पटना : नीतीश कुमार कभी सोनिया गांधी से टेलीफोन पर बात कर तो कभी राहुल गांधी से गुहार लगा कर अपना समय बर्बाद कर रहे हैं. जो राहुल गांधी भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई द्वारा चार्जशीटेड हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का इस्तीफा नहीं ले सके वे किस मुंह से तेजस्वी को इस्तीफा देने के लिए सुझाव देंगे. भ्रष्टाचार के खिलाफ राजद-कांग्रेस से सदाचार की उम्मीद ही बेमानी है.
तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का जदयू द्वारा बिन्दुवार जवाब मांगे जाने के 15 दिन बाद भी राजद चुप्पी साधे हुए है. यानी राजद ने भी यह स्वीकार कर लिया है कि सभी आरोप सही है. ऐसे में अब तेजस्वी के पास इस्तीफा देने या नीतीश कुमार को उन्हें बर्खास्त करने के अलावा दूसरा क्या रास्ता है? दूसरी ओर जदयू प्रवक्ताओं को चुप्प कराने के लिए चौक-चौराहों पर बैनर लगा कर राजद उन पर दबाव बना रहा है.
अब तक जदयू ने एक बार भी यह नहीं कहा है कि तेजस्वी को राजनीतिक बदले की भावना से फंसाया गया है या राजद की रैली रोकने के लिए सीबीआई कार्रवाई कर रही है. इस प्रकार जदयू भी यह मान रहा है कि तेजस्वी पर लगे आरोपों में दम है, इसीलिए पिछले 15 दिनों से बार-बार जदयू के प्रवक्ता तेजस्वी से आरोपों का बिन्दुवार जबाव मांग रहे हैं.
दरअसल नीतीश कुमार उस दोराहे पर खड़े हैं जिसका एक रास्ता नैतिकता तो दूसरा भ्रष्टाचारियों के संरक्षण की ओर जाता है. अब यह नीतीश कुमार को तय करना है कि उन्हें किस रास्ते पर आगे बढ़ना है.