आइजीआइएमएस में दशहरे से लिवर ट्रांसप्लांट शुरू
पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) में चौथे प्रकार के अंग प्रत्यारोपण करने की अनुमति मिलने जा रही है. इस साल दशहरे से लिवर ट्रांसप्लांट शुरू करने को लेकर निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवाएं डॉ आजाद हिंद प्रसाद की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम ने गुरुवार को संस्थान का निरीक्षण किया. टीम ने अपनी रिपोर्ट […]
पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) में चौथे प्रकार के अंग प्रत्यारोपण करने की अनुमति मिलने जा रही है. इस साल दशहरे से लिवर ट्रांसप्लांट शुरू करने को लेकर निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवाएं डॉ आजाद हिंद प्रसाद की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम ने गुरुवार को संस्थान का निरीक्षण किया. टीम ने अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को सौंप दी है.
इसके साथ ही यह राज्य में चार प्रकार के ऑर्गन ट्रांसप्लांट करनेवाला पहला संस्थान बन जायेगा. इसमें पहले से कार्निया, किडनी का ट्रांसप्लांट किया जा रहा है. संस्थान को गूंगे-बहरे बच्चों के लिए कॉक्लियर इंप्लांट की अनुमति राज्य सरकार द्वारा दी जा चुकी है. अब यह संस्थान लीवर ट्रांसप्लाट करने का काम भी शुरू कर देगा.
निदेशक प्रमुख डॉ आजाद हिंद प्रसाद के साथ पीएमसीएच के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ शिशिर कुमार, जनरल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ विमल मुकेश और एनेस्थेसिया विभाग के प्रोफेसर डॉ बीके प्रसाद ने संस्थान में ऑपरेशन थियेटर, पोस्ट ऑपरेटिव रूम, प्री ऑपरेटिव रूम, डोनर रूम, रिकवरी रूम सहित हर प्रकार की बुनियादी व विशेषज्ञता वाली संरचनाओं का निरीक्षण किया. संस्थान में लीवर ट्रांसप्लांट के लिए आइसीयू भवन व कमरा बनकर तैयार हैं.
इसके लिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट सेंटर की केंद्रीय टीम द्वारा संस्थान का निरीक्षण 24 जून को निर्धारित किया गया है. केंद्रीय टीम द्वारा ही आइसीयू के मानकों का निर्धारण किया जायेगा. इसके आधार पर आइसीयू की आंतरिक सुविधाओं को स्थापित किया जायेगा, जिसमें कहां पर बेड लगाना है, कहां पर ऑक्सीजन की पाइप लगेगी, कहां पर वेंटिलेटर होगा, इसका निर्धारण केंद्रीय टीम द्वारा किया जायेगा. निरीक्षण के दौरान संस्थान के निदेशक डॉ एन आर विश्वास, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मनीष मंडल सहित अन्य विशेषज्ञ मौजूद थे.
बताया जा रहा है कि एक लीवर मरीज के ट्रांसप्लांट पर करीब 20 लाख रुपये खर्च आयेंगे. इसमें राज्य सरकार मरीजों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए 15-20 लाख तक की आर्थिक सहायता करने पर वैचारिक रूप से सहमत हो चुकी है.