16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बेटे की कुरसी बचाने में जुटे लालू, आज एक-एक विधायक से रायशुमारी

संकट. छापेमारी के बाद राजद की राजनीति में डैमेज कंट्रोल पर शुरू हुई कवायद पटना : राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद अपने उप मुख्यमंत्री बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव की कुरसी बचाने में जुट गये हैं. सोमवार को दिन के 10 बजे राबड़ी आवास 10, सर्कुलर रोड पर होने वाली बैठक में वह इस मसले पर एक-एक […]

संकट. छापेमारी के बाद राजद की राजनीति में डैमेज कंट्रोल पर शुरू हुई कवायद
पटना : राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद अपने उप मुख्यमंत्री बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव की कुरसी बचाने में जुट गये हैं. सोमवार को दिन के 10 बजे राबड़ी आवास 10, सर्कुलर रोड पर होने वाली बैठक में वह इस मसले पर एक-एक विधायक से रायशुमारी करेंगे.
राजद विधायक दल की बैठक को अहम माना जा रहा है. खुद सरकार की दूसरे नंबर की सहयोगी पार्टी जदयू को भी इस बैठक में होने वाले फैसले पर नजर है. बैठक में सीबीअाइ की छापेमारी के बाद की परिस्थितियों पर विचार होगा. सीबीआइ द्वारा उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को अभियुक्त बनाये जाने और उन पर बढ़ते इस्तीफे के दवाब के बीच राजद विधायकों की राय सरकार के लिए भी अहम रखती है. पार्टी ने अपने सभी विधायकों को बैठक में शामिल होने का निर्देश दिया है.
सूत्रों की मानें तो राजद विधायकों को सीबीआइ की छापेमारी के बाद जदयू की चुप्पी चुभ रही है. राजद विधायक अपने इसी आक्रोश को राजद प्रमुख लालू प्रसाद के समक्ष पेश करेंगे. विधायक इस बात को सार्वजनिक रूप से प्रकट नहीं कर रहे हैं पर इनमें से कई ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि अब यह अवसर आ गया है जब वह अपनी इस पीड़ा को अपने नेता के सामने रखे. राजद विधायकों का कहना है कि लालू प्रसाद हर कुर्बानी देकर सरकार चलाने के पक्ष में हैं.
सीबीआइ छापेमारी के तीसरे दिन राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने अपने ऊपर की गयी कार्रवाई का ट्विटर के माध्यम से जवाब दिया. लालू प्रसाद ने नेशनल हेराल्ड इंडिया के एक पोस्ट पर रिट्वीट करते हुए लिखा है कि उनके परिवार को टारगेट क्यों बनाया गया है. उन्होंने लिखा है कि वह इसलिए टारगेट पर हैं क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की तानाशाही को चुनौती दी है.
इससे साथ ही वह देश और संविधान को बचाने के लिए विपक्षी एकता को संगठित कर रहे हैं.
आगे उन्होंने लिखा है कि उनको इसलिए भी टारगेट किया जा रहा है क्योंकि वह भारत की लोकतंत्र और गरीब राजनीति के गंभीर समर्थक और चिंतक हैं. वह सामाजिक समानता और सशक्तिकरण का प्रतिनिधित्व करते है.
सीबीआइ की छापेमारी की बाद की आगे की रणनीति तथा राष्ट्रपति चुनाव में राजद का हर वोट मीरा कुमार के पक्ष में सुनिश्चित करने की तैयारी है. पार्टी किसी भी हाल में कांग्रेस का साथ छोड़ना नहीं चाहती है. इसलिए अपने सभी विधायकों को राष्ट्रपति उम्मीदवार मीरा कुमार के पक्ष में एकजूट होने को कहा जायेगा.
दूसरी ओर राजद की ओर से 27 अगस्त को आयोजित रैली को ऐतिहासिक बना कर लालू प्रसाद केंद्र पर जनाधार का दबाव भी बनाना चाहते हैं. बैठक में रैली की तैयारी की समीक्षा भी की जायेगी. विधायक दल की बैठक में सभी 80 विधायकों और सात विधान पार्षदों को आमंत्रित किया गया है.
लालू प्रसाद राष्ट्रपति को लेकर होनेवाले मतदान के एक दिन पहले ही सभी विधायकों को पटना में आने का निर्देश दे दिया है. राजद के सभी विधायक पटना में 16 को आ जायेंगे. उस दिन सभी विधायकों की बैठक लालू प्रसाद करेंगे. यह भी निर्णय किया गया है राजद व कांग्रेस के विधायकों की संयुक्त बैठक भी हो सकती है.
28 से पहले साफ होगी तसवीर
पटना : बिहार विधानसभा का माॅनसून सत्र 28 जुलाई से शुरू हो रहा है. यह सत्र महागठबंधन सरकार के लिए अग्नि परीक्षा से कम साबित नहीं होगा. खबर है कि सत्र शुरू होने के पहले ही सरकार को कोई निर्णय लेना होगा कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव अपने पद पर बने रहेंगे या उन्हें इस्तीफा देना होगा.
माॅनसून सत्र के दौरान सरकार विपक्ष को कोई बड़ा मुद्दा हाथ में नहीं आने देगी. इसके लिए सत्र आरंभ होने के पहले उपमुख्यमंत्री को लेकर तसवीर साफ हो जाने की उम्मीद जतायी जा रही है. भाजपा दोनों ही सदनों में इस मामले को लेकर हमलावर होने का संकेत दे चुकी है. राजद प्रमुख लालू प्रसाद के साथ उनके परिवार पर पहले इनकम टैक्स फिर सीबीआइ और अंत में प्रवर्तन निदेशालय के छापेमारी की जा चुकी है. विधानमंडल में विपक्ष इसका जवाब सरकार से मांगेगा. विपक्ष के लिए यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि सरकार में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव और राजद विधान मंडल दल की नेता राबड़ी देवी को सीबीआइ ने रेलवे होटल ठेके मामले में आरोपी बनाया है. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी विधान परिषद की सदस्य हैं.
मानसून सत्र के दौरान विपक्षी इस मामले को लेकर नीतीश कुमार के सुशासन और आरोपी उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को सरकार से हटाने की मांग कर सकते हैं. हालांकि यह सत्र छोटा है. फिर भी विपक्ष इस मुद्दे पर हमलावर बना रहेगा. यह भी आशंका है कि विपक्ष सदन की कार्रवाई को पूरी तरह से नहीं चलने दे. फिलहाल सरकार में शामिल जदयू इस मामले पर वेट एंड वाच की स्थिति में हैं. अगर यहीं स्थित सत्र के दौरान रही तो राजद को विपक्ष का हमला अकेले झेलना होगा. हालांकि सत्र आरंभ होने में अभी 19 दिन शेष हैं.
किसी भी निर्णय लेने के लिए यह पर्याप्त समय साबित होगा. अगर इस बीच लालू परिवार के सदस्यों में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव और राबड़ी देवी को जमानत मिल जाती है तो मुख्यमंत्री को कोई कदम उठाने की आवश्यकता ही नहीं होगी. अगर सत्र शुरू होने तक उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव और राबड़ी देवी को जमानत नहीं मिलती है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष के हमले से बचने के लिए उप मुख्यमंत्री का इस्तीफा ले सकते हैं या खुद लालू प्रसाद उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को इस्तीफा दिलवा सकते हैं.
तेजस्वी को लेकर सरकार के समक्ष सीमित विकल्प
पटना : लालू कुनबा अब तक के सबसे बड़े संकट में घिर गया है. सीबीआइ का मुकदमा सिर्फ राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के ऊपर होता तो पार्टी के लिए संकट की स्थिति उतनी नहीं होती. लेकिन, राजद के नये चेहरे तेजस्वी प्रसाद यादव भी कानूनी शिकंजे में उलझते जा रहे हैं.
ऐसे में सीबीआइ जब अपनी दबिश बढायेगा तो उनका सरकार में बने रह पाना मुश्किल होता जायेगा. जानकार बताते हैं कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के सरकार में बने रहने या नहीं रहने को लेकर सरकार के पास सीमित विकल्प हैं. अपनी छवि को लेकर सजग रहने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष भी धर्म संकट की स्थिति है. अधिक से अधिक सरकार उपमुख्यमंत्री को कुछ दिनों की मोहलत दे सकती है. देर-सबेर उनके सरकार में बने रहने या हटने से संबंधित फैसला लेना ही होगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सरकार के मुखिया होने के नाते उन्हें जल्द ही कड़े निर्णय लेने होंगे. सीबीआइ ने वित्तीय गड़बड़ी मामले में तेजस्वी यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. सीबीआइ अब उन्हें पूछताछ के लिए अलग से सम्मन जारी कर सकती है. या फिर साठ दिनों के भीतर आरोपपत्र दायर कर सकती है. ऐसे में तेजस्वी की मुश्किलें दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं. सीबीआइ का रुख कड़ा होता गया तो उन्हें दिन प्रतिदिन कचहरी का चक्कर लगाना होगा. ऐसे में सरकार की भी फजीहत होने से इनकार नहीं किया जा सकता. तेजस्वी के साथ ही पिता लालू प्रसाद और माता राबड़ी देवी भी अभियुक्त बनायी गयीं हैं. जबकि, चारा घोटाला मामले में अकेले लालू प्रसाद अभियुक्त थे.
उनके जेल जाने की स्थिति में राबड़ी देवी ने पार्टी और घर दोनों को संभाला था. इस बार संकट चौतरफा है.राजद नेताओं का तर्क है कि उमा भारती समेत अन्य कई ऐसे नेता देश में मौजूद हैं जिनके खिलाफ सीबीआइ ने मुकदमा दर्ज किया है और वह अपने पद पर बने हुए हैं. लेकिन, बिहार की स्थिति अलग है.राजद सूत्र बताते हैं कि सरकार की सहयोगी जदयू की इस मामले में चुप्पी भी उसे खटक रही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें