पटना गंगा में नहाने गये पुलिसकर्मियों के नौ बच्चों में तीन की डूब कर मौत, लापता युवक की तलाश जारी

पटना के राजापुर पुल घाट के गंगा में चार दोस्तों की डूबने से हुई मौत के बाद परिजनों के साथ पुलिसकर्मियों में हड़कंप मच गया. रविवार को गंगा में डूबने के दौरान एक दूसरे को बचाने में चार दोस्तों की जान चली गयी. लापता युवक की तलाश आज जारी है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 23, 2022 8:00 AM

पटना. बुद्धा कॉलोनी थाने के राजापुर घाट पर गंगा नदी में नहाने गये पुलिसकर्मियों के नौ बच्चों में छह लोग डूब गये, जिनमें तीन की मौत हो गयी और एक अब भी लापता है. लापता युवक की तलाश में देर शाम तक एसडीआरएफ की टीम लगी रही, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल सका है. घटना रविवार की सुबह लगभग 11:30 बजे की है. सोमवार की सुबह लापता युवक की तलाश एसडीआरएफ की टीम ने शुरू की.

परिजनों को पता नहीं था गये हैं नहाने राजापुल

मृतकों में पटना ट्रैफिक में एएसआइ मनोज कुमार का बेटा विश्वजीत कुमार (22 वर्ष), नालंदा पुलिस में चालक रणधीर सिंह का बेटा मोनू सिंह (19 वर्ष) व समस्तीपुर में दारोगा अखिलेश कुमार राय का बेटा विकास कुमार (25 वर्ष) शामिल हैं. विश्वजीत भागलपुर के पीरपैंती के श्रीमतपुर, मोनू यूपी के गाजीपुर के किरणदीपुर थाने के सोनूआनी और विकास बक्सर जिले के कृष्णब्रह्मा थाने के दियामान का मूल निवासी है. विश्वजीत व मोनू के परिवार पटना की नवीन पुलिस लाइन में रहते हैं, जबकि विकास का परिवार बोरिंग कैनाल रोड में रहता है.

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

मोनू का भाई सोनू सिंह (22 वर्ष) घायल है. उसे इस्ट बोरिंग कैनाल रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वह खतरे से बाहर है. लापता दीपांशु उर्फ दिव्यांशु उर्फ लाल के पिता दीपक चौधरी नालंदा पुलिस में चालक हैं. वह मुंगेर जिले के मूल निवासी हैं. मृत विश्वजीत के पिता मनोज कुमार के बयान पर यूडी कांड संख्या 6.22 दर्ज किया गया है. मिली जानकारी के अनुसार सभी छात्र पढ़ाई कर रहे थे. विकास लाइब्रेरी के साथ ही एक रेस्टोरेंट का संचालक भी था. वहीं, मोनू आइआइएम का छात्र था. अन्य छात्र एएन कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रहे थे.

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अरे कोई तो बुला दे हमर लाल के…

सबके बेटा मिल गेलई…हमर बेटवा कहां हई रे माई…अरे कोई तो बुला दे हमर लाल के…ये सुन मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों से लेकर अन्य लोगों की आंखों में आंसू आ गये. दरअसल, एसडीआरएफ की टीम के घंटों कोशिशों के बाद भी जब दिव्यांशु का शव नहीं मिला तो मां और बिलख-बिलख कर रोने लगी. वहीं छोटा भाई अर्जुन अपनी मां को चुप करा रहा है और कह रहा कि भइया…ठीक हैं मां उन्हें कुछ नहीं हुआ. वह डूबे ही नहीं. वहीं मां दहाड़ मार-मार कर रो रही है और कह रही है कि देख न बहुआ भइया के स्कूटी लगल हई. हमर लाल कहां गेलई. अब पापा केकरा के लाल बोलतई. हमरे बेटवा न मिल लई. कोई तो लाल के पापा के बुलादे. देखा अपन परिवार के लाल हमलोग के छोड़कर कहां चल गेलई…

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