देरी से इंडो-नेपाल बॉर्डर सड़क निर्माण में बाधा
तीन हजार की जगह मिली हजार एकड़ जमीन पटना : अधिकारियों की सुस्ती से सामरिक महत्व के इंडो-नेपाल बॉर्डर के समानांतर बिहार में सड़क निर्माण का काम बाधित है. खजाने में राशि जमा होने के बावजूद इसके लिए तीन हजार एकड़ जमीन अधिग्रहण नहीं हो रहा है. नतीजा सड़क निर्माण के काम में देरी हो […]
तीन हजार की जगह मिली हजार एकड़ जमीन
पटना : अधिकारियों की सुस्ती से सामरिक महत्व के इंडो-नेपाल बॉर्डर के समानांतर बिहार में सड़क निर्माण का काम बाधित है. खजाने में राशि जमा होने के बावजूद इसके लिए तीन हजार एकड़ जमीन अधिग्रहण नहीं हो रहा है. नतीजा सड़क निर्माण के काम में देरी हो रही है.
सड़क निर्माण के लिए तीन हजार एकड़ जमीन अधिग्रहण होना है, लेकिन अभी मात्र 1050 एकड़ जमीन पथ निर्माण विभाग को मिली है.
जमीन अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार ने 2300 करोड़ दिया है. संबंधित जिले को जमीन अधिग्रहण के एवज में राशि उपलब्ध करा दी गयी है. अब संबंधित जिला प्रशासन द्वारा जमीन अधिग्रहण करा कर पथ निर्माण विभाग को देना है. लेकिन जिला प्रशासन के मुस्तैद नहीं होने से जमीन अधिग्रहण में देरी हो रही है. पथ निर्माण विभाग के सूत्र ने बताया कि जमीन अधिग्रहण नहीं होने से सड़क निर्माण काम बाधित है.
टू लेन सड़क का होगा निर्माण : इंडो-नेपाल बॉर्डर के समानांतर बिहार में पश्चिमी चंपारण जिले में यूपी से सटे बॉर्डर इलाके मदनपुर से आरंभ होकर पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया होते हुए किशनगंज के गलगलिया तक सड़क निर्माण होना है. पथ निर्माण योजना के तहत 552 किलोमीटर टू लेन सड़क का निर्माण होना है. 359 किलोमीटर सड़क के लिए जमीन का अधिग्रहण करना है. सड़क निर्माण के लिए 356 गांव की जमीन अधिग्रहण होना है. इसमें अभी मात्र 135 गांव की जमीन अधिग्रहण हुआ है.
केंद्र व राज्य सरकार की है हिस्सेदारी
इंडो-नेपाल से सटे बॉर्डर इलाके में सड़क निर्माण का शिलान्यास यूपीए सरकार के तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने जून, 2013 में किया था. सड़क बनाने में केंद्र व राज्य की हिस्सेदारी है.
सड़क निर्माण में 4918 करोड़ खर्च अनुमानित है. इसमें राज्य सरकार लगभग 66 फीसदी यानी 3262 करोड़ व केंद्र की हिस्सेदारी लगभग 33 फीसदी यानी 1655 करोड़ है. सड़क निर्माण होने से नेपाल से सटे बॉर्डर इलाके में क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा. साथ ही व भारत-नेपाल अन्तर्राष्ट्रीय सीमा की चौकसी और अधिक प्रभावकारी ढंग से करने में सहायता होगी.