बिहार में बयानों के भंवर में है ”मीरा” की नैया, महागठबंधन में मुद्दा बन कर उभरा राष्ट्रपति चुनाव
आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए और कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद बिहार का राजनीतिक पारा गरम है. बिहार में महागठबंधन की सरकार है. राजद और कांग्रेस एंटी एनडीए उम्मीदवार मीरा कुमार के समर्थन में हैं. वहीं, जदयू एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन कर रहा है. […]
आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए और कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद बिहार का राजनीतिक पारा गरम है. बिहार में महागठबंधन की सरकार है. राजद और कांग्रेस एंटी एनडीए उम्मीदवार मीरा कुमार के समर्थन में हैं. वहीं, जदयू एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन कर रहा है. जदयू की ओर से रामनाथ कोविंद को समर्थन देने की बात सामने आने के बाद से राजद सुप्रीमो लालू यादव लगातार धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हुए फांसीवाद ताकतों से लड़ने के लिए जदयू को ललकार रहे हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार सियासत में अपने अलग स्टैंड, सिद्धांत और नैतिकता के लिए जाने जाते हैं, इसलिए उनके फैसले से वापस लौटने का सवाल ही नहीं उठता.
लालू प्रसाद यादव ने राजद के दावत-ए-इफ्तार के मौके पर मीडिया को दिये बयान में कहा कि हमलोग अब भी नीतीश कुमार द्वारा ही सुझाये गये ‘संघ मुक्त’ देश बनाने की राह पर हैं, लेकिन न जानें अब क्या हो गया कि नीतीश ने संघ के व्यक्ति को समर्थन दे दिया. लालू के मुताबिक, जदयू को विचारधारा की लड़ाई नहीं छोड़नी चाहिए. लालू ने यह भी कहा था कि पसंद व्यक्तित्व के आधार पर नहीं, बल्कि विचारधारा के आधार पर होनी चाहिए. फांसीवादी ताकतों को रोकने के लिए हम साथ आये हैं. लालू ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर जदयू के फैसले से बिहार में महागठबंधन की सरकार पर कोई असर नहीं है.
वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने एक बयान में कहा कि मैं मीरा कुमार जी का सम्मान करता हूं, लेकिन बिहार की बेटी का चयन हार की रणनीति के लिए हुआ है. नीतीश ने कहा कि अगर जीत की रणनीति के लिए हुआ होता, तो बिहार की बेटी का चयन नहीं होता.
नीतीश ने कहा कि 2019 में हार के लिए रणनीति बनायी जा रही है. लालू प्रसाद द्वारा दिये गये दावत-ए-इफ्तार में नीतीश ने कहा कि हमने अतीत में भी स्वतंत्र निर्णय किया था, जब एनडीए में रहते हुए प्रणब मुखर्जी को समर्थन दिया था. मुख्यमंत्री ने मीडिया से स्पष्ट कहा कि लालू यादव बोलने के लिए स्वतंत्र हैं. मैं अपने फैसले पर कायम हूं.
उधर, राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सूबे के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बयान दिया है कि यह विचारधारा की लड़ाई है और उनकी पार्टी इस मसले पर कोई समझौता नहीं करेगी. इस मसले पर सुशील मोदी ने भी अपनी राय व्यक्त की है. सुमो ने कहा है कि लालू प्रसाद राष्ट्रपति चुनाव में हारी हुई बाजी पर दावं लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रतिभा देवी सिंह पाटिल और प्रणव मुखर्जी को जब राष्ट्रपति बनाया गया था, तब दलितों के मसीहा बाबू जगजीवन राम की बेटी को क्यों भुला दिया गया था? लालू पर निशाना साधते हुए सुशील मोदी ने कहा कि रामनाथ कोविंद के नामांकन के बाद आज लालू प्रसाद को दलितों के प्रति प्रेम उमड़ा है. मगर जब उनके 15 वर्षों के राज के दौरान बिहार में सैकड़ों दलित गाजर-मूली की तरह काटे गये थे, तब वह कहां थे?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस बार के राष्ट्रपति चुनाव के संपन्न होने तक, खासकर बिहार में राजनीति गरमायी रहेगी और यहां के नेता एक-दूसरे के खिलाफ में बयानबाजी करते रहेंगे.
यह भी पढ़ें-
JDU का रामनाथ कोविंद को समर्थन जल्दीबाजी में तो नहीं ?