नाव हादसे के बाद भी हम कोई सबक सीखने को तैयार नहीं
छह माह पूर्व मकर संक्रांति पर हुए नाव हादसे को अभी तक लोग भूल नहीं पाये है. उस हादसे ने असमय ही 24 जिंदगियां लील ली थी. लेकिन, उस घटना से न तो जिला प्रशासन और न ही आम लोगों ने कोई सबक लिया है. लापरवाही देखनी हो तो कच्ची दरगाह चले आइए. जिस नाव […]
छह माह पूर्व मकर संक्रांति पर हुए नाव हादसे को अभी तक लोग भूल नहीं पाये है. उस हादसे ने असमय ही 24 जिंदगियां लील ली थी. लेकिन, उस घटना से न तो जिला प्रशासन और न ही आम लोगों ने कोई सबक लिया है. लापरवाही देखनी हो तो कच्ची दरगाह चले आइए. जिस नाव पर अधिकतम 15 से 20 लोग बैठ सकते हैं, उस पर दोगुने से अधिक लोग सवार होते हैं. इन नावों पर वाहन से लेकर मवेशी तक लादे जाते हैं. इन दृश्यों को कैद किया हमारे फतुहा प्रतिनिधि श्याम सुंदर केसरी ने.
दृश्य – एक : किसी एक नाव में अधिकतम 15 से 20 लोग सफर कर सकते हैं, लेकिन आप विश्वास नहीं करेंगे कि कच्ची दरगाह पर खड़ी इस नाव पर 80 से अधिक लोग सवार हैं. इनमें एक चौथाई से अधिक महिलाएं हैं.
दृश्य – दो : नाव में वाहन भी ढोए जाते हैं. दैनिक सफर करने वाले लोग अपनी मोटरसाइकिल लाद कर कच्ची दरगाह से राघोपुर आते-जाते हैं. दोनों छोर पर चढ़ने उतारने के दौरान दुर्घटना की बड़ी गुंजाइश होती है.
दृश्य- तीन : राघोपुर (वैशाली) के लोगों के लिए यह ओवरलोडिंग बड़ी बात नहीं, पर छोटे से नाव पर ट्रैक्टर को देख कर लापरवाही का अंदाजा लगाया जा सकता है. थोड़े से पैसे के लालच में नाविक लोगों की जान को दांव पर लगा देते हैं.