11 करोड़ लोगों ने महागठबंधन के प्रति विश्वास प्रकट किया, वह विश्वास कायम नहीं रहा : शरद यादव

नयी दिल्ली : बिहार में महागठबंधन के टूट जाने के बाद जेदयू में दरार की अटकलों के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य शरद यादव ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधने से बचते हुए कहा कि 11 करोड़ लोगों ने महागठबंधन के प्रति विश्वास प्रकट किया था और वह विश्वास […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 1, 2017 6:15 PM

नयी दिल्ली : बिहार में महागठबंधन के टूट जाने के बाद जेदयू में दरार की अटकलों के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य शरद यादव ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधने से बचते हुए कहा कि 11 करोड़ लोगों ने महागठबंधन के प्रति विश्वास प्रकट किया था और वह विश्वास जरुर कायम नहीं रहा. शरद यादव, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बातों से समर्थन करने से बचते दिख रहे हैं.

यादव ने कहा कि नीतीश मेरे साथी है और मैं उनकी बातों पर कोई टिप्पणी नहीं करुंगा. हर बयान पर हर समय टिप्पणी करना ठीक नहीं है. उल्लेखनीय है कि नीतीश ने कहा था कि पीएम मोदी को कोई हरा नहीं सकता, क्योंकि उनके मुकाबले का कोई नहीं है. इस पर जब शरद यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वे इस बारे में कुछ नहीं कहेंगे.

यादव ने कहा कि जहां तक हारने या जीतने का सवाल है, इसके बारे में समय बतायेगा. इतना जरुर है कि 11 करोड़ लोगों ने महागठबंधन के प्रति विश्वास प्रकट किया था और वह विश्वास जरुर कायम नहीं रहा. नीतीश ने सोमवार को स्वीकार किया था कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुकाबला करने वाला कोई नेता नहीं है और 2019 में मोदी एक बार फिर जीतेंगे. साथ ही उन्होंने कहा था कि राजद के साथ बने महागठबंधन की सरकार में गवर्नेंस के मामले में थोड़ी दिक्कत होती थी.

उपराष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर नीतीश ने कहा कि वह विपक्ष के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी को समर्थन देने का वचन दे चुके हैं और उनकी पार्टी इस पर कायम है. बहरहाल, यादव ने कहा कि मुझे धरती पर कभी भी किसी से भय नहीं लगा. हमने हमेशा देश, किसान, दलित, अकलियत आदि के लिये काम किया. 42 वर्ष से संसद से जुड़ा रहा हूं और साढे चार वर्ष जेल में भी रहा. कुछ लोग एक बार मीसा के तहत बंद हुए, वे इसका भजन गाते रहते हैं.

उन्होंने कहा कि इसलिए मैं इंसाफ के रास्ते पर चलने वाला हूं. सत्ता और सुख का लोभ न पहले था और न आगे रहेगा. इससे पहले सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था. महागठबंधन बचाने की उन्होंने पूरी कोशिश की. सत्र के कारण और वक्त देना संभव नहीं था. जो हालात बन गये थे उसमें सब कुछ अचानक और तुरंत करना पड़ा.

उन्होंने कहा था, ‘मैंने 20 महीने महागठबंधन की सरकार चलायी. आप सरकार के काम की व्याख्या कर लीजिए. काम करने में हमने कोई कोताही नहीं बरती. भ्रष्टाचार से समझौते के लिए पार्टी कभी तैयार नहीं थी. आम जनता के बीच उन्हें (लालू को) स्पष्टीकरण देना चाहिए था, लेकिन सफाई देने के बदले वे उचित समय और उचित जगह पर बात रखने की बात करने लगे.’ उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद से कई बार बात हुई. फिर राजद की तरफ से कई बयान दिये गये जो गठबंधन धर्म के खिलाफ थे. जदयू की ओर से लालू प्रसाद के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया गया.

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