लालू यादव के 70वें जन्मदिन पर विशेष : आलोचनाओं के बावजूद कभी भी अपने अंजाद में नहीं किया बदलाव
पटना : राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादवआज अपना 70वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर उन्होंने अपने परिवार के साथ रात 12 बजे जन्मदिन का केक काटा. इस मौके की तस्वीरें लालू यादव के पुत्र एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा है कि शेर दिल, न्याय […]
पटना : राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादवआज अपना 70वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर उन्होंने अपने परिवार के साथ रात 12 बजे जन्मदिन का केक काटा. इस मौके की तस्वीरें लालू यादव के पुत्र एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा है कि शेर दिल, न्याय के लिए लड़ने खिलाफ लड़ने वाले, समाजवाद के गुरू, गरीबों के मसीहा लालू प्रसाद यादव जी को जन्मदिन की मुबारकबाद. लालूयादव को उनके जन्मदिन परराजद के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने भी शुभकामनाएं दी है.
लालू यादव का नामजबभी लिया जाता है तोउनकी जो छवि दिमाग में बन कर आती है वो हाजिरजवाब होने के साथ साथ तेज तर्रार नेता की होती है.लालूयादव एक मसखरे की तरह अपने बोलने के अंदाज से लोगों को हंसाते भी है तो अपनी राजनीतिक कुटनीति से सबको चौंका भी देते हैं. आलोचनाओं के बावजूद लालू ने कभी भी अपने अंजाद में बदलाव नहीं कियाऔर उनका यहीं अंदाज उनके साथ-साथ बिहारियों की पहचान बन गयी.
जेपी आंदोलनसे की थी अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत
जयप्रकाश नारायण के जेपी आंदोलन से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत करने वाले लालू यादव का जन्म 11 जून 1948 को बिहार के परिवार में हुआ था. 1977 में आपातकाल के बाद हुए लोकसभा चुनाव में लालू यादव जीते और पहली बार 29 साल की उम्र में लोकसभा सांसद बनकर पहुंचे. 1990 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने और 1995 में फिर भारी बहुमत से विजयी रहे. 1997 में लालू यादव ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल के नाम से नयी पार्टी बना ली थी.
मजाकिया अंदाज में कह जाते हैं बड़ी बात
अपने अनबेले अंदाज से लोगों का दिल जीतने वाले लालू आज अपना 70वां जन्मदिन मना रहे हैं. लालू कई बार मजाकिया अंदाज में बड़ी बात कह जाते हैं तो कभी सीधे अपने विरोधी को चुनौती देने से नहीं डरते. आज लालू यादव का जन्मदिन है. अाइये इस मौके पर हम लालू केकुछ ऐसे बयानों पर नजर डालते है जिसके चलते खूब विवाद हुआ था...
– 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के विकास और लालू के जंगलराज की छवि पर खूब प्रहार किया था. उस दौरान पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में जनता से पूछा था कि नीतीश जी ने आपने वादा किया था बिजली लाने का बिजली आई क्या. नरेंद्र मोदी के इस प्रश्न का लालू ने मिमिक्री करते हुए जवाब दिया थाऔर कहा था, क्या बोलते हैं पीएम मोदी, भाइयों बहनों… भाइयों बहनों… बिजली आईं…, बिजली मिली… अरे मोदी जी ठीक से बोलो नहीं तो नस फट जाएगा.
– गौ रक्षा पर लालू यादवने तंज कसते हुए कहा था, गौ रक्षा का ढिंढोरा पीटने वाले लोग खुद के घरों में कुत्ता पालते हैं, गाय नहीं. जानते हो न कौन हैं ई लोग
– लालू ने कहा था, हेमा मालिनी मेरी फैन है तो मैं उनका एयर कंडिशन हूं, हेमा मालिनी को लेकर ही उनका और एक और बयान चर्चित रहा है. उन्होंने कहा था कि हम बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों की तरह मुलायम बना देंगे.
– बेनामी संपत्ति को लेकर दिल्ली समेत एनसीआर में कई ठिकानों पर हालही में आयकर विभागकीओर से की गयी छापेमारीपर उन्होंने कहा था, ‘अचक डोले, कचक डोले, खैरा-पीपल कभी ना डोले.’
– कुछ दिनों पहले लालू ने यह भी कहा था, ‘अंगद की तरह पैर गाड़ के खड़ा हूं. भाजपा को चैन से रहने नहीं दूंगा. मोदी सरकार की लंका को भस्म कर दूंगा. ये झांसों के राजा हैं. हमारे बाप-दादाओं को भी ये लोग गाली देते थे. समझ लो, मैं डरने वालों में से नहीं हूं.’
– लालू ने कई बार यह भी कहा है, ‘जब-तक समोसे में आलू रहेगा, तब तक बिहार में लालू रहेगा.’ लालू यादव ने एक बार आलू पर बोलते हुए कहा था, ‘लालू के राज में आलू कभी मंहगा हुआ. लालू के राज में आलू2 रुपया किलो, आलू 2 रुपया किलो, आलू 2 रुपया किलो, आलू 2 रुपया किलो.
जानिए कैसे पड़ा ‘लालू’ नाम
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव जिंदगी में कई तरह के उतार चढ़ाव देखने के बावजूद देश की राजनीति में सबसे चतुर और चालाक राजनेता माने जाते हैं. बचपन से ही लालू प्रसाद बहुत तेज थे, लेकिन गरीबी के कारण उनकी ज्यादा पढ़ाई लिखाई नहीं हो पायी थी. बचपन में लालू प्रसाद अपनी भैंस चराया करते थे.बतायाजाता है कि कड़ी धूप में जब वह भैंस को चारा खिलाकर घर लौटते थे तो उनका चेहरा लाल हो जाता था. जिसे देखते हुए उनके पिता कुंदन राय ने उसका नाम लालू रख दिया.इससेपहले उन्हें प्रसाद कह कर पुकारा जाता था.
विधायक बनने के बाद भी 4 महीने चपरासी क्वाटर में गुजारा था
लालू प्रसाद यादव अपने भाई के यहां चपरासी क्वाटर में रहा करते थे. जहां से विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्हें सफलता भी हासिल हुई लेकिन विधायक बनने के बाद भी वह करीब 4 महीने तक चपरासी क्वाटर में ही रहे. वहीं बगल में एक बैढका बनाया था. जहां लालू लोगों से मिला करते थे और अधिकारियों के साथ साथ नेता भी उस बैठक में शामिल हुआ करते थे.