पटना : सूबे में बने नये समीकरण के बाद गठित नयी सरकार पर राजद ने मोर्चा खोल दिया है. राजद ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जम कर हमला बोला. राजद के वरिष्ठ नेता जगतानंद सिंह ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस्तीफा दे देना चाहिए. नीतीश कुमार ने खुद कहा था कि जिस पर केस चलेगा, वह कुर्सी पर नहीं बैठ सकता. साथ ही कहा कि जिस व्यक्ति पर धारा 302 का मुकदमा हो, वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कैसे बैठा है. उन्होंने कहा कि यदि धारा 302 मुकदमा खत्म हो गया है, तो चुनावी हलफनामे में धारा 302 का जिक्र क्यों है. इस मौके पर वर्ष 1991 में हुई सीताराम की हत्या से संबंधित उसके भाई का एक वीडियो भी दिखलाया गया. इसी मामले में नीतीश कुमार पर धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया था. मुख्यमंत्री पद पर कोई आरोपित बैठा हो, तो राज्य में कानून का राज कैसे स्थापित हो सकता है.
न्याय का इंतजार कर रहा पीड़ित परिवार
राजद ने कहा कि दो बातें सामने रखना चाहूंगा. पहला पीड़ित परिवार आज भी न्याय के लिए इंतजार कर रहा है. दूसरा, कहीं मध्य प्रदेश में हुए व्यापमं घोटाले की तरह लोग खतम ना होते चले जाएं. साथ ही कहा कि हत्या का मामला अभी खत्म नहीं हुआ है. इसलिए 302 के मुजरिम के तौर पर नीतीश मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ सकते. वर्ष 2005 में जब से यह सरकार बनी है, तब से अपराधियों के साथ गठजोड़ हो रहा है.
बिहार में अपराधियों का राज
राजद ने मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि बिहार में अपराधियों का राज है. साथ ही आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री खुद अपराधियों के पोषक हैं. मोकामा विधायक अनंत सिंह की तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें उन्होंने एके 47 लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. क्या आज तक उस एके 47 की रिकवरी की गयी. अनंत सिंह उनके ही नवरत्नों में शामिल हैं. उनके बगल में विराजनेवाले हैं.
देशहित में दिया जदयू को साथ
प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह पूछे जाने पर कि जब नीतीश कुमार धारा 302 मामले में आरोपित हैं, तो आपने समर्थ देकर उन्हें मुख्यमंत्री क्यों बनाया. इस पर उन्होंने कहा कि देशहित और राज्यहित सबसे पहले है. देश के सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए हमने समझौते किये थे.
भाजपा नेता सुशील मोदी द्वारा मिट्टी घोटाले पर बरसे
भाजपा नेता सुशील मोदी द्वारा मिट्टी घोटाल की फाइल मंगाने और जांच कराने के सवाल पर राजद के वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमें खुशी होगी कि कानून के भीतर उनका जो भी दिमाग हो उसका प्रयोग करें. कानून सिर्फ अधिकार नहीं देता, कर्तव्य भी पूरा करने के लिए कहता है.