भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के मुद्दे पर डटे रहे नीतीश

शैबाल गुप्ता राजनीतिक विश्लेषक नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपने पद से इस्तीफा देकर यह जता दिया है कि वह भ्रष्टाचार पर अपने जीरो टॉलरेंस से किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे. भाजपा जिस तरह से भ्रष्टाचार व करप्शन को अपना मुद्दा बना रही थी, उससे यह लग रहा था कि यदि नीतीश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 27, 2017 6:45 AM
शैबाल गुप्ता
राजनीतिक विश्लेषक
नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपने पद से इस्तीफा देकर यह जता दिया है कि वह भ्रष्टाचार पर अपने जीरो टॉलरेंस से किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे. भाजपा जिस तरह से भ्रष्टाचार व करप्शन को अपना मुद्दा बना रही थी, उससे यह लग रहा था कि यदि नीतीश कुमार स्टैंड नहीं लेते तो भाजपा अकेले ही करप्शन का झंडा उठाये रहती. नीतीश कुमार का लालू प्रसाद के साथ राजनीतिक और सामाजिक तौर पर कोई विरोध नहीं था. हां, प्रशासनिक कामकाज को लेकर बड़ी खाई थी. एनडीए के आठ साल का शासनकाल काफी लोकप्रिय रहा.
नीतीश कुमार की अगुवाई में चली यह सरकार बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था के लिए लोकप्रिय रही थी. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव पर जब भ्रष्टाचार का आरोप लगा और सीबीआइ ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया तो नीतीश कुमार ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की. नीतीश कुमार के इस पहल का राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को समर्थन करना चाहिए था. जब भी सांप्रदायिकता पर जिन लोगों ने चोट किया वह लोग भ्रष्टाचार में डूबे हुए लोग थे.
करप्शन का सामाजिक अाधार मजबूत होता गया. वहीं, सांप्रदायिकता का आधार मजबूत नहीं हुआ. 1989 के बाद जब भी सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार में संघर्ष हुआ दोनों में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा बना. भाजपा विरोध में बनी यूपीए सरकार के मुखिया मनमोहन सिंह ईमानदार थे लेकिन उनकी सरकार पर भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगे. बिहार में भी यही संभावना बनती जा रही थी. नीतीश कुमार ने जीरो टॉलरेंस के अपने स्टैंड को कायम रखा.

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