पटना :बिहारमें मुख्यमंत्री पद से नीतीश कुमार के इस्तीफा देने के बाद भाजपा का समर्थन करने की घोषणा से राजनीतिक हलचलें तेज हो गयी. ऐसे में राजद काे कांग्रेस से उम्मीदें बढ़ गयी है. दोनों एक साथ रह कर मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा सकते हैं. राजद के 80 तो कांग्रेस के 27 विधायक हैं. महागठबंधन में जदयू, राजद व कांग्रेस शामिल थी. जदयू के अलग होने से महागठबंधन में राजद व कांग्रेस बच गयी है. सांप्रदायिक ताकतों को परास्त करने व सत्ता से दूर रखने के लिए राजद व कांग्रेस पूरजोर प्रयास करेगी. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने संकेत दिये कि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए नये नेता का चयन तीनों दलों के विधायकों की बैठक कर होनी चाहिए. लेकिन नीतीश कुमार को भाजपा द्वारा समर्थन करने की घोषणा से जदयू का राजद व कांग्रेस के साथ वापस होना संभव नहीं है.
पहले भी राजद व कांग्रेस मिल कर सत्ता में रही है. पिछले एक दशक से अधिक समय बाद पिछले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति अच्छी रही. कांग्रेस के 27 उम्मीदवार चुनाव में जीते. महागठबंधन में शामिल होने का फायदा कांग्रेस को मिला. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस बात को जोर देकर कह रहे हैं कि सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर रखने के लिए महागठबंधन बना था. पांच साल के लिए यह गठबंधन हुआ था. जदयू का उससे अलग होना दुर्भाग्यपूर्ण है. नीतीश कुमार ऐसे लोगों के साथ जाकर फिर मिल गये जिसे देश से मुक्त करने के लिए निकले थे. ऐसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अशोक चौधरी पटना से बाहर हैं. कांग्रेस के सूत्र ने बताया कि राजद के साथ कांग्रेस के तालमेल को लेकर आलाकमान निर्णय लेगा. फिलहाल कोई कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं.
पटना : हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने नीतीश कुमार के इस्तीफे का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने उच्च नैतिकता को फिर से स्थापित किया है. देर से ही सही पर उन्होंने दुरुस्त निर्णय लिया है. नीतीश कुमार द्वारा जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद वे काफी नाराज थे. व्यक्तिगत रूप से नीतीश कुमार की वे तारीफ करते रहे. तेजस्वी का इस्तीफा नहीं लिये जाने पर जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार पर आरोप भी लगाये थे. उन्होंने कहा था कि दलित होने के कारण हमसे इस्तीफा ले लिया गया था.