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एसिड पीड़िता चंचल ने तोड़ा दम, पांच साल पहले गांव के ही 4 युवकों ने बनाया था शिकार

पटना : बिहार में पटना से सटे मनेर के छितनावां गांव में 21 अक्तूबर, 2012को एसिड अटैक से घायल हुई पीड़िता चंचल की गुरुवार को मौत हो गयी. सुबह में उसने अपने पिता शैलेश पासवान को बुखार व शरीर दर्द की शिकायत की और फिर उसे पिता व चाचा नरेश पासवान इलाज के लिए बेली […]

पटना : बिहार में पटना से सटे मनेर के छितनावां गांव में 21 अक्तूबर, 2012को एसिड अटैक से घायल हुई पीड़िता चंचल की गुरुवार को मौत हो गयी. सुबह में उसने अपने पिता शैलेश पासवान को बुखार व शरीर दर्द की शिकायत की और फिर उसे पिता व चाचा नरेश पासवान इलाज के लिए बेली रोड स्थित आइजीआइएमएस ले कर आये. जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

गांव में शव पहुंचते ही मचा कोहराम
इसके बाद परिजन उसके शव को लेकर छितनावां स्थित गांव पर पहुंच गये, जहां शव पहुंचते ही कोहराम मच गया. पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गयी. इधर, उसकी मौत के बाद पटना पुलिस की एक टीम इस बात की जांच करेगी कि मौत का क्या कारण है? अगर जांच में मौत का कारण एसिड अटैक होना ही पाया गया, तो फिर केस हत्या में तब्दील कर दिया जायेगा.

गांव के ही 4 युवकों ने उस पर रात में सोते समय डाल दिया था एसिड
चंचल और उसकी बहन सोनम पर गांव के ही युवक अनिल राय, राज राय, बादल राय व धनश्याम राय ने एसिड से उस समय हमला कर दिया था, जब वह अपनी छत पर सो रही थी. इस हमले में उसका चेहरा व शरीर के अन्य अंग जल गये थे और पटना के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच व दिल्ली के अस्पताल में इलाज होने के बाद जान बची थी, लेकिन चेहरा काफी खराब हो गया था. चंचल 28 फीसदी जल गयी थी.

गांव के दबंगों ने भी दी थी धमकी
इस घटना के बाद चंचल व उसके पूरे परिवार को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था, गांव के दबंगों ने धमकी भी दी थी. घटना के बाद मनेर थाने में केस संख्या 312/12 दर्ज किया गया था और 21 अक्तूबर, 2012 में घटना होने के बाद 12 दिनाें के बाद चारों की गिरफ्तारी हुई थी. इस मामले में चारों आरोपित अनिल, राज, बादल व घनश्याम जेल भी गये थे, लेकिन एक साल पूर्व वे सभी जमानत पर छूट गये थे.

पिता ने कष्ट झेलते हुए पटना से लेकर दिल्ली तक कराया इलाज
चंचल के पिता शैलेश पासवान पेशे से मजदूरी करते हैं और वे एक बिल्डर के पास काम करते थे. घटना के बाद चंचल और उसकी बहन सोनम के इलाज के लिए लाखों रुपये की जरूरत थी. इसके बाद उन्होंने बिल्डर से ही लाखों रुपये कर्ज लिये और काफी कष्ट झेलते हुए पटना से लेकर दिल्ली तक इलाज कराया. एक साल पहले ही उन दोनों बहनों को 13 लाख रुपये मिले थे. चाचा नरेश पासवान ने बताया कि वह पढ़ने में अच्छी थी और उन लोगों को उम्मीद थी कि वह कुछ बनेगी और परिवार का सहारा बनेगी. लेकिन उसकी मौत के बाद उनकी सारी उम्मीदें धूमिल हो गयी हैं.

बनना चाहती थी कंप्यूटर इंजीनियर
चंचल कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहती थी और पढ़ने में भी काफी अच्छी थी. लेकिन इस घटना के बाद उसका काफी दिनों तक इलाज चला और फिर उसने दानापुर के अब्दुल गफ्फार हाजी शेख से राजनीति शास्त्र में बीए में एडमिशन लिया. हाल में ही उसने पार्ट थ्री की परीक्षा दी थी और नतीजा नहीं आया है.

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