आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना
पटना : बिहार की सियासत में अपनी काबिलियत, शोध, अक्रामक रणनीति, एकांतिक जानकारी और हमलावर रूख से विरोधियों को परास्त करने की कला सीखनी हो, तोउसकेलिए सबसे बड़े उदाहरण हैं, बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी. ऐसा कोई दिन नहीं होता, जिस दिन वह ट्वीटर पर सक्रिय नहीं होते. सामान्य दिनों को छोड़ दें, तो ऐसा कोई दिन नहीं होता, जिस दिन वहनयीएनर्जी और नयी जानकारी के साथ संवाददाता सम्मेलन न करें. विरोधियों के बारे में जानकारी और पुख्ता सबूत होते ही, प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से उसे जनता और मीडिया के पास पहुंचाना, किसी भी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीति के मुद्दे पर अपनी बात सटीकता और सार्थकता के साथ रखना, उनकीआदत में शुमार है. बिहार की राजनीति में सुशील मोदी के हाशिये पर जाने की चर्चा विरोधियों ने भी कि और पार्टी के अंदरखाने भी गाहे-बगाहे यह चर्चा होती रही. इन सबके बावजूद हाल के दिनों में मोदी ने बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार को पानी पिला दिया. उनकेद्वारा सबूत के साथ लगाये आरोपों को मीडिया ने जहां खास तरजीह दी, वहीं भारत सरकार की जांच एजेंसियों ने भी गंभीरता से लिया.
बिहार भाजपा में वन मैन आर्मी सुशील मोदी
बिहार कोटे से भाजपा के पांच सांसद केंद्र में मंत्री हैं, जिनमें राजीव प्रताप रूडी, रामकृपाल यादव, रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह और गिरिराज सिंह शामिल हैं. बिहार प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष नित्यानंद राय भी सांसद हैं. बिहार भाजपा में और भी चेहरे,जैसे नंद किशोर यादव और सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा भी कद्दावर नेता हैं. इन सबकी लोकप्रियता के आईने में सुशील मोदी केव्यक्तित्व की समग्रता देखने पर साफ पता चलता है कि सुशील मोदी ने अपनी मेहनत के बलबूते, भाजपा के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति में एक अलग पहचान कायम की है. भाजपा कोटे के बिहार के मंत्री या प्रदेश अध्यक्ष हाल के दिनों में उतने पॉपुलर नहीं रहे,जितने सुशील मोदी. सुशील मोदी ने सोशल मीडिया का भी भरपूर इस्तेमाल किया, वहीं लालू परिवार की बेनामी संपत्ति के खुलासे के मामले में उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस की झड़ी लगा दी. कल तक अपनी पार्टी के विरोधियों के निशाने पर रहने वाले मोदी की इस काबिलियत को केंद्र के नेतृत्व को भी मानना पड़ा. आज सुशील मोदी की शोध और सबूतों के साथ पेश किये गये आरोपों का परिणाम ही है कि लालू परिवार पर आरोपों का पहाड़ टूट पड़ा है.
मिट्टी घोटाले से शुरू हुआ प्रेस कांफ्रेंस का सिलसिला
4 अप्रैल 2017 का वह दिन लालू परिवार कभी नहीं भूल सकता, जब मॉल की मिट्टी को अवैध तरीके से पटना जू को बेचने का सबसे पहला मामला सामने आया. उसके बाद फिर क्या था, सुशील मोदी ने इस मामले को लपका और दूसरे ही दिन मिट्टी घोटाले का आरोप लगाते हुए सबूत के साथ प्रेस कांफ्रेंस कर दी. मामले में जांच होने लगी, तब तक सुशील मोदी के पास अन्य स्रोतों से लालू परिवार की बेनामी संपत्ति का पूरा विस्तृत विवरण हाथ लग गया. सुशील मोदी ने लगातार हमले जारी रखे और परिणाम सबके सामने है. 11 अप्रैल के अपने संवाददाता सम्मेलन में मोदी ने लालू परिवार पर हमला बोला और कहा कि यह तो शुरुआत है, खुलासे अभी और बाकी हैं. 05 मई 2017 के अपने प्रेस कांफ्रेंस में मोदी ने कहा कि लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने गलत तरीके से पेट्रोल पंप का आवंटन लिया है. इस आरोप के तुरंत बाद एजेंसिया सक्रिय हो गयीं और कानूनी कार्रवाई होने लगी. 08 मई को सुशील मोदी ने प्रेस कांफ्रेंस में बेनामी संपत्ति पर आरोप लगाते हुए कहा कि लालू यादव का साथ नहीं छोड़ेंगे नीतीश. 16 मई 2017 के अपने प्रेस कांफ्रेंस में सुशील मोदी ने लालू परिवार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कई बेनामी कंपनियों और बेनामी संपत्ति का खुलासा किया.
लगातार रहे हमलावर
सुशील मोदी यहीं नहीं रुके और लगातार मीडिया के माध्यम से लालू पर हमला बोलते रहे. उन्होंने 20 जून को अपने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि लालू की पत्नी राबड़ी देवी 18 फ्लैटों की मालकिन हैं. 04 जुलाई के अपने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप को महज तीन साल की उम्र में सेवा के बदले 13 एकड़ जमीन दान में मिली. 06 जुलाई को उन्होंने राजद नेता कांति सिंह, रघुनाथ झा और बाकी लोगों से दान में मिली जमीन का भी खुलासा किया. 07 जुलाई को सुशील मोदी ने कहा कि अब लालू के घर सीबीआई ने छापेमारी की है, इस स्थिति में नीतीश कुमार को तेज प्रताप और तेजस्वी को मंत्रिमंडल से बरखास्त करना चाहिए. उन्होंने मंगलवार 18 जुलाई को कहा कि 26 साल की उम्र में तेजस्वी यादव ने 26 संपत्तियां कैसे अर्जित कीं ?
लगातार सुर्खियों में हैं सुशील मोदी
सुशील कुमार मोदी सोशल मीडिया पर भीकाफीसक्रिय हैं. रोजाना वह बिहार सरकार का ध्यान आकर्षित करने, साथ ही केंद्र सरकार की योजनाओं या फिर अपने व्यक्तिगत राजनीतिक दौरे को लेकर हमेशा ट्वीट करते रहते हैं. फेसबुक पर भी वह सक्रिय हैं. गूगल ट्रेंडस की बात करें तो पिछले एक महीने के दौरान उन्हें भी लोगों ने ‘की’ वर्ड के रूप में ज्यादा सर्च किया. वहीं दूसरी ओर भारत, न्यूजसर्च और पीपुल्स व सोसाइटी कटेगरी में 14 जुलाई 2017 को लोगों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से ज्यादा उन्हें सर्च किया. कुल मिलाकर राजनीतिक शुचिता, जिजीविषा और अपनी सियासी जीवटता के जरिये सुशील मोदी लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं.
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