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‘जय श्रीराम’ पर विवाद के बाद मंत्री खुर्शीद ने मांगी माफी

पटना : गन्ना उद्योग और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद ने दो दिन पहले ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाने के दिये बयान पर विवाद होने के बाद माफी मांगी है. इमारत-ए-शरिया के मुफ्ती सौहैल अहमद कासमी द्वारा इस बयान को गैर इसलामिक करार देने और मुसलिम समुदाय के विरोध के मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतीश […]

पटना : गन्ना उद्योग और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद ने दो दिन पहले ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाने के दिये बयान पर विवाद होने के बाद माफी मांगी है.
इमारत-ए-शरिया के मुफ्ती सौहैल अहमद कासमी द्वारा इस बयान को गैर इसलामिक करार देने और मुसलिम समुदाय के विरोध के मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद रविवार को मंत्री खुर्शीद ने माफी मांग ली. उन्होंने कहा कि मेरे बयान से किसी की भावना को ठेस पहुंची है, तो मैं उनसे माफी मांगता हूं. मेरी नीयत और आवाज को जाने बिना मेरे ऊपर आरोप लगाये गये.
मेरे बयान को राजनीतिक रूप दे दिया गया, जबकि उसमें ऐसा कुछ नहीं था, जिसे तूल दिया जा सके. उन्होंने कहा कि एक में उलझ कर 99 को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता हूं, इसलिए मुख्यमंत्री के कहने पर मैंने माफी मांग ली. हमारे नेता का सिद्धांत व वसूल है. जनमत के लिए वह काम करते हैं और जो लोगों के लिए अच्छा हो, उसे करते हैं. उन्होंने इस तरह के बयान से बचने की भी सलाह दी है, जिसमें किसी को भावना को ठेस पहुंच सकती है.
इसके पहले रविवार को 1, अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई देने पहुंचे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने उनके सामने ही इस बयान पर विरोध जताया. विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी जहां लोगों को शांत करते दिखे, लेकिन वे मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद से अपनी बात वापस लेने पर अड़े रहे. इसके बाद मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्री ने कहा कि उन्हें किसी प्रकार का कोई फतवा या नोटिस नहीं मिला है. इसके बावजूद किसी की भावना को ठेस पहुंची है, तो वे माफी मांगते हैं. इसके बाद लोगों को शांत किया जा सका.
फतवा जारी करने वाले इतिहास को पढ़ें : नीरज
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता सह विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि देश में राम-रहीम के नाम लेने की परंपरा रही है. फतवा जारी करने वाले देश के इतिहास को पढ़ें. मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद ने दो दिन पहले देश की तहजीब को लेकर बयान दिया था. उन्होंने किसी प्रकार की धार्मिक भावना से यह नारा नहीं दिया था.
तरक्की के लिए जय श्रीराम का नारा लगाने की बात कही थी
शुक्रवार को बिहार विधानसभा परिसर में सरकार के विश्वासमत हासिल करने के बाद खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद ने पत्रकारों के सवाल पर कहा था कि तरक्की के लिए जय श्रीराम और वंदे मातरम् का नारा लगाना पड़े, तो लगायेंगे, इसमें क्या दिक्कत है. हम पहले इनसान हैं, उसके बाद ही कुछ और हैं. इसलाम और तहजीब यही सिखाता है.
अश्वमेध यज्ञ का महावीरी झंडा उठा खुर्शीद ने की थी कलश यात्रा की अगुआई
बेतिया : गन्ना विकास व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज आलम द्वारा जय श्री राम के नारे लगाने के बाद भले ही धार्मिक रूप से विवाद बढ़ गया हो, लेकिन, उनका हिंदू देवी-देवताओं के नारे लगाने का यह पहला मामला नहीं है.
इससे पहले भी वे न सिर्फ हिंदू धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते रहे हैं, बल्कि उन्होंने 2004 में मैनाटांड के नगरदेही में आयोजित ऐतिहासिक अश्वमेध महायज्ञ का महावीरी झंडा उठा कर कलश यात्रा की अगुआई भी की थी. यह अश्वमेघ यज्ञ जब हुआ था, तब खुर्शीद ने मैनाटांड़ प्रखंड प्रमुख से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. इस यज्ञ में खुर्शीद ने सिर और गले में भगवा गमछा और हाथ में महावीरी झंडा उठा कर पूरी कलश यात्रा की अगुआई की थी. इस यात्रा में हजारों यज्ञाचार्यों, पंडितों व श्रद्धालुओं का जत्था भी शामिल था. यह राज्य में सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान था. इसमें तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद भी शामिल हुए थे. इसमें अलावा कई मठ व अखाड़ों के महामंडलेश्वर व पीठाधीश्वर भी आये थे.
इस यज्ञ में खुर्शीद ने अपनी पूरी भागीदारी निभायी थी. मुखिया सत्येंद्र यादव ने बताया कि खुर्शीद ने इसके बाद होने वाले कई यज्ञों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते रहे हैं. खुर्शीद जब 2005 में सिकटा में विधायक हुए, तो उन्होंने प्रखंड के सिंहपुर, भंगहा परसौनी, सिसवा ताजपुर, चौहाटा, जिगना, सरगटिया, सतगडई, बसंतपुर, जगरनाथपुर, झझरी, बेलबनिया आदि गांवों में मंदिर निर्माण व जीर्णोद्धार में सहयोग किया.
हाथ में रक्षासूत्र बांधते हैं खुर्शीद : स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मंत्री खुर्शीद हाथ में लाल रंग का रक्षासूत्र पहने रहते हैं. वह कई तीर्थस्थलों की यात्रा भी कर चुके हैं.
मुफ्ती ने कहा, इसलाम से खािरज, पत्नी िनकाह से बाहर
इमारत-ए-शरिया के मुफ्ती सौहैल अहमद कासमी ने कहा कि जो मुसलमान जय श्रीराम का नारा लगाये और यह कहे कि मैं रहीम के साथ-साथ राम की भी पूजा करता हूं. मैं भारत के सभी धार्मिक स्थानों पर माथा टेकता हूं. ऐसा व्यक्ति इसलाम से खारिज और मूरतद है. उसकी पत्नी उसके निकाह से बाहर हो गयी. ऐसे व्यक्तिपर दोबारा ईमान कबूल करना एवं दोबारा निकाह करना और तोबा व इसतिगफार करना आवश्यक है. जब तक दोबारा ईमान कबूल न करें और अपनी पत्नी से दोबारा निकाह न करें और तोबा व इसतिगफार न करे, तो सभी मुसलमानों के लिए ऐसे व्यक्ति से किसी प्रकार के संबंध रखना शरई तौर पर जायज नहीं है. ऐसे व्यक्ति के फितने से खुद भी बचें और दूसरे मुसलमानों को भी बचाएं. हालांिक मुफ्ती ने कहा िक यह मेरा निजी िवचार है.
इमारत-ए-शरिया पहुंच पढ़ा कलमा, फिर माने गये मुसलिम
मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज आलम ने रविवार की देर शाम इमारत-ए-शरिया पहुंच कर मुफ्ती सौहेल अहमद कासमी के सामने कलमा पढ़ा. अपने बयान पर शर्मिंदा हुए और रो-रोकर माफी मांगी. इसके बाद उन्हें फिर से मुसलिम माना गया. मुफ्ती कासमी ने कहा कि इमारत-ए-शरिया के सारे उलेमा-ए-दीन के सामने उन्होंने कलमा पढ़ा और अपनी गलती का तोबा और इस्तगिफार करने के बाद वह फिर से मुसलमान हो गये हैं और उनको अपनी पत्नी की इजाजत के बाद दोबारा निकाह करना पड़ेगा. उनकी पत्नी फिलहाल गांव में हैं. मुफ्ती ने आम मुसलमानों से अपील की है कि उनके साथ मुसलमानों जैसा सलूक होना चाहिए. मुफ्ती ने अल्लाह ताला से दुआ किया कि उनकी तोबा को कबूल करें और ईमान और वे इसलाम पर चलें.

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