गंगा होती रहेगी मैली, कंकड़बाग और दीघा प्रोजेक्ट की स्वीकृति नहीं
विडंबना. पांच जगहों पर सीवरेज नेटवर्क की योजना, दो प्रोजेक्ट स्वीकृत नहीं गंदे पानी को खपाने के लिए सीवरेज एसटीपी की होती है जरूरत बेऊर व सैदपुर में शुरू हो चुका है काम पटना : भले ही राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक गंगा में सीवरेज का पानी गिरने से रोकने का प्रयास कर […]
विडंबना. पांच जगहों पर सीवरेज नेटवर्क की योजना, दो प्रोजेक्ट स्वीकृत नहीं
गंदे पानी को खपाने के लिए सीवरेज एसटीपी की होती है जरूरत
बेऊर व सैदपुर में शुरू हो चुका है काम
पटना : भले ही राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक गंगा में सीवरेज का पानी गिरने से रोकने का प्रयास कर रहे हों. मगर अब राजधानी में तीन वर्षों तक सीवरेज का गंदा पानी गंगा व पुनपुन में गिरता रहेगा. बिहार आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड की ओर से शहर के पांच जगहों पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट व सीवरेज नेटवर्क पर काम किया जा रहा है. इसके 2021 तक पूरा होने की संभावना है. बेऊर व सैदपुर में एसटीपी व सीवरेज नेटवर्क का काम शुरू किया जा चुका है, जबकि पहाड़ी, करमलीचक पर बुडको की ओर से वर्क ऑर्डर दिया जा चुका है.
अधिकांश क्षेत्रों में लोग व्यक्तिगत टंकी के माध्यम से ही सीवरेज को खपाने का काम करते हैं. हालांकि यह एक आदर्श स्थिति नहीं है. बड़े आपार्टमेंट व घनी आबादी क्षेत्र में सरकारी स्तर पर सीवरेज नेटवर्क व गंदे पानी को खपाने के लिए सीवरेज एसटीपी की जरूरत होती है. जानकारी के अनुसार शहर के बेली रोड, बेऊर क्षेत्र व अन्य कुछ इलाकों में सीवरेज नेटवर्क है, जो आजादी से पहले का है.
लगभग 1500 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट : बुडको के प्रोजेक्ट को लगभग 1500 करोड़ रुपये में दो से पांच वर्ष में पूरा किया जाना है. अधिकारी बताते हैं कि अधिसूचना आने के बाद कंपनी को लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस दिया जायेगा. एलएनटी जैसी बड़ी कंपनियां प्रोजेक्ट को पूरा करेंगी.
जरूरी है सीवरेज की उपलब्धता
शहर में पांच जगहों पर सीवरेज एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) व सीवरेज नेटवर्क बनाने की योजना है. बुडको ने इस प्रोजेक्ट की डीपीअार केंद्र सरकार की गाइड लाइन के आधार पर वर्ष 2011 में तैयार की थी, लेकिन वित्तीय स्वीकृति व विश्व बैंक की सहमति नहीं मिलने के कारण मामला रुका हुआ था. वहीं दूसरी तरफ किसी शहर को स्मार्ट सिटी बनने के लिए सीवरेज की उपलब्धता एक बुनियादी जरूरत है. सीवरेज बनने का काम शुरू हो जाता है, तो ये राह आसान हो जायेगी.
दो प्रोजेक्टों को स्वीकृति नहीं मिली
राजधानी में एसटीपी व नेटवर्क का काम विश्व बैंक की स्वीकृति से किया जा रहा है. पांच जगहों पर विश्व बैंक ने सीवरेज परियोजना की स्वीकृति दी है. वहीं कंकड़बाग व दीघा के प्रोजेक्ट की स्वीकृति नहीं मिली है. इस कारण सीवरेज प्रोजेक्ट का काम नहीं किया जा रहा है. प्रोजेक्ट में केंद्र व राज्य सरकार को 70:30 के हिसाब से राशि खर्च करनी है. लेकिन पांच वर्ष बीतने के बाद प्रोजेक्ट की लागत बढ़ गयी है.