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नीतीश के शब्द : जितना संभव हुआ, गठबंधन धर्म का पालन किया, अंतरात्मा की आवाज पर दिया इस्तीफा

पटना : बिहार में महागठबंधन सरकार के सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार को इस्तीफा सौंपने के बाद कहा कि मैंने अभी-अभी राजपाल से मुलाकात करके अपना त्याग पत्र सौंप दिया है. आगे कहा कि जितना संभव हुआ, हमने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए बिहार की जनता से चुनाव में जो वादा किया था, उसका […]

पटना : बिहार में महागठबंधन सरकार के सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार को इस्तीफा सौंपने के बाद कहा कि मैंने अभी-अभी राजपाल से मुलाकात करके अपना त्याग पत्र सौंप दिया है. आगे कहा कि जितना संभव हुआ, हमने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए बिहार की जनता से चुनाव में जो वादा किया था, उसका क्रियान्वयन करना शुरू किया. सात निश्चय पर अमल करना प्रारंभ कर दिया. पूर्ण शराबबंदी लागू करके सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद रखी गयी. जो काम पहले से चल रहे थे, चाहे वे कृषि विकास से संबंधित हो, बुनियादी ढांचे का विकास हो, सड़क, पुल एवं पुलिया हो, बिजली का क्षेत्र हो या जन कल्याण का मामला, सबके लिये हमने निरंतर काम करने की कोशिश की है.

निश्चय यात्रा के दौरान क्रियान्वित हो रही योजनाओं को हमने देखा. जन प्रतिनिधियों के साथ हमने चर्चा भी की. जितना भी संभव हुआ, हमने काम करने की कोशिश की. 20 महीना यानी एक तिहाई समय बीत चुका है. इस बीच जो चीजें उभर कर सामने आयी हैं. उस माहौल मेरे लिये काम करना संभव नहीं है. हमने कभी किसी का इस्तीफा नहीं मांगा. हमारी लालूजी से बातचीत होती रहती है. तेजस्वी जी भी हमसे मिले थे. हमने उनसे यही कहा कि जो भी आरोप लगे हैं, उसके बारे में एक्सप्लेन करें. आमजन के बीच में जो अवधारणा बन रही है, उसे ठीक करने के लिये एक्सप्लेन करना बहुत जरूरी है, लेकिन वह भी नहीं हुआ. धीरे-धीरे माहौल ऐसा बनता जा रहा था और इसी बीच ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो गयी कि उसमें काम करना संभव नहीं हो पा रहा था.
मेरे जैसे व्यक्ति के लिए यहां काम करना संभव नहीं
नीतीश कुमार ने कहा कि हमने अपनी तरफ से गठबंधन धर्म का पालन करने की पूरी कोशिश की. जब पूरे माहौल को देखा, तो उसके बाद लगा कि मेरे जैसे व्यक्ति के लिए यहां काम करना संभव नहीं है. यह हमारी अंतर्रात्मा की आवाज थी. सारी बातें मेरे मन मे चल रही थी कि कोई रास्ता निकल जाये. हमने राहुल गांधी से भी बात की. बिहार के कांग्रेस नेताओं से भी बात की, उनसे भी हमने कहा कि कुछ ऐसा कीजिए कि सबको एक उचित रास्ता मिले. यह बेवजह बात है कि हमारी लालूजी के साथ संवादहीनता है. राजद के साथ कोई संवादहीनता नहीं है. हमने अपनी बात कह दी थी, अब उस पर उनको गौर करना था.
अब उधर की अपेक्षा होती है कि हम संकट में हैं, तो आप रक्षा करें. परंतु यह तो अपने आप लाया हुआ संकट है. उनको पूरी वस्तुस्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. अगर वे स्थिति स्पष्ट कर देते, तो हमलोगों को भी एक आधार मिलता. हमने इतने दिनों तक इंतजार किया और यह लग गया कि अब वे कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं. मैं अब इस स्थिति में और अधिक जवाब नहीं दे सकता था. जिस सरकार का मैं नेतृत्व कर रहा हूं, उस सरकार के अंदर के व्यक्ति के बारे में कुछ बात कही जाती है, तब हम कुछ कहने की स्थिति में नहीं होते हैं.
ऐसी स्थिति में सरकार को चलाने का मेरे पास कोई आधार नहीं होता. इसलिए मैंने फैसला लिया कि जब तक चला सकते थे, चलाये. अब मेरे स्वभाव और कार्य करने के तरीकों के अनुरूप नहीं है, इस सरकार को चलाना. मुख्यमंत्री ने कहा कि आप यह सोचिए कि नोटबंदी का मसला आया, तो इसका समर्थन किया. मेरे ऊपर न जाने क्या-क्या आरोप लगे और आप भी जानते हैं कि जब हम नोटबंदी का समर्थन कर रहे थे, तो हमने साफ-साफ कहा था कि बेनामी संपति पर भी हिट कीजिए.
ऐसी स्थिति में हम कैसे पीछे जा सकते थे
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब ऐसी स्थिति में हम कैसे पीछे जा सकते थे.हम हमेशा गांधीजी को कोट करते हैं कि इस धरती पर लोगों की जरूरत की पूर्ति तो हो सकती है, लेकिन लालच की पूर्ति नहीं हो सकती है. मैं तो हमेशा कहता रहा हूं कि गलत तरीके से धन-संपत्ति अर्जित करना सही नहीं है. बार-बार मैं कहता रहा हूं कि कफन में जेब नहीं होता, जो भी है यहीं रहेगा. जब हम इस तरह की बात करते रहे हैं, तो ऐसी परिस्थिति में आप समझ सकते हैं कि पीछे कैसे हटेंगे. हम तो विपक्षी एकता के पक्षधर हैं, लेकिन विपक्षी एकता का कोई एजेंडा होना चाहिए.
अभी राष्ट्रपति महोदय के चुनाव के सवाल पर हमने स्पष्ट कहा कि बिहार के राज्यपाल रहे हैं. बिहार के लिए गौरव की बात है कि वे राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं. बिहार में उन्होंने अच्छा काम किया है. हमने उनका समर्थन किया, इस बात को लेकर न जाने क्या-क्या आरोप लगाये गये. सभी परिस्थतियों को मैं झेलता रहा हूं. ऐसी परिस्थिति में जब इस तरह का वातावरण बन गया है, तो हमारी क्या भूमिका है, हम क्या कर सकते हैं. मुझे कुल मिलाकर ऐसा लगा कि एक सोच का दायरा भी अलग है. न कोई अपना डिसकोर्स है और न कोई अपना एजेंडा है. सिर्फ रियेक्टिव एजेंडा से काम चलने वाला नहीं है, उसके लिये कुछ बात होनी चाहिए, लेकिन उस पर कोई कोई चर्चा इतने दिनों में नहीं हुई.
हमने अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया अंततोगत्वा जिस बिहार में काम कर रहे हैं, उसकी ऐसी स्थिति हो जाय कि वहां के जनमत में और कोई चर्चा हो ही नहीं रही हो. ऐसी परिस्थिति में हम अपनी सोच के अनुरूप स्टैंड नहीं लेते, तो सही नहीं होता. हमने अपनी अंतर्रात्मा की आवाज पर निर्णय लिया. मेरे जैसे व्यक्ति के लिए इस सरकार को चलाना संभव नहीं है, इसलिये हमने तय किया कि हम किसी के खिलाफ नहीं बोलेंगे.
खुद ही नमस्कार करो और जगह का त्याग कर दो
हमने देख लिया कि अब कोई रास्ता नहीं है, तो तय किया कि खुद ही नमस्कार करो और जगह का त्याग कर दो. अब तक का जो हमारा काम करने का तौर-तरीका रहा है. हम उस पर अब तक काम करते रहे हैं. जब हमको दिख गया कि उसके आधार पर आगे काम नहीं कर सकते हैं, तो हमने मुनासिब समझा कि अपने आपको अलग कर लो. इसलिए आज हमने अपने आपको अलग कर लिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि राजपाल महोदय ने मेरे त्याग-पत्र को स्वीकार कर लिया और कहा कि जब तक कोई व्यवस्था नहीं होती है, तब तक काम करते रहेंगे. यह तो एक औपचारिकता है. उन्होंने कहा कि आगे क्या होगा, कब होगा, कैसा होगा, आगे के लिए छोड़ दीजिए. नीतीश कुमार ने कहा कि मेरा कमिटमेंट बिहार के प्रति है, बिहार के लेागों के प्रति, बिहार का विकास के प्रति, न्याय के साथ विकास के प्रति है.

उन्होंने कहा कि मैं किसी को कोई ब्लेम नहीं कर रहा हूं. मैंने पूरा प्रयत्न किया. 15 दिनों में जो भी संभव है, सब तरह से प्रयत्न किया कि कोई रास्ता निकले, लेकिन सारी बातें सतही हो रही थी, और वैसी सतही बातों को हम लोगों फेस नहीं कर सकते.

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