े है. इसमें कश्मीर, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य इस्लामिक देश के आतंकी संगठनों से जुड़े व्यक्तियों का प्रोफाइल है. इस अकाउंट से इसके द्वारा गजवा-ए-हिंद से संबंधित बहुत सारे फेसबुक पेज को लाइक किया गया है.
फुलवारी से देश में हिंसा फैलाने की साजिश का मामला उजागर होने के बाद पुलिस व जांच एजेंसियों के नींद हराम है. एसआइटी फरार संदिग्धों की तलाश में उनके ठिकाने खंगाल रही है. वहीं, 48 घंटे की रिमांड पर लिये गये पीएफआइ के दोनों संदिग्ध वकील नुरुद्दीन जंगी व झारखंड से रिटायर दारोगा मो जलालुद्दीन से रविवार की शाम तक कुल पांच बार अलग-अलग पूछताछ की गयी है. सूत्रों की मानें तो पूछताछ के दौरान पुलिस व जांच एजेंसियों के जवाब देने में कई बार दोनों के पसीने छूटे. दोनों से पुलिस व जांच एजेंसियों ने कई अहम जानकारियां हासिल की हैं, जिसके आधार पर स्लीपर सेल व फंडिंग करनेवालों पर देर सबेर शिकंजा कसा जाना तय माना जा रहा है.
पूछताछ में वकील नुरुद्दीन जंगी से कई सवाल दागे गये. पूछा गया कि वह कब से पीएफआइ से जुड़े थे. पीएफआइ से उन्हें कौन जोड़ा. अबतक उनके द्वारा पीएफआइ से जुड़ेकितने सदस्यों की कोर्ट में पैरवी की गयी. पैरवी के एवज में उन्हें कितने पैसे मिलते थे. वहीं, रिटायर दारोगा के पीएफआइ के संपर्क में आने के बाबत पूछताछ की गयी. अतहर परवेज से उनका संपर्क कैसे हुआ. कितने स्लीपर सेल को वह जानते हैं, आदि सवालों के जवाब लिये गये.
मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों देश विरोधी ग्रुप का दानिश ही एडमिन था और कई अन्य विदेशी समूहों के संपर्क में भी था. पुलिस ने 14 जुलाई को तीन लोगों को गिरफ्तार कर इस आतंकवादी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया था. एनआइए ने बुधवार को बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित जामिया मारिया निस्वा मदरसा में तलाशी ली और मामले के सिलसिले में असगर अली नाम के एक शिक्षक को गिरफ्तार किया था.