पटना : बिहार का सियासी समीकरण बदल चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर छठी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. महागठबंधन टूटने के सवालों पर मंथन करना राजनीतिक जानकारों के लिए भले मुश्किल साबित हो रहा हो, लेकिन इस्तीफा देने के बाद नीतीश ने जो बड़ी बातें कहीं, उस पर विचार जरूरी है. जानते हैं कि इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश ने कौन सी बड़ी बातें कही.
1. नीतीश ने कहा कि हमने 20 महीने तक महागठबंधन को चलाया, जितना संभव हुआ गठबंधन धर्म निभाने का पालन किया, हमने जनता के लिए काम किया. जनता के साथ जो वायदा किया उसे पूरा किया और कर रहे थे.
2. इस दौरान जो चीजें उभर कर सामने आयीं, उस माहौल में मेरे लिए काम करना असंभव हो गया था. मैंने अंतरात्मा की आवाज सुनी. हमारी लालू जी से भी बात होती रही है, तेजस्वी से भी बात की. हमने सिर्फ यही कहा था कि जो भी आरोप लगे हैं, उन पर आकर आप सफाई दें.
3. उन्होंने कहा कि इस्तीफे का फैसला अपनी अंतरात्मा की आवाज पर लिया. ऐसी स्थिति में सरकार चलना संभव नहीं, जितना संभव हुआ, उतना चलाया.
4. नीतीश ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर राहुल गांधी से बातचीत की लेकिन कोई ठोस पहल नहीं हो रही थी. सिर्फ यह कहा जा रहा था कि बैठ जायेंगे, सुलझा लिया जायेगा. बातें होंगी. इस तरह की बात हो रही थी, ऐसा कुछ नहीं हो रहा था.
5. तेजस्वी को लेकर कांग्रेस के नेताओं से बातचीत की. तेजस्वी यादव ने अपनी ओर से कोई सफाई नहीं दिया. अब हमे जवाब देना पूरी तरह मुश्किल हो गया था.
6. नीतीश कुमार ने इस दौरान नोटबंदी के मामले को भी उठाया. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के समय मेरे ऊपर किस तरह के आरोप लगाये गये. जबकि, मैंने नोटबंदी को लेकर जो बातें जनहित में थी, उसे ही किया.
7. राष्ट्रपति चुनाव में भी मुझे लेकर तरह-तरह के बयान दिये गये. सिर्फ हमने यह कहा था कि वे हमारे राज्य के राज्यपाल थे, अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं तो हमारे लिए गर्व की बात होगी. उन्होंने एनडीए से समर्थन की बात पर कहा कि बिहार के हित के लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं.
8. उन्होंने कहा कि मैंने इस्तीफा देने से पहले अपने विधानमंडल दल के सदस्यों और लालू प्रसाद के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष को भी इसकी जानकारी दे दी थी. गौरतलब हो कि नीतीश कुमार ने इस संबंध में हाल में सोनिया गांधी और राहुल से भी मुलाकात की थी.
9. नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया कि वे विपक्षी एकता के पैरोपकार हैं, लेकिन यह सिर्फ हवा में नहीं होना चाहिए. इसके लिए कोई एजेंडा तय होना चाहिए.
10. नीतीश ने कहा कि परिस्थितियां पूरी तरह बदल गयी थीं, ऐसे में हमने अपनी ओर से बहुत कोशिश की, लेकिन ऐसा मंजूर नहीं हुआ. हमारे अपने रास्ते हैं, जो चीजें उभरकर सामने आयीं, उसमें काम करना मुश्किल हो गया था.
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