पटना : बिहार में इंटर साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स के रिजल्ट जारी होने के बाद से अभी तक लगातार हंगामा जारी है. एक तरफ 13 लाख में से फेल हुए 8 लाख परीक्षार्थी रोजाना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष भी लगातार सरकार पर हमलावर बना हुआ है. इसी क्रम में बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 10 सवाल पूछे थे. अब नित्यानंद राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुला पत्र लिखकर कई सवालों के जवाब मांगे हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपने सवालों का जवाब मांगते हुए लिखा है कि मुख्यमंत्री जी बिहार की आवाम को आपके जवाब का इंतजार है.
बिहार बीजेपी अध्यक्ष का खुला पत्र
माननीय मुख्यमंत्री जी!
बिहार के इंटर परीक्षार्थियों की ओर से हमने आपसे 10 बेहद जरूरी सवाल पूछे थे जिस पर आपके जवाब का बिहार की आवाम को अभी भी इंतजार है. फिलहाल आपकी सुविधा के लिये पूछे गये इन 10 सवालों की याद दिला रहा हूँ.
कितने दुख: की बात है कि मैट्रिक अथवा इंटर परीक्षा परिणाम में लगातार तीसरे साल विवाद उत्पन्न हुआ है जिसके कारण राज्यभर के छात्र- युवा- अभिभावक परेशान हैं. इस घटना ने बिहार की शिक्षा व बौद्धिकता से जुड़ी छवि को देश- विदेश में धक्का पहुँचाया है। बेहतर हो कि हम इस परिणाम को विवाद न कह कर घोटाला कहें। अपने पूर्व में पूछे गये 10 सवालों के अलावे फिर से कुछ महत्वपूर्ण बातों को आपकी ध्यानाकर्षण के लिये जोड़ रहा हूँ जिस पर बिहार की आवाम को आपके जवाब का इंतजार रहेगा.
1.जब इंटर का परीक्षाफल घोषित हुआ तो आर्ट्स टॉपर को लेकर सवाल उठने पर आपके निर्देश पर जेडीयू गणेश को दलित कहकर बचाव करने में जुट गई. लेकिन फिर जब गणेश के उम्र विवाद और कई बार गलत तरीके से मैट्रिक- इंटर परीक्षा में शामिल होने की बात आई तो आपकी पूरी पार्टी ने चुप्पी साध ली। अब गणेश को पूरे मामले के केन्द्र में रखकर सरकार व पुलिस- प्रशासन ठीकरा फोड़ने में लगी दिखाई देती है. मेरा मानना है कि गणेश से जुड़ा मामला नि:संदेह गलत है लेकिन पूरे महाघोटाले से जुड़ा सिर्फ ‘एक’ मामला है जिसमें प्रैक्टिकल परीक्षा में अंक देने की प्रक्रिया, उम्र में हेर- फेर एवं गलत तरीके से बारंबार फॉर्म भरा गया है। गणेश गलत है तो सजा मिले लेकिन ऐसा दिखता है कि सरकार, विभाग व बोर्ड गणेश को किंगपिन की तरह मोहरा बनाकर उसकी आड़ में अपनी करतूत छुपाने में लगी है और कई संलिप्त लोगों व अन्य आरोपियों को बचाने में लगी है।
2.लेकिन एक ऐसी परीक्षा से संबंधित विवाद जिसमें 12 लाख विद्यार्थी बैठते हो तो जाहिर है कि सरकार, शिक्षा विभाग, परीक्षा बोर्ड की सामुहिक जिम्मेदारी बनती है। अब सरकार इस पूरे महाघोटाले से जुड़े एक मामले को भाजपा से जबरन जोड़ने की कोशिश कर रही है। जबकि हमने अपने 3 जून के प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक तौर पर कहा था कि- “बिहार सरकार इंटर परीक्षा परिणाम विवाद व घोटाले की उच्चस्तरीय जाँच कराये और उन सभी संलिप्त लोगों को बेनकाब कर सजा दें चाहे वे किसी भी जाति, धर्म, पार्टी और ओहदे वाले हों.” अब बार- बार 12 लाख छात्रों जुड़े मामले पर ऐसी हल्की दलील की आड़ लेकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला न झाड़ें.
3.मेरे पूछे गये 10 सवालों में से एक सवाल हमने बतौर गुजारिश की थी कि परिणाम को लेकर सारा विवाद सरकार, विभाग, बोर्ड की है तो फिर स्क्रूटनी के लिये 120 रूपये प्रति विषय क्यों वसूले जा रहे हैं। मेरे सवाल खड़ा करने के बाद अब विभाग ने प्रति विषय स्क्रूटनी की राशि को घटाकर 70 रूपये कर दिये है, इस पर भी मेरा घोर ऐतराज है। राजधानी की आराम कुर्सियों पर बैठकर बिहार के सुदूर गाँव- घर में बैठे छात्रों व अभिभावकों की परेशानी व आर्थिक चुनौतियों का अंदाजा लगाना मुश्किल है। इस स्क्रूटनी की राशि को पूर्णत: माफ किया जाय और स्क्रूटनी का आर्थिक भार वहन बिहार के छात्र- अभिभावकों के हित में सरकार व बोर्ड करे।
4.सरकार व विभाग के इस निर्णय पर भी मेरी घोर आपत्ति है कि वैसे छात्र जिन्होंने सिर्फ दो विषय में फेल किया है वही सिर्फ कॉम्पार्टमेंटल परीक्षा में बैठ सकते हैं। कई छात्र ऐसे भी है जो अपने परीक्षाफल को बेहतर करना चाहते हैं तो 12 लाख छात्रों में से ‘पास या फेल’ सभी छात्र- छात्राओं को कॉम्पार्टमेंटल परीक्षा में बैठने की छूट होनी चाहिये। आपको पता ही होगा कि 12वीं के बाद कई राष्ट्रीय अथवा राज्य की प्रवेश परीक्षाओं में बैठने एवं ग्रैजुएशन स्तर पर एडमिशन के लिये खास अंक प्रतिशत की जरूरत होती है। अत: कॉम्पार्टमेंटल परीक्षा में जो भी बैठना चाहे उसे छूट होनी चाहिये अन्यथा यह बिहार के छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा.
5.सरकार की ओर से यह भी सुनने में आया है कि जिन 650 के लगभग स्कुलों के एक भी विद्यार्थी पास नहीं हुए हैं उन सभी स्कुलों के शिक्षकों को बर्खास्त करने पर सरकार विचार कर रही है। यह तो वही बात हुई कि अगर किसी अंग में जख्म हो तो उसको इलाज के बजाय काट कर फेंक देना. आपकी सरकार जब से आई है शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी आपके खास लोग संभालते रहे हैं तो पिछले दस सालों में आपने शिक्षा की गुणवत्ता के लिये एवं शिक्षकों की आधुनिक शिक्षा जरूरतों के हिसाब से ट्रेनिंग और ग्रूमिंग के लिये आपने क्या किया है, इसका जवाब जरूर देंगे.
6.यह जानकारी मिली है कि तकरीबन 2 लाख छात्र- छात्राओं के परिणाम में अंकों की प्रिंटिंग एवं टोटलिंग में गड़बड़ी है जिसको प्राथमिकता के आधार अति शीघ्र सही किया जाय जिससे की इन छात्र समूहों को कॉम्पार्टमेंटल के लिये न जाना पड़े. साथ इन छात्रों में से कई इंजीनीयरिंग या अन्य प्रतियोगिता में पास कर चुके हैं अथवा किसी अन्य प्रतियोगिता परीक्षा में बैठना है या बाहर ऐडमिशन लेना है तो ऐसे अभ्यर्थियों को ज्यादा परेशानी एवं भाग- दौड़ न करना पड़े। यह संवेदनशीलता जरूरी है.
7.इंटर परीक्षा परिणाम विवाद के बाद से सरकार के स्तर पर कोई गंभीर कदम उठाया गया हो ऐसा नहीं दिखता है बल्कि सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। शिक्षा को लेकर सरकार में घोर वैचारिक नीति का अभाव दिखता है। मेरा मानना है कि बतौर मुख्यमंत्री आपको शिक्षा के सवाल पर विधानसभा का विशेष संयुक्त अधिवेशन बुलाना चाहिये.
मुख्यमंत्री जी! आप पर राज्य के आवाम की जिम्मेदारी है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि आप स्वयं तथा शिक्षा विभाग के मंत्री व अधिकारी इस पूरे इंटर परिणाम विवाद व घोटाले को लेकर अपना चेहरा बचाने, छवि चमकाने एवं जिम्मेदारी का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने में लगे हैं। इंटर परिणाम को लेकर बिहार के छात्रों- अभिभावकों- शिक्षकों से जुड़े मुद्दे पर आप गौर फरमाये एवं समाधान तलाशे, ऐसा मेरा अनुरोध है.
मुझे उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि इस पत्र में उठाये गये सवालों और साथ ही पूर्व के 10 सवालों पर मुख्यमंत्री जी ग़ौर फरमायेंगे और बिहार के छात्र- नौजवानों के भविष्य की खातिर शीघ्र- अति- शीघ्र मेरे पूछे गये सवालों का स्पष्ट जवाब देने की कृपा करेंगे.
हस्ताक्षर/-
नित्यानंद राय
प्रदेश अध्यक्ष
भाजपा, बिहार
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