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बिहार में तेजी से बढ़ती जा रही फर्जी कंपनियों की संख्या, मीसा का मामला सबसे बड़ा उदाहरण

चिंताजनक. प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है जांच की तैयारी राज्य भर में पिछले तीन साल में ऐसी करीब तीन से साढ़े तीन हजार कंपनियां आयीं सामने कौशिक रंजन पटना : नयी दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों की तरह बिहार में भी बड़ी संख्या में बेनामी या फर्जी कंपनियां खुलने लगी हैं. पिछले तीन साल के दौरान […]

चिंताजनक. प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है जांच की तैयारी
राज्य भर में पिछले तीन साल में ऐसी करीब तीन से साढ़े तीन हजार कंपनियां आयीं सामने
कौशिक रंजन
पटना : नयी दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों की तरह बिहार में भी बड़ी संख्या में बेनामी या फर्जी कंपनियां खुलने लगी हैं. पिछले तीन साल के दौरान तीन से साढ़े तीन हजार ऐसी कंपनियां राज्य में खुल गयी हैं. अधिकांश कंपनियां पटना में ही मौजूद हैं. कागज पर चलने वाली इन कंपनियों का सबसे ज्यादा पता एक्जीबिशन रोड का ही है. जो कंपनियां खुल रही हैं, उसमें अधिकांश कंपनियां शेयर, एक्विटी और होल्डिंग का कारोबार करने के नाम पर ही खुल रही हैं.
जबकि पटना में शेयर का उतना बड़ा कारोबार नहीं होता है, जितनी बड़ी संख्या में ये कंपनियां खुल रही हैं. इससे स्पष्ट होता है कि इन कंपनियों का मुख्य मकसद ब्लैक मनी को व्हाइट करना ही है. ऐसी फर्जी कंपनियों पर इडी (प्रवर्तन निदेशालय) की नजर बनी हुई है. उसकी जांच के दौरान पटना में भी इस तरह की हजारों फर्जी कंपनियां सामने आयी हैं. इन कंपनियों पर भी इडी जांच की तैयारी कर रहा है. इन कंपनियों के मालिकाना हक और इनके जरिये होने वाले लेन-देन की जांच भी की जा सकती है.
इस तरह होता है इन कंपनियों का उपयोग: इन फर्जी कंपनियों का उपयोग ब्लैक मनी को व्हाइट करने के नेक्सस में शामिल हवाला कारोबारी या बड़े बिजनेसमैन करते हैं. ये कंपनियां जिस व्यक्ति के नाम पर होती हैं, उन्हें बदले में अच्छा-खासा कमीशन दिया जाता है. कमीशन के लालच में कई लोग अपना फर्जी आइडी प्रूफ बनाकर ऐसी कंपनियों को खोलते हैं, ताकि इनका उपयोग ब्लैक मनी वाले बिजनेसमैन कर सके.
दो तरह से इन फर्जी कंपनियों का उपयोग किया जाता है.
पहला, इन कंपनियों की बेहद कम मूल्य के शेयर को पहले अधिक मूल्य में खरीदा जाता है, फिर कुछ दिनों बाद इन्हें बेच कर, काफी बड़ा नुकसान दिखाया जाता है. इस कारोबार में जो नुकसान दिखाया जाता है, उसके जरिये ही ब्लैक मनी को व्हाइट किया जाता है. नुकसान या घाटा के रुपये को दिखा कर इन्हें व्हाइट कर दिया जाता है.
दूसरा, इस तरह की फर्जी पांच या सात कंपनियों के चैनल से होते हुए ब्लैक मनी को गुजारा जाता है. इनके बैंक खातों में इस पैसे को ट्रांसफर करते हुए अंत में इसे उस व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है, वास्तव में ये रुपये जिनके हैं. इन रुपये को संबंधित व्यापारी कर्ज के रूप में दिखा देता है. यह बता दिया जाता है कि कई लोगों से कर्ज लिया गया है. जबकि ये पैसे किसी एक व्यक्ति के ही होते हैं. इस तरह कर्ज के रूप में ब्लैक मनी को व्हाइट कर दिया जाता है.
मीसा का मामला सबसे बड़ा उदाहरण
हाल में इडी ने सांसद मीसा भारती पर शिकंजा ऐसी फर्जी कंपनी के माध्यम से कसा गया है, जिसमें जैन बंधुओं के करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपये को ब्लैक से व्हाइट किया गया. इसके बदले में मीसा भारती को नयी दिल्ली में तीन स्थानों पर अच्छी-खासी संपत्ति भी मिली है.
इसमें सबसे प्रमुख सैनिक विहार में मौजूद पांच एकड़ का फॉर्म हाउस है. मीसा भारती और उसके पति शैलेश कुमार जिस मिशैल पैकर्स एंड इंपोर्ट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के मालिक हैं, उसके वैल्यूलेस शेयर को 100 में खरीद कर फिर इसे 20 रुपये में बेचा गया. इस तरह सवा लाख से ज्यादा शेयर की खरीद-बिक्री हुई. ब्लैक मनी को व्हाइट करने के इसी खेल में मीसा और शैलेश पर पीएमएलए के तहत कार्रवाई चल रही है.

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