11 वर्षों में 10124 बाल श्रमिक छुड़ाये गये, 3109 पर मामला दर्ज
राज्यभर में बाल श्रम पर पूर्ण रूप से रोक लगाने के लिए जिला स्तर पर चलंत दल तैनात हैं. बावजूद इसके बाल श्रमिकों को रेस्क्यू किया जा रहा है.
गया, वैशाली, पटना, समस्तीपुर व पश्चिम चंपारण में छुड़ाये गये सबसे अधिक बाल श्रमिक
संवाददाता, पटनाराज्यभर में बाल श्रम पर पूर्ण रूप से रोक लगाने के लिए जिला स्तर पर चलंत दल तैनात हैं. बावजूद इसके बाल श्रमिकों को रेस्क्यू किया जा रहा है. श्रम संसाधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 11 वर्षों में सबसे अधिक गया से 1060, वैशाली 500, पटना 635, समस्तीपुर 539 और पश्चिम चंपारण से 532 से अधिक बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराया गया है. वहीं, 3109 लोगों पर मामला दर्ज कराया गया है. विभाग ने सभी जिलों को निर्देश भेजा है कि बाल श्रम मुक्त जिला बनाने के लिए काम करें. बाल श्रम कराने वालों पर कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन की मदद लें.
बिहार के बाहर से 2976 बच्चों को छुड़ाया गया
– अररिया 192, अरवल 75, औरंगाबाद 206, बांका 152, बेगूसराय 266, भागलपुर 217, भोजपुर 185, बक्सर 85 दरभंगा 273, गया 1060, गोपालगंज 157, जमुई 125, जहानाबाद 228, कैमूर 163, कटिहार 312, खगड़िया 123 किशनगंज 203, लखीसराय 85, मधेपुरा 147, मधुबनी 265, मुंगेर 163, मुजफ्फरपुर 258, नालंदा 477, नवादा 437, पूर्वी चंपारण 277, पटना 635, पश्चिम चंपारण 532, पूर्णिया 408, रोहतास 141, सहरसा 171,समस्तीपुर 539, सारण 251, शेखपुरा 119, शिवहर 68, सीतामढ़ी 395, सीवान 119, सुपौल 115 व वैशाली 500 यानी कुल 10124 बच्चों को छुड़ाया गया है. वहीं, इनमें 2976 बाल श्रमिक ऐसे भी शामिल हैं, जिन्हें दूसरे राज्यों से छुड़ाया गया है.
इतने लोगों पर किया गया मामला दर्ज– अररिया 100,अरवल 26,औरंगाबाद 54,बांका 77,बेगूसराय 101, भागलपुर 101, भोजपुर 43, बक्सर 35 दरभंगा 97, गया 142, गोपालगंज 68, जमुई 35, जहानाबाद 26, कैमूर 35, कटिहार 92, खगड़िया 50, किशनगंज 63, लखीसराय 39, मधेपुरा 79, मधुबनी 117, मुंगेर 64, मुजफ्फरपुर 93, नालंदा 82, नवादा 67, पश्चिम चंपारण 144, पटना 220, पश्चिम चंपारण 219,पूर्णिया 105,रोहतास 54, सहरसा 58,समस्तीपुर 104, सारण 95, शेखपुरा 56, शिवहर 38, सीतामढ़ी 118, सिवान 55, सुपौल 58, वैशाली 99 कुल 3109 लोगों को दर्ज किया गया है.
पिछले 11 वर्षों का आंकड़ा
साल @बच्चों की संख्या2014-15 : 1196
2015-16 : 1108
2016-17 : 1054
2017-18 : 940
2018-19 : 1048
2019-20 : 749
2020-21 : 479
2021-22 : 490
2022-23 : 852
2023-24 : 1410
2024-25 : 798
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