पटना : राज्य सरकार और जिला प्रशासन के सकारात्मक रुख को देखते हुए सत्याग्रहियों ने 10 जून को बेतिया के बहुअरवा फार्म के उस प्रस्तावित सत्याग्रह को वापस ले लिया है, जिसमें वे हरिनगर चीनी मिल की जमीन पर अहिंसक तरीके से कब्जा करने वाले थे. उन्होंने भरोसा जताते हुए कहा है कि सरकार के सकारात्मक रुख को देख कर सत्याग्रहियों में उम्मीद जगी है. सत्याग्रहियों ने इस साल को भूमि सुधार वर्ष के रूप में मनाने की सरकार से अपील की है.
प्रस्तावित सत्याग्रह के आयोजन से जुड़े सिद्धार्थ ने बताया कि बेतिया के जिला प्रशासन ने 8 सीलिंग वादों / केसों का निपटारा कर उसपर कब्जा का आदेश निर्गत किया है. डुमरिया एस्टेट के शाही जी और योगापट्टी की बिंदा देवी का केस जो पिछले 40 सालों से चल रहा है, अब अंतिम चरण है. मतलब यह कि विगत 15 दिनों में सीलिंग के 08 केस का निपटारा किया गया है और उसकी अधिशेष जमीन बांटने का आदेश भी डीएम ने एसडीएम को दिया है.
इन फैसलों से 648 एकड़ भूमि के लगभग 800 भूमिहीन परिवारों के बीच बंटने का रास्ता साफ हो गया है. इसके अलावा जिलाधिकारी ने जानकारी दी है कि हरिनगर चीनी मिल की 5200 एकड़ सरप्लस जमीन के मामले में उन्होंने राजस्व मंत्री की अदालत को अपनी रिपोर्ट भेज दी है. जून महीने में ही उसका फैसला आ जाने की उम्मीद है. इस सकारात्मक रुख को देखते हुए सत्याग्रहियों ने पत्र लिखकर जिलाधिकारी को सत्याग्रह स्थगित करने की सूचना दी है.
गौरतलब है कि इस मामले में पहले राजस्व मंत्री द्वारा ढिलाई बरतने की वजह से आंदोलनकारियों ने भू सत्याग्रह का फैसला ले लिया था. चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष में अगर ऐसा होता तो राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे आयोजनों पर सवालिया निशान लगने लगते. ऐसे में राज सरकार और प्रशासन की सजगता और सही फैसले से यह स्थिति टल गई है.