सियासत का बिहार सिनेमा : जदयू को तोड़कर तख्ता पलट की थी प्लानिंग, इसलिए नीतीश ने…

आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना पटना : बिहार में मात्र तीन दिनों में जो हुआ, उसे आप सियासत का हिट सिनेमा कह सकते हैं. राजनीतिक दृश्य इतने तेजी से बदले कि बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों के आकलन भी धराशायी हो गये. 26 जुलाई को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 29, 2017 9:56 AM

आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना

पटना : बिहार में मात्र तीन दिनों में जो हुआ, उसे आप सियासत का हिट सिनेमा कह सकते हैं. राजनीतिक दृश्य इतने तेजी से बदले कि बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों के आकलन भी धराशायी हो गये. 26 जुलाई को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दिया. 27 जुलाई को सुबह 10 बजे शपथ ली और 28 जुलाई को विधानसभा में विश्वासमत हासित कर एक बार फिर सत्ता पर काबिज हुए. राजनीतिक रणनीतिकारों की मानें, तो इस सिनेमा के तेजी से बदलते दृश्यों के पीछे राजद सुप्रीमो लालू यादव की भूमिका बहुत बड़ी रही. जानकारी के मुताबिक नीतीश को उनके विश्वस्त सूत्रों ने 26 जुलाई को जदयू की बैठक से पहले जानकारी दी कि लालू यादव उनकी पार्टी को तोड़कर तख्ता पलट कर सकते हैं. इस सूचना ने नीतीश कुमार के फैसले की हवा निकाल दी. उसके बाद आनन-फानन में जो हुआ, वह भारतीय राजनीति के इतिहास में सबसे तेज सियासत का सिनेमा बन गया. हालांकि, बिहार की राजनीति को नजदीक से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दत्त कहते हैं कि नीतीश के लिए आगे की लड़ाई काफी कठिन है.

प्रमोद दत्त कहते हैं कि जिस तरह का माहौल महागठबंधन में बन गया था, उस हिसाब से नीतीश यदि तेजी नहीं दिखाते, तो टूट की स्थिति बनाने में लालू सफल हो सकते थे. हालांकि, नये दलबदल कानून की बेड़ी में भी लालू जकड़े रहे, वरना पुराना कानून होता, तो गेम लालू यादव के पक्ष में होता. लालू यादवकीनजर जदयू के उन डेढ़ दर्जन मुस्लिम,यादव विधायकोंपरथी, जिस पर वह डोरेडालरहे थे. यही वजह है कि नीतीश कुमार ने तेजी दिखायी और एक-एक कर सारे फैसले जल्दी में लिए और विश्वास मत हासिल कर ही चैन की सांस ली. दत्त कहते हैं कि पार्टी में टूट की स्थिति में राज्यपाल भी तेजस्वी की दावेदारी को महत्व देते और उन्हें सरकार बनाने के लिए पहले बुलाया जाता. जदयू में टूट का अंदाजा, अली अनवर और शरद यादव जैसे नेताओं की प्रतिक्रिया से समझा जा सकता है. कुछ जानकार यह भी मानते हैं कि भाजपा पूरी तरह सेंध लगाने के चक्कर में थी, उसे पता था कि लालू-नीतीश भाजपा के खिलाफ एक दूसरे के साथी बन गये हैं. लालू के पास जातीय जनाधार और मुस्लिम समर्थन है, लेकिन नीतीश के पास उनका स्टैंड और छवि है. भाजपा ने नीतीश की छवि को टारगेट किया और आखिरकार सेंध लगा बैठी. कुछ लोग मानते हैं कि जदयू के टूट वाली खबर भी भाजपा ने ही फैलायी.

दूसरी ओर अब नीतीश के आगे की रणनीति पर जानकार मंथन कर रहे हैं. फिलहाल, कई लोग मानते हैं कि उन्होंने बिहार में अपनी ढीली पड़ चुकी पकड़ को मजबूत करने के लिए यह फैसला लिया है. केंद्रीय राजनीति की ओर देखें तो लोकसभा में अभी जदयू के सांसदों की संख्या कम है. राजनीतिक पंडित कहते हैं कि नीतीश के राजनीति की एक खूबी है, वह सभी दरवाजे खोलकर रखते हैं. प्रमोद दत्त कहते हैं कि नीतीश आने वाले दिनों में मौके के हिसाब से सिद्धांतों की दुहाई देते हुए राजनीति की अलग परिभाषा दोबारा गढ़ सकते हैं.नीतीशने विधानसभामें कहा कि वक्त आने पर एक-एक सवालों का जवाब देंगे. चर्चा यह भी है कि जिस तरह बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने नीतीश कुमार को अपना नेता घोषित किया, क्या भाजपा नीतीश कुमार को यह मौका देगी. भाजपा प्रतिकूल परिस्थितियों में सीट के हिसाब से नेता का चयन करती है, इसके कई उदाहरण मौजूद हैं, महाराष्ट्र का उदाहरण आप देख सकते हैं.

बिहार के वर्तमान सियासी घटनाक्रम में लालू की भूमिका को विलेन के तौर पर पेश किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर लोग कहते हैं कि लालू परिवार पूरी तरह बेनामी संपत्ति और भ्रष्टाचार के मामले में फंसा हुआ है, लेकिन लालू पूरी तरह खत्म हो गये, यह मान लेना भी सियासी भूल होगी. लालू के वोट बैंक पर इस घटना से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लालू लगातार नीतीश कुमार को चुनाव मैदान में उतरने की चुनौती दे रहे हैं. इस बात को रणनीतिकार बखूबी समझते हैं. नीतीश कुमार अभी कितना भी सफाई दे लें, बिहार का एक बड़ा वर्ग लालू से सहानुभूति रखता है. लालू ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखा की नीतीश को अपनी नैतिकता और ईमानदारी का इतना ही घमंड है, तो फिर से चुनाव में उतरकर दिखाएं. भाजपा के खिलाफ वोट मिला, उसी के साथ सरकार बना रहे हैं, यह सब ढोंग मत कीजिए, मैदान में आइए. फिलहाल, इस सियासी सिनेमा के सभी पात्रों में हीरो बनकर नीतीश उभर कर सामने आये हैं, लेकिन यह मानकर चलना होगा कि विलेन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. इसलिए जंग जारी रहेगी.

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