छेड़छाड़ के बाद फ्रस्ट्रेशन में जान देने या लेने पर उतारू हो जाती हैं लड़कियां
-रजनीश आनंद- 12 जुलाई 2017 पटना के फुलवारीशरीफ इलाके में एक लड़की ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. आत्महत्या का कारण यह बताया जा रहा है कि मोहल्ले का एक युवक उसके साथ लगातार छेड़खानी कर रहा था, जिसके कारण लड़की अवसाद में थी और तंग आकर उसने यह कदम उठाया. परिजनों के मुताबिक छात्रा […]
-रजनीश आनंद-
12 जुलाई 2017
पटना के फुलवारीशरीफ इलाके में एक लड़की ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. आत्महत्या का कारण यह बताया जा रहा है कि मोहल्ले का एक युवक उसके साथ लगातार छेड़खानी कर रहा था, जिसके कारण लड़की अवसाद में थी और तंग आकर उसने यह कदम उठाया. परिजनों के मुताबिक छात्रा के साथ मोहल्ले का एक युवक हमेशा छेड़छाड़ करता था कुछ समय पहले युवती ने उसकी शिकायत पुलिस में कर दी थी, जिसके बाद पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था. लेकिन अभी वह युवक जमानत पर जेल से बाहर था और युवती को परेशान कर रहा था.
14 नवंबर 2016
मध्यप्रदेश के सागर जिले में गौरझामर थाने के रसेना गांव में एक युवती ने छेड़छाड़ से तंग आकर सेल्फास की गोलियां खाकर आत्महत्या कर थी. आत्महत्या का कारण गांव के युवकों द्वारा छेड़छाड़ करना और धमकी देना बताया गया.
27 दिसंबर 2009
मध्यप्रदेश के सतना जिले से एक खबर आयी थी कि नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक युवती ने छेड़छाड़ से तंग आकर आत्महत्या कर ली.
11 दिसंबर 2010
कानपुर : उत्तरप्रदेश के कानपुर के नर्वल इलाके के गढ़ी खेड़ा में एक लड़की ने छेड़छाड़ से तंग आकर आत्महत्या कर ली. घटना के बाद पुलिस ने गांव के ही चार युवकों को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया. उक्त युवती को गांव के ही कुछ लड़के ने अपने ऊपर मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा ली, जिससे उसकी मौत हो गयी.
20 मई 2017
पंजाब के फाजिल्का जिला के गांव कंदवाला हाजर खा की एक नाबालिग लड़की ने छेड़खानी से तंग आकर आत्महत्या कर ली. लड़की 10वीं क्लास में पढ़ती थी, गांव का ही एक युवक मनप्रीत सिंह स्कूल जाते व आते वक्त रास्ते में उसके साथ छेड़खानी करता था जिससे वह परेशान रहती थी. तंग आकर सुनीता ने गांव के तालाब में छलांग मार कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली.
यह चंद उदाहरण हैं, जहां किशोरियों ने युवतियों ने छेड़छाड़ से तंग आकर आत्महत्या कर ली. यह घटनाएं हमारे समाज के सामने कई सवाल छोड़ती हैं कि आखिर क्यों इन लड़कियों को आत्महत्या का रास्ता अपनाना पड़ रहा है. क्या हम एक ऐसे समाज में रहते हैं, जहां लड़कियों को जीने के लिए एक सुरक्षित माहौल भी नहीं मिल पाता है? आखिर क्या कारण है कि लड़कियां आये दिन छेड़छाड़ और बलात्कार जैसी घटनाओं का शिकार होतीं हैं और समाज उसके लिए कुछ नहीं कर रहा है. आखिर वे कौन से कारण तत्व हैं, जो इन लड़कियों को आत्महत्या के लिए मजबूर करते हैं. और हम कैसे उन तत्वों को समाज से मिटा सकते हैं आइए जानें कुछ विशेषज्ञों की राय:-
क्या है आत्महत्या के पीछे का मनोविज्ञान
रांची की मनोचिकित्सक साक्षी ने छेड़छाड़ के कारण युवतियों द्वारा आत्महत्या किये जाने के पीछे फ्रस्ट्रेशन को जिम्मेदार बताया. साक्षी का कहना है कि जब फ्रस्ट्रेशन लेवल बहुत बढ़ जाता है तो इंसान समझ नहीं पाता कि वह क्या करे, इसी मानसिक स्थिति में उसके अंदर जान लेने या देने की सोच उपजती है. जहां तक बात छेड़छाड़ की है, तो इसे हमारा समाज बहुत गंभीरता से नहीं लेता. लेकिन ध्यान देने वाली यह है कि हर इंसान के बर्दाश्त करने की क्षमता अलग होती है. कोई ऐसे मामलों को झेल जाता है तो कोई झेल नहीं पाता. कई मामलों में हम देखते हैं कि लड़कियां घर वालों से शिकायत करती हैं, लेकिन घर वाले उसकी बातों पर ध्यान नहीं देते हैं और इन चीजों को अनदेखा करते हैं. जिसके कारण ऐसी घटनाएं हो जाती हैं. आज जरूरत इस बात की है कि बेटी बचाओ अभियान की बजाय, लड़कों को ट्रेनिंग दी जाये कि वे किस तरह लड़कियों से पेश आयें,आखिर एक सम्मानित जीवन जीने का हर लड़की को अधिकार है.
लड़कियों को आवाज उठानी होगी
सेंट्रल यूनिवर्सिटी आफ झारखंड के पूर्व डीन संतोष तिवारी का कहना है छेड़छाड़ की घटनाएं समाज में ना हो, इसके लिए जरूरी है कि लड़कियां अपनी आवाज बुलंद करें. अगर वे आवाज उठायेंगी तो ऐसी घटनाएं नहीं होंगी. हां चुपचाप सहने से छेड़खानी करने वालों की हिम्मत बढ़ती है. मैंने अपने कार्यकाल में जब भी ऐसी कोई शिकायत मेरे सामने आयी मैंने उनपर त्वरित कार्रवाई की. स्ट्रांग डिसीजन लिये, इसलिए अगर लड़कियां शिकायत करेंगी तो उन्हें आत्महत्या की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा ऐसा मुझे लगता है. साथ ही एक बात जो मुझे समझ आती है कि स्कूल-कॉलेज में ऐसी घटनाएं कम होती हैं , हां गली-मोहल्लों में ऐसी घटनाएं आम हैं, जिन्हें रोकने के लिए अभिभावकों को सामने होगा. वे अपने लड़कों पर नकेल कसें, ताकि वे चौराहे पर खड़े होकर लड़कियों को ना छेड़ें.
पुरूषों को संवेदनशील चीजों से जोड़ना जरूरी
महिेला अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता किरण निशांत कहती हैं कि हमारे समाज में महिलाओं का इतना अपमान होता है कि वे डिप्रेशन में चली जाती हैं और आत्महत्या जैसा कदम उठाती हैं. हमारे समाज में कई तरह की विसंगतियां हैं. समाज में महिलाओं को त्याग की प्रतिमूर्ति बताया जाता है, लेकिन उसकी भावनाओं की कद्र नहीं होती. छेड़छाड़ वाली घटनाओं पर उन्हें इस तरह समझाया जाता है कि कीचड़ पर पत्थर फेंकोंगे तो छींटे तुमपर ही पड़ेंगे, समाज में इस तरह की विचारधारा लड़कियों को कमजोर करती है. हर इंसान की बर्दाश्त करने की क्षमता अलग होती है, तो जो बहुत मजबूत नहीं हैं वह आत्महत्या कर लेते हैं. इसे रोकने के लिए जरूरी है कि लड़कों को ट्रेनिंग दी जाये. उन्हें बताया जाये कि वे किस तरह लड़कियों के साथ पेश आयें. आजकल देशभर में ऐसी कोशिश हो रही है कि लड़कों को संवेदनशील चीजों से जोड़ा जाये. रोना पुरूष भी चाहते हैं, रंगीन कपड़े उन्हें भी पसंद है, खाना बनाना उन्हें भी पसंद है. वे सिर्फ बलात्कारी और कमाने की मशीन नहीं हैं. इसलिए अगर उन्हें संवेदनशील बनाया जाये, तो समाज बदलेगा इसकी पूरी उम्मीद है.