केंद्र की विरोधी नीति के कारण देश का किसान बदहाल : जदयू

पटना : केंद्र सरकार के किसानों के प्रति रवैये का जदयू प्रवक्ताओं ने विरोध किया है. जदयू के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद और विधान पार्षद उपेंद्र प्रसाद ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि देश में किसानों की बदहाली का जो दौर चल रहा है, उसकी बुनियादी वजह केंद्र सरकार की किसान विरोध नीति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 16, 2017 6:44 AM
पटना : केंद्र सरकार के किसानों के प्रति रवैये का जदयू प्रवक्ताओं ने विरोध किया है. जदयू के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद और विधान पार्षद उपेंद्र प्रसाद ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि देश में किसानों की बदहाली का जो दौर चल रहा है, उसकी बुनियादी वजह केंद्र सरकार की किसान विरोध नीति है. पीएम नरेंद्र मोदी, कृषि मंत्री राधामोहन सिंह व खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान की ओर से जो नीतिगत निर्णय लिये जा रहे हैं वह न सिर्फ किसान विरोधी हैं, बल्कि कृषि के मूल सिद्धांत के विपरीत हैं. साफ लग रहा है कि देश के किसानों की समस्या और कृषि क्षेत्र से जुड़े मुद्दे केंद्र सरकार की प्राथमिकता में कहीं नहीं हैं.
राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर देने का वादा तो किया, लेकिन उसे पूरा नहीं किया. इसके बाद डीजल सब्सिडी खत्म कर दिया गया और अब किसानों को सीधे सहयोग करने आत्मनिर्भर बनाने के बदले किसानों को सहायता दिये जाने के नाम पर कृषि खाद व बीज कंपनियों को प्राथमिकता दी जा रही है. इसका दुष्परिणाम यह है कि केंद्र सरकार हर साल कृषि के नाम पर खर्च को बढ़ा कर दिखा रही है.
जबकि यह राशि किसानों के बदले कृषि क्षेत्र के बढ़े कंपनियों और पूंजीपतियों के पास जा रहा है.उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे किसानों को किसी प्रकार का कोई बोनस नहीं देंगे.अगर कोई सरकार बोनस देगी तो केंद्र सरकार की ओर से कोई आर्थिक सहायता नहीं दी जायेगी.
और राज्य सरकार को खाद्यानों की खरीदारी का पूरा खर्च राज्य सरकारों को उठाना पड़ेगा. प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधान पार्षद सह प्रवक्ता उपेंद्र प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार ने कई स्कीम बनाकर सीधे तौर पर किसानों को सब्सिडी दे रही है.
मुख्यमंत्री बीज योजना में 90 फीसदी, मुख्यमंत्री बागवानी मिशन में 50 फीसदी सब्सिडी, कृषि यांत्रिकरण योजना में 46 उपकरणों पर 50 फीसदी सब्सिडी, जैविक खेती प्रोत्साहन योजना में 50 फीसदी सब्सिडी, हरित खाद योजना में ढांचा पर 90 फीसदी व मूंग पर 80 फीसदी सब्सिडी, डीजल अनुदान पर 30 रुपये प्रति लीटर और धान की खेती की योजना पर 100 प्रतिशत खर्च उपलब्ध करा रही है.

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