पटना : सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार के एक फेसबुक पोस्ट से आपको ये जरुर पता लग जायेगा कि आज भी मेहनत, लगन और कर्म से व्यक्ति अपनी भाग्य की रेखाओं को बदल सकता है. साथ ही गुरुदक्षिणा देने वाले शिष्यों की भी दुनिया में कमी नहीं है. आनंद कुमार ने हाल ही में एक पोस्ट किया जिसमें अपने एक स्टूडेंट का जिक्र किया. पोस्ट में बताया गया कि किस प्रकार एक गरीब लड़का अपनी मेहनत से अपनी विजय गाथा लिखी और जिस बिहार से खराब समय में उस लड़के को प्यार दिया, उसी बिहार को वह सबकुछ लौटाने आ गया.
हम बात कर रहे हैं ज्योतिष कुमार की. ज्योतिष सुपर 30 के स्टूडेंट रहे हैं. उन्होंने आईटीआई दिल्ली और बीएचयू वाराणसी से अपनी पढ़ाई पूरी की और उसके बाद बिहार का कर्ज चुकाने बिहार के ही एक कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ज्योतिष वर्त्तमान में औरंगाबाद, बिहार के दाउदनगर कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. उनका कहना है कि हाशिए के लोगों को वे शिक्षा देंगे.
पढि़ए, सुपर 30 के आनंद कुमार का फेसबुक पोस्ट
कहा जाता है कि कर्म और ज्योतिष में कोई सम्बन्ध नहीं होता. लेकिन मैं तो अपने सुपर 30 के जिस स्टूडेंट ज्योतिष को जनता हूं वह अपने कर्म से अपने हाथों की तमाम निर्धनता की रेखायों को मिटा दिया है. घोर निर्धनता से लड़ते हुये ज्योतिष कुमार सुपर 30 में मेरे पास आता है. आगे आई.आई.टी. दिल्ली और बाद में बी.एच.यू. से पढ़ाई पूरी करने के बाद बिहार के ही एक सरकारी कॉलेज में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन किया है. कल ज्योतिष अचानक अपने पिता के साथ मिठाई लेकर मेरे घर मिलाने आया तब मैंने पूछा कि इतनी अच्छी पढ़ाई करने के बाद वापस बिहार. क्या बात है? उसने बताया कि सर आपने ही तो सिखाया था कि समाज को वापस करो. और मैनें भी सोचा कि सर ठीक ही कहते हैं कि अपनी जड़ों को कभी न भूलो. तब मैं वापस बिहार आ गया हूं और वह भी एक सरकारी कॉलेज में ताकि मैं समाज के हाशिये पर बैठे लोगों के लिए भी कुछ कर सकू. अपने उस समाज को कुछ दे सकूं, जिसने मुझे बहुत कुछ दिया है. आगे वह बोला कि सर आपने मुझे बहुत कुछ सिखाया है. आज मैं जो कुछ भी हूं सर आपका ही तो दिया हुआ है और यह बोलते बोलते पिता-पुत्र दोनों भावुक हो गये.
मैं दो तस्वीरें भी पोस्ट कर रहा हूं. एक जब सुपर 30 रिजल्ट आया था और एक कल की जब ज्योतिष मुझसे मिलाने आया हुआ था.
आनंद कुमार का इंटरव्यू VIDEO
बिहार के रहने वाले सुपर 30 के संचालक आनंद किसी परिचय के मोहताज नहीं है. जमशेदपुर में इनसे विशेष बातचीत की हमारे संवाददाता संदीप सावन ने. इस पूरी बातचीत में उन्होंने आनंद के अबतक के सफर और उनके संघर्ष पर सवाल किया है. आनंद ने इस वीडियो में अपने सफर पर विस्तार से बात की.
उन्होंने बताया है कि कैसे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में नामांकण के बाद भी वह पैसे के अभाव में नहीं जा सके. पिता के निधन के बाद उन्होंने अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं ली. आनंद ने कैसे 2002 में कुछ छात्रों के साथ सुपर 30 की शुरूआत की और अबतक यह सफर जारी है.